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रिफाइनरी के मुद्दे पर क्यों बोले पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम, देखिए पूरा वीडियो

locationबाड़मेरPublished: Oct 14, 2021 09:17:18 pm

Submitted by:

Dilip dave

स्थानीय लोगों का धरना समाप्त, आज से फिर शुरु होगा रिफाइनरी में कामकाज
– चार दिन से बंद था रिफाइनरी में कामकाज

पचपदरा. पचपदरा के निकट निर्माणाधीन रिफाइनरी के बाहर गुरुवार को चौथे दिन एचपीसीएल कंपनी की ओर से विभिन्न मांगों पर सहमति बनने के बाद धरना समाप्त हो गया। बुधवार रात को प्रशासन, प्रतिनिधिमंडल व एचपीसीएल अधिकारियों की तीन घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में सुलह का कोई रास्ता नहीं निकल पाया। पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी ने धरनास्थल पर पहुंच कर जायज मांगों को लेकर धरने पर बैठे स्थानीय लोगों से चर्चा की। छह घंटे तक चली दूसरे दौर की वार्ता में प्रशासन, प्रतिनिधि मंडल व एचपीसीएल अधिकारियों की वार्ता शुरु हुई, जिसमें स्थानीय लोगों की कई मांगों पर सहमति बन गई। चौथे दिन भी रिफाइनरी में पूरी तरह से काम बंद रहा।
धरने को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी ने कहा कि रिफाइनरी के आने से पहले स्थानीय लोगों में खुशी थी, लेकिन यहां काम करने आई कंपनियों ने मनमानी करते हुए लोगों के सपनों पर पानी फेर दिया। स्थानीय लोगों को काम नहीं दिया जा रहा है, अगर किसी एकाध काम दिया है तो उसका नाजायज तरीकों से शोषण करके परेशान कर रहे है। कंपनियों से मांगों को मनवाने के लिए आपको संघर्ष कर ईंट से ईंट बजानी होगी। मैंने हमेशा गरीब, मजदूर की पैरवी की। एक जाजम पर बैठने के बाद सभी संगठित रहे। इस दौरान जिला परिषद सदस्य उम्मेदाराम बेनीवाल, मनीष चौधरी, ठाकराराम गोदारा, अमराराम बेनीवाल, मीर मोहमद, धनसिंह मौसेरी, खेताराम कॉमरेड, हेमंत भाटिया समेत कई जने मौजूद थे।
6 घंटे की बैठक में कई मांगों पर बनी सहमति- दोपहर एक बजे रिफाइनरी के अंदर अतिरिक्त जिला कलक्टर ओमप्रकाश विश्नोई, जिला प्रमुख महेन्द्र चौधरी, वृत्ताधिकारी धनफूल मीणा, थानाधिकारी प्रदीप डांगा समेत परिवहन विााग व श्रम विभाग के अधिकारियों के अलावा स्थानीय लोगों का प्रतिनिधिमंडल और एचपीसीएल अधिकारियों के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा को लेकर बैठक शुरू हुई।
बैठक में वाहनों का किराया 30 फीसदी बढ़ाने, स्थानीय मजदूरों को केन्द्र सरकार के नियमों के हिसाब से मजदूरी देने, स्थानीय योग्य ठेकेदारों का ईआइएल में पंजीयन करने, प्रभावित नमक खानों के मालिकों को न्यायालय के आदेशों के अनुसार मुआवजा देने, 70 फीसदी स्थानीय श्रमिकों को रोजगार देने की प्रमुख मांगों पर सहमति बनी।
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