scriptFury- प्रभावितों और नबआं ने जलाई किसान बिल की प्रतियां | Affected and Narmada Bachao Andolan burned copies of Kisan Bill | Patrika News

Fury- प्रभावितों और नबआं ने जलाई किसान बिल की प्रतियां

locationबड़वानीPublished: Sep 26, 2020 11:24:09 am

Submitted by:

tarunendra chauhan

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए बिल पर पुनर्विचार की मांग, किसान हित में हो काम अभा किसान संघर्ष समन्वय समिति की अपील पर किया विरोध

burned copies of Kisan Bill

burned copies of Kisan Bill

बड़वानी. नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं और डूब गांव पिछोड़ी के प्रभावितों ने शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा लाए किसान बिल की प्रतियां जलाई। विरोध प्रदर्शन का आयोजन 250 किसान संगठनों के मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की अपील पर किया गया। नबआं कार्यकर्ताओं ने बताया कि देश में किसान विरोधी बिलों को रद्द करने की मांग को लेकर किसानों द्वारा प्रतिरोध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसमें किसान संघर्ष समिति, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय से जुड़े संगठनों द्वारा मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

इसी क्रम में डूब गांव पिछोड़ी में भी विरोध प्रदर्शन कर बिलों को रद्द करने की मांग के साथ किसान हित में बिल लाने की आवाज प्रभावितों ने उठाई। इन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने किसानों को बर्बाद करने और कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए तीन किसान विरोधी बिल आवश्यक वस्तु कानून 1925 में संशोधन बिल, मंडी समिति एपीएमसी कानून (कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार संवर्धन व सुविधा बिल), ठेका खेती (मूल्य आश्वासन पर बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा बिल 2020 व एक प्रस्तावित नया संशोधित बिजली बिल 2020 लाकर कृषि क्षेत्र को कॉर्पोरेट के हवाले कर दिया है। वहीं इससे आजादी के बाद किए गए भूमि सुधारों को खत्म करने का रास्ता प्रशस्त कर दिया है। इनका आरोप है कि केंद्र सरकार किसानों को कार्पोरेट का गुलाम बनाने पर आमादा है। आंदोनलकारियों ने बताया कि अब तक बीज, खाद, कीटनाशक पर कॉर्पोरेट का कब्जा था। अब कृषि उपज और किसानों की जमीन पर भी कॉर्पोरेट का कब्जा हो जाएगा। विद्युत संशोधन बिल के माध्यम से सरकार बिजली के निजीकरण का रास्ता प्रशस्त कर रही है। जिसके बाद किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी समाप्त हो जाएगी। वहीं किसानों को महंगी बिजली खरीदनी होगी। केंद्र सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने की घोषणा की थी, लेकिन किसान विरोधी कानून लागू हो जाने के बाद किसानों की आमदनी आधी रह जाएगी। वहीं किसानों पर कर्ज बढ़ेगा।

अनियंत्रित हो जाएगी बेरोजगारी
नबआं कार्यकर्ताओं ने बताया कि वर्तमान में देश में बेरोजगारों की संख्या 15 करोड़ तक पहुंच गई है। ऐसी हालत में 6 5 प्रतिशत ग्रामीण आबादी के जीविकोपार्जन के साधन कृषि को बबार्द करने से बेरोजगारी अनियंत्रित हो जाएगी। इन्होंने बताया कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के किसान नेताओं ने किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति तथा लागत से डेढ़ गुना मूल्य की गारंटी संबंधी बिल सरकार को सौंपे थे। उस दौरान सरकार को इन बिलों को संसद में पारित कराने के लिए प्रेरित करने का अनुरोध किया था। उसके बाद भी सरकार ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया और नए बिल पास किए। विरोध प्रदर्शन करते हुए इन्होंने केंद्र सरकार ने किसानों की आवश्यकताएं पूर्ति करने की जगह किसानों की बर्बादी करने वाले बिल को अलौकतांत्रिक बताया है। साथ ही इसे किसानों पर थोपा जाना बताया है।

बिल वापस लेने की मांग
नबआं कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार द्वारा लाए तीनों बिलों को वापस लेने की मांग की है। इन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि वे इस मामले में संज्ञान लें। विरोध प्रदर्शन करते हुए संगठन कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने श्रम कानूनों को खत्म पर श्रमिकों को भी कोर्पोरेट का गुलाम बना दिया है। इन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि किसान मजदूर हितों की रक्षा करते हुए वे केंद्र सरकार द्वारा पारित कराए गए बिलों को सरकार को वापस भेजेंगे। साथ ही सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार कर बिलों को रद्द करने के लिए प्रेरित कर किसानों और मजदूरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का वहन करेंगे।

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