scriptबॉर्डर के आखिरी गांव में 72 साल बाद पत्रिका ने हरी हर मां की पीड़ा | Water problem relief in Border village | Patrika News

बॉर्डर के आखिरी गांव में 72 साल बाद पत्रिका ने हरी हर मां की पीड़ा

locationबाड़मेरPublished: May 12, 2019 04:36:34 pm

मदर्स डे स्पेशल:- 72 साल बाद बॉर्डर के आखिरी गांव अकली में पहुंचा पानी, ग्रामीणों की खुशी का नहीं ठिकाना, धीया की आंखों में तब निकले थे पीड़ा के आंसू, आज खुशी में छलकी आंखें
 

Water problem relief in Border village

Water problem relief in Border village

गडरारोड/बाड़मेर. धीयादेवी की आंखों में आज आंसू थे। जमना, अकली और सुगनी की आंखें नम। 100 से अधिक महिलाएं जो मां है, मदर्स डे से एक दिन पूर्व 1947 के बाद एक एेसे तोहफे को पा चुकी थी जिसके लिए दुआएं, मुरादे और इल्तिजा हर उस चौखट पर की थी जहां से उनको मदद की दरकार थी लेकिन पूरी की राजस्थान पत्रिका के अभियान ने। बॉर्डर के आखिरी गांव अकली की पानी की जंग 72 साल बाद शनिवार को पूरी हुई जब यहां खुदे ट्युबवेल से पानी की धार फूटी।
बॉर्डर के आखिरी गांव अकली में पानी को लेकर महिलाओं का संघर्ष आजादी के बाद से जारी है। हर बार उनको आश्वासन मिले लेकिन पानी की सुविधा नहीं। पत्रिका की टीम पुलवामा हमले के बाद बॉर्डर पर उपजे तनाव की रिपोर्टिंग को पहुंची तो सरहद से महज पांच मीटर दूर पश्चिमी सीमा के इस आखिरी गांव पहुंची तो धीयादेवी सहित गांव की महिलाओं ने कहा कि युद्ध नहीं हमें तो पानी चाहिए। पीड़ा उजागर की कि 15 साल से अब 75 साल की हो गइ है लेकिन पानी की समस्या का समाधान नहीं हुआ। पता नहीं जीते जी पानी आएगा या नहीं? पत्रिका ने इस पीड़ा को प्रमुखता से उजागर करते हुए उल्लेख किया कि मात्र 5 लाख का एक ट्युबवेल इस गांव को मिल जाए तो पानी की समस्या का हल हो जाए।
जलदाय मंत्री ने लिया गंभीरता से
समाचार प्रकाशित होते ही प्रदेश के जलदाय मंत्री बी डी कल्ला ने इसे गंभीरता से लेते हुए 23 फरवरी को ही पांच लाख रुपए का ट्युबवेल स्वीकृत कर दिया लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने इस मामले को फिर ठण्डे बस्ते में डाल दिया। पत्रिका ने इसको पुन: सामने लाया। आखिरकार शनिवार को कार्य पूर्ण हुआ और पानी की पहली धार फूटी तो ग्रामीणों की आंखों में पानी आ गया।
आंखों में पानी, पांवों से नृत्य और अपार खुशी
पानी की पहली धार जैसे ही फूटी धीयादेवी सहित महिलाओं की आंखों में पानी आ गया। युवाओं के कदम नाचने लगे, बुजुर्गों ने जयकारे बोले और बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। 72 साल से मीलों पैदल चलकर पानी लाने वाली इन महिलाओं के घर के पास ट्युबवेल से 24 घंटे पानी मिलने का तोहफा उनके लिए जीवन का सबसे अनमोल उपहार था।
जागरण कर शुक्रिया जताया
शुक्रवार रात को ही पानी की पहला परीक्षण हुआ तो ग्रामीणों ने इस खुशी में जागरण कर रातभर भजन किए। सुबह पानी की पूजा के साथ एक दूसरे का मुंह मीठा करवाया।
-पत्रिका का आभार
48 साल से पानी सिर पर ला रही हूं। मीलों पैदल चली हूं। कितने ही लोग आए और गए लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। पत्रिका ने वादा निभाया, मेरी सात पीढि़यां आपका अहसान मानेगी। प्रभारी मंत्री का आभार। – धीयादेवी अकली
-पढ़ाई से आते ही पानी के लिए दौडऩा पड़ता था। पानी के लिए कई घंटे बेरियों में सिंचाई करते थे। अब ट्युबवेल से पानी आया तो खूब पढ़ेंगे।- पुष्पा कुमारी छात्रा

-सुबह से लेकर शाम तक पानी के लिए बारी का इंतजार करना पड़ता था। दिन भर जूझने के बाद शाम को 4 घड़े पानी उपलब्ध हो पाता था। कई बार पानी के लिए झगड़े हो जाते थे। अब एेसा नहीं होगा, शुक्रिया।- नीतादेवी
यों चला अभियान
21 फरवरी- पानी से रोज की जंग, पाकिस्तान से तो 1965 और 71 में ही लड़े
22 फरवरी- 48 साल से सिर पानी ढो रही धीया की बात करते भर आई आंखे
23 फरवरी- मंत्री ने सुनी धीया की फरियाद अकली में लगेगा ट्युबवेल
16 मार्च- ट्युबवेल के लिए मशीन पहुंची अकली
22 मार्च- अकली की मशीन पहुंच गई अन्यत्र
21 अप्रेल- अकली में नहीं बिजली कनेक्शन, चुनाव बहिष्कार की नौबत
23 अप्रेल- दो पोल खड़े कर वोट ले लिए लेकिन अब तक बिजली का इंतजार
10 मई- अकली में हुआ पानी का परीक्षण
11 मई- अकली में 72 साल बाद फूटी पानी की धार
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