विधानसभा व उपखंड सिवाना की बड़ी ग्राम पंचायतों में से पादरू एक है। दस हजार से अधिक आबादी वाले कस्बे में 1988 में प्रदेश सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत कर चिकित्सक का एक पद स्वीकृत किया। तब से आज दिन तक चिकित्सालय में चिकित्सक का एक पद स्वीकृत ही है। इस पर उपचार को लेकर हर दिन बड़ी संख्या में मरीजों को अधिक परेशानी उठानी पड़ती है।
दर्जनों गांव उपचार को तरसे- कस्बे पादरू से ग्राम पंचायत मिठौड़ा, धारणा, कुण्डल, कांखी, धनवा,जूना मीठा खेड़ा, सेला, दांखा जुड़े हुए हंै। पादरू की दस हजार व इन गांवों की आबादी करीब एक लाख है। पादरू पीएचसी में सामान्य दिनों में उपचार के लिए 150 मरीज पहुंचते हैं। मौसमी बीमारियों के प्रकोप पर यह आंकड़ा 250-275 तक पहुंचता है। इस पर चिकित्सालय को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्रमोन्नत करने की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है। सरकार के क्रमोन्नत नहीं करने पर उपचार को लेकर हर दिन सैकड़ों मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है।
दर्जनों गांव उपचार को तरसे- कस्बे पादरू से ग्राम पंचायत मिठौड़ा, धारणा, कुण्डल, कांखी, धनवा,जूना मीठा खेड़ा, सेला, दांखा जुड़े हुए हंै। पादरू की दस हजार व इन गांवों की आबादी करीब एक लाख है। पादरू पीएचसी में सामान्य दिनों में उपचार के लिए 150 मरीज पहुंचते हैं। मौसमी बीमारियों के प्रकोप पर यह आंकड़ा 250-275 तक पहुंचता है। इस पर चिकित्सालय को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्रमोन्नत करने की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है। सरकार के क्रमोन्नत नहीं करने पर उपचार को लेकर हर दिन सैकड़ों मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है।
नजदीक में पैंतीस किमी तक नहीं सुविधा ़-पादरू में चिकित्सक का एक पद स्वीकृत है। करीब एक वर्ष पूर्वसरकार ने एक अस्थायी चिकित्सक नियुक्त किया। विभागीय योजना, बैठकों व पारिवारिक कार्य से चिकित्सक के अवकाश पर रहने पर उपचार के लिए पहुंचने वाले मरीजों को अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। इस पर उपचार के लिए मरीजों को 35 किलोमीटर दूर सिवाना, सायला व 50 किलोमीटर बालोतरा पहुंचना पड़ता है। साधनों के अभाव व क्षतिग्रस्त मार्गों पर मरीजों को अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। उपचार में देरी जानलेवा साबित होती है।
वर्षों से जोह रहे बाट, झूठे रहे आश्वासन- पादरू प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को खुले 31 वर्ष बीते हैं। इन तीन दशकों में कस्बे पादरू व क्षेत्र के गांवों की आबादी में बढ़ोतरी हुई है। पादरू व नजदीक में उपचार की व्यवस्था नहीं होने पर ग्रामीण वर्षों से चिकित्सालय क्रमोन्नत की मांग कर रहे हैं। इसके लिए जमीन उपलब्ध है। जानकारी अनुसार स्वीकृति पर दानदाता भवन बनाने को भी तैयार है, लेकिन हर चुनाव में मत मांगने पहुंचने वाले नेता ग्रामीणों को क्रमोन्नत करने के झूठे आश्वासन दे रहे हैं। इससे ग्रामीणों में रोष है।
वर्षों से जोह रहे बाट, झूठे रहे आश्वासन- पादरू प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को खुले 31 वर्ष बीते हैं। इन तीन दशकों में कस्बे पादरू व क्षेत्र के गांवों की आबादी में बढ़ोतरी हुई है। पादरू व नजदीक में उपचार की व्यवस्था नहीं होने पर ग्रामीण वर्षों से चिकित्सालय क्रमोन्नत की मांग कर रहे हैं। इसके लिए जमीन उपलब्ध है। जानकारी अनुसार स्वीकृति पर दानदाता भवन बनाने को भी तैयार है, लेकिन हर चुनाव में मत मांगने पहुंचने वाले नेता ग्रामीणों को क्रमोन्नत करने के झूठे आश्वासन दे रहे हैं। इससे ग्रामीणों में रोष है।
बेहतर उपचार को तरस रहे- पादरू बड़ा कस्बा है। दर्जनों गांव इससे जुड़े हंै। क्रमोन्नत नहीं करने पर बेहतर उपचार को तरस गए हंै। 31 वर्ष पुराना प्राथमिक चिकित्सालय है। कस्बे व क्षेत्र के गांवों की आबादी बढ़ी है। जनप्रतिनिधि झूठे आश्वासन दे रहे हैं। सरकार जनहित में इसे क्रमोन्नत करें। – जबरसिंह पादरू
पचास किमी का चक्कर लगाना पड़ता- पादरू में उपचार नहीं मिलने पर मरीजों को 35 से 50 किलोमीटर दूर सिवाना, सायला व बालोतरा दौड़ लगानी पड़ती है। साधनों के अभाव व क्षतिग्रस्त मार्गों पर अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। उपचार में देरी जानलेवा साबित होती है। सरकार चिकित्सालय क्रमोन्नत करें। – संपत कुमार धारीवाल
पचास किमी का चक्कर लगाना पड़ता- पादरू में उपचार नहीं मिलने पर मरीजों को 35 से 50 किलोमीटर दूर सिवाना, सायला व बालोतरा दौड़ लगानी पड़ती है। साधनों के अभाव व क्षतिग्रस्त मार्गों पर अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। उपचार में देरी जानलेवा साबित होती है। सरकार चिकित्सालय क्रमोन्नत करें। – संपत कुमार धारीवाल