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उपचार तो दूर, जांच को लेकर कार्ड ही नहीं, फिर कैसे पता चलेगा डेंगू का !

locationबाड़मेरPublished: Dec 06, 2019 08:41:52 pm

Submitted by:

Moola Ram

– सरकारी चिकित्सालय में कार्ड का अभाव, निजी अस्पतालों में जांच की मजबूरी

Treatment is far away, no card for investigation

Treatment is far away, no card for investigation

धर्मवीर दवे.

बालोतरा. क्षेत्र के डेंगू पीडि़तों को स्थानीय राजकीय अस्पताल में इलाज मिलना तो दूर यह भी पता नहीं चल पाता है कि उनको डेंगू है या नहीं। क्योंकि यहां डेंगू जांच कार्ड पिछले दस दिन से नहीं है। इस पर डेंगू मरीजों की पहचान ही नहीं हो रही। चिकित्सक सामान्य बुखार का इलाज करते हैं या फिर जोधपुर बताने की सलाह देकर इतिश्री। सर्दी चमकने के बावजूद डेंगू दंश कम नहीं हो रहा। वहीं, स्थानीय निजी अस्पतालों में भी मरीज महंगा उपचार करवाने को मजबूर है।
सरकारी अस्पताल में कार्ड नहीं, निजी में करवानी पड़ रही जांच- प्रयोगशाला में सीबीसी जांच करवाने पर मरीज के प्लेटलेट 1 लाख 20 हजार आने पर डॉ. संदिग्ध डेंगू रोगी मानते हुए इसकी जांच करवाते हैं। डेंगू रोग जांच कार्ड में जांच करने पर इसके होने, नहीं होने की पुष्टि होती है, लेकिन पिछले दस दिन से राजकीय नाहटा चिकित्सालय में डेंगू रोग जांच कार्ड नहीं है। इससे पूर्व करीब 300 कार्डआए थे, जो खत्म हो गए। इस पर मरीजों को निजी प्रयोगशालाओं में जांच करवानी पड़ रही है। इस पर 600 रुपए लगते हंै।
सरकार, प्रशासन व चिकित्सा विभाग के इस वर्ष डेंगू रोग को हल्के में लेकर इसके रोकथाम को लेकर विशेष इंतजाम नहीं करने से शहर व क्षेत्र के लोग राहत को तरस गए हैं। शहर व क्षेत्र में कुछ ही स्थानों पर डेंगू रोग नियंत्रण को लेकर कीटनाशी दवाइयों का छिड़काव करवाने व शेष में झांककर तक नहीं देखने से आमजन की हालत खस्ता है।
जानकारी अनुसार स्थिति यह है कि नगर के राजकीय नाहटा चिकित्सालय में डेंगू रोग उपचार के लिए आज भी चार-पांच मरीज पहुंचने के साथ भर्ती हो रहे हैं। नगर व क्षेत्र के सरकारी व निजी चिकित्सालयों में डेंगू रोग का उपचार ले रहे मरीजों की संख्या कई अधिक है।
महंगे उपचार से मरीज, परिजन बेहाल-

डेंगू के महंगे व लंबे उपचार से मरीज व परिजन आर्थिक बोझ सहने को मजबूर है। उपचार ले रहे मरीज की कई बार सीबीसी जांच करवानी पड़ती है। इससे की प्लेटनेट की स्थिति के बारे में जांच हो। वहीं मरीज को करीब 10 से 12 ग्लुकोज व इतने ही इंजेक्शन लगते हैं। वहीं उपचार में तीन-चार दिन लगते हैं। निजी चिकित्सालय में एक मरीज के उपचार में करीब 8 से 10 हजार रुपए खर्च होते हैं।
मरीजों की हालत खस्ता, नहीं मिल रहा उपचार –

सरकार, प्रशासन व चिकित्सा विभाग डेंगू रोग नियंत्रण को लेकर गंभीर नहीं है। इसके महंगे उपचार से मरीज व परिजन की हालत खस्ता है। सबसे अधिक गरीब व कमजोर परिवारों को परेशानी उठानी पड़ रही है। सरकार रोग नियंत्रण के पुख्ता इंतजाम करें।
– दौलत प्रजापत

डेंगू का असर आंशिक कम-

डेंगू रोग का असर आंशिक कम हुआ है। मरीज आज भी उपचार के लिए आ रहे हैं।

– डॉ. प्रकाश विश्नोई, चिकित्सक
मरीजों की तादाद में कमी –
ओपीडी व डेंगू मरीजों की संख्या में कमी आई है। डेंगू रोग जांच के कार्ड उपलब्ध है। चिकित्सालय में भर्ती व गंभीर मरीजों की इससे जांच की जाती है।
– डॉ. बलराजसिंह पंवार, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी बालोतरा
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