ट्रायल टै्रक पूरी तरह आधुनिक होगा। ट्रैक के अलावा वाहन पर भी सेंसर लगाया जाएगा। इससे चालक की हर गतिविधि पर नजर रहेगी। अचानक ब्रेक लगाने या फिर स्पीड तेज होने पर सेंसर सक्रिय हो जाएंगे, जिसकी रिपोर्ट सीधे ट्रायल ऑफिसर को मिलेगी। जिससे पता चल जाएगा कि ट्रायल के दौरान चालक ने कितनी बार गलती की। इस पूरे ट्रायल की वीडियो बनेगी। वीडियो के आधार पर ही लाइसेंस जारी होगा। प्रथम चरण में बनने वाले टै्रक चंडीगढ़ की तर्ज पर बनेंगे।
प्रदेश के 12 आरटीओ मुख्यालय वाले शहरों में ऑटोमैटेड ड्राइविंग ट्रायल टै्रक बनने की तैयारी है। यहां पर आधुनिक ट्रायल ट्रैक प्रथम चरण में बन रहे हैं। इसके बाद डीटीओ मुख्यालय के शहरों में ट्रैक बनाए जाएंगे। प्रथम चरण में बनने वाले टै्रक चंडीगढ़ की तर्ज पर बनेंगे।
बाड़मेर में ऑटोमैटेड ड्राइविंग ट्रायल टै्रक के लिए सर्वे हुआ है। प्रदेश में द्वितीय चरण में यहां पर ट्रैक बनने प्रस्तावित है। डीडी मेघानी, जिला परिवहन अधिकारी बाड़मेर
रिपोर्ट बनाकर भेजी चार डीटीओ मुख्यालय पर ट्रायल टै्रक के लिए सर्वे करवा कर रिपोर्ट सीआईआरटी को भेजी है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ट्रैक बनाए जाएंगे।