निजी स्कूल में नौकरी के साथ शिक्षा तीन भाई बायतु व अन्य निजी स्कूल में नौकरी करते हैं। स्कूल के बाद विद्यार्थियों को कोचिंग भी देते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर होने पर कई बार परिवार चलाना भी मुश्किल हो जाता था। इस दौरान दोस्त व रिश्तेदारों का सहयोग लिया और सरकारी नौकरी पाने की जिद जारी रखी। तीन में से दो भाई विवाहित हैं। रीट की विज्ञप्ति जारी होने के बाद तीनों ने निजी स्कूलों की नौकरी छोड़ दी और बायतु में किराए पर एक कमरा लेकर पढ़ाई शुरू की। उसके बाद तीन माह तक घर से अलग रहते हुए पढ़ाई की।
आर्थिक तंगी से जूझते रहे तीनों भाइयों का कहना है कि परिवार में आर्थिक तंगी के हालात रहे हैं। इसके चलते पढ़ाई के साथ मजदूरी कर परिवार का सहयोग करते थे। पैसे नहीं थे, लेकिन हिम्मत और जज्बा ऊंचा था। जिसके बलबूते सफल हुए। हमारे मामा खुमाराम का भी खूब सहयोग रहा।
माता-पिता ने हमेशा आगे बढऩे की ही सीख दी।
– बेटों के सफल होने पर सुकून मिला
आर्थिक स्थितियां ठीक नहीं थी। लेकिन बेटों को पढ़ाई के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया। खेती-बाड़ी कर दसवीं तक पढ़ाया। उसके बाद बेटों ने मजदूरी के साथ पढ़ाई जारी रखी। आज मुझे सुकून मिला है। – निम्बाराम, पिता
आर्थिक स्थितियां ठीक नहीं थी। लेकिन बेटों को पढ़ाई के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया। खेती-बाड़ी कर दसवीं तक पढ़ाया। उसके बाद बेटों ने मजदूरी के साथ पढ़ाई जारी रखी। आज मुझे सुकून मिला है। – निम्बाराम, पिता