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पूर्व सीएम वसुंधराज राजे ने कांग्रेस विधायक के घर से मंगवाया खाना, स्वीकार किया आग्रह

locationबाड़मेरPublished: Feb 06, 2020 02:21:58 pm

Submitted by:

dinesh

राजे मेवाराम के घर उनकी मां के निधन पर संवेदना व्यक्त करने पहुंचीं तो परिवार की महिलाओं ने भोजन का आग्रह किया। राजे ने पास खड़े मेवाराम का हाथ पकडकऱ मुस्कराते हुए कहा, मेवारामजी खिलाएंगे क्या? विधायक ने कहा क्यों नहीं?

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बाड़मेर। सियासत में पक्ष-विपक्ष के बीच खींचतान तो खूब नजर आती है लेकिन बुधवार को यहां सियासी सद्भाव देखने को मिला। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भाजपा प्रत्याशियों को लगातार तीन बार हराकर बाड़मेर विधानसभा सीट पर चुनाव जीते कांग्रेस के मेवाराम जैन के घर से खाना मंगवाया।
हुआ यों कि राजे मेवाराम के घर उनकी मां के निधन पर संवेदना व्यक्त करने पहुंचीं तो परिवार की महिलाओं ने भोजन का आग्रह किया। राजे ने पास खड़े मेवाराम का हाथ पकडकऱ मुस्कराते हुए कहा, मेवारामजी खिलाएंगे क्या? विधायक ने कहा क्यों नहीं? इसके बाद राजे वहां से रवाना हो गईं लेकिन उक्त आग्रह याद रखा। बाद में मेवाराम के घर से खाना मंगवाया। गौरतलब है कि मेवाराम जैन कांग्रेस के विधायक हैं। राजे यहां समाजसेवी तनसिंह चौहान के निधन पर संवेदना जताने पहुंची थीं।
पूर्व मुख्यमंत्री राजे का बाड़मेर को लेकर विशेष लगाव रहा है। विशेषकर यहां के उद्यमी तनसिंह चौहान और उनके परिवार से। इस परिवार से लगाव का आलम यह है कि वसुंधराराजे तीसरी बार इस घर में पहुंची। हालांकि इस बार घर के मुखिया तनसिंह चौहान उनकी अगुवानी नहीं कर पाए, क्योंकि उनका कुछ दिन पहले ही स्वर्गवास हो गया। मजदूर से मेहनत कर बुलंदी को छूने वाले तनसिंह चौहान की कहानी यहां के जवां लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है तो गांव-गांव में उनका गुणगान है। तनसिंह जूना का बचपन अभावों में गुजरा, उन्होंने मजदूरी करके शुरुआत की। धीरे-धीरे उन्होंने कामयाबी की बुलंदियों को छूआ।
वसुंधरा राजे यहां पहली बार तब आई जब तनङ्क्षसह के पुत्र राजेन्द्रसिंह की तिलक दस्तूरी थी। राजपूतों के दिग्गज माने जाने वाले देवीसिह भाटी की पोती की सगाई तनसिंह के सुपुत्र राजेन्द्रसिंह से हो रही थी। राजे दूसरी बार आई तब तनसिंह की तबीयत नासाज थी। वे उनके घर पहुंची और उनका हाल-चाल जाना। इस बार वे तनसिंह के स्वर्गवास हो जाने के कारण उनके शोक संतप्त परिवार को ढांढ़स बंधाने पहुंची।
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