हालांकि, एनआइए ने उदयपुर की घटना को आतंकी घटना नहीं माना है, लेकिन रीसर्चर चन्द्रवीर का दावा है कि उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या (kanhiyalal murder case) आतंक का नया तरीका है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाएं यूएस और यूके में कई बार हुई है। घटनाओं से जुड़े लोग किसी आतंकी संगठन के सदस्य हो, यह जरूरी नहीं। वे इंटरनेट इत्यादि के जरिए खुद को तैयार करते हैं। सरकार को चाहिए है कि ऐसे लोगों पर नजर रखें। सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे बड़ा चैलेंज है अतिवादी लोगों पर नजर रखना और उनकी पहचान करना। इसके लिए रीसर्च और प्रशिक्षण पर जोर देने की आवश्यकता है। चन्द्रवीर कहते हैं, उन्होंने सभी धर्मों को पढ़ा है, लेकिन गलत शिक्षा ही कट्टरपंथ का बड़ा कारण है।
बाड़मेर जिले के राणासर गांव हाल गांधी नगर बाड़मेर निवासी रेवतसिंह चौहान के पुत्र चन्द्रवीरसिंह चौहान ने केलिफोर्निया की मिडिलबरी कॉलेज से हाल ही पीजी किया। इस कॉलेज में दुनिया के कई देशों के विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। उन्होंने आतंक और कट्टरपंथ के मनोविज्ञान का बारीकी से अध्ययन किया। (Youth launched a campaign against terrorism )उन्होंने एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार की है। इसके लिए वे कई गांवों और शहरों और गलियों में भी घूमे है। उन्होंने ऐसे लोगों की विचारधारा का अध्ययन किया। वे गीता, कुरान, मनु स्मृति, ऋग्वेद का भी अध्ययन चुके हैं। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई में वे सरकारी एजेंसियों के साथ अपने अनुभव साझा करेंगे, ताकि प्रदेश में सौहार्द का भाव कायम रहे। इस लड़ाई को मनोविज्ञानिक तरीके से जीता जा सके।
बाड़मेर जिला सीमावर्ती है। यहां पड़ोसी देश पाकिस्तान आतंक फैलाने की नाकाम कोशिश अक्सर करता है। कई लोगों को लालच देकर देश विरोधी गतिविधियों में फंसा दिया जाता है। ऐसे में सरहद के लोगों को कट्टरपंथ से बचाने के लिए चन्द्रवीर की मुहिम कारगर साबित हो सकती है। आमजन में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी उन्होंने योजना तैयार की है।