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सौंफ मंडी में व्यापारियों की मनमानी, खरीद रहे औने-पौने दाम में

locationबड़वानीPublished: Mar 04, 2019 10:39:34 am

दूर-दूर से आए किसानों को होना पड़ रहा व्यापारियों की मोनोपॉली का शिकार, मनमाने दाम तय कर रहे व्यापारी, किसानों को लागत भी नहीं मिल रही, मंडी प्रशासन ने झाड़ा पल्ला, कहा किसान और व्यापारी के बीच का मामला

Arbitrariness of merchants in saunf mandi

Arbitrariness of merchants in saunf mandi

ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. प्रदेश की सबसे बड़ी सौंफ मंडी में सौंफ के किसान व्यापारियों की मोनोपॉली का शिकार बन रहे है। सौंफ के सीजन में दूर दूर से आ रहे किसानों की मजबूरी का व्यापारियोंद्वारा जमकर फायदा उठाया जा रहा है।व्यापारियों की मनमानी के चलते किसानों की उपज औने-पौने दामों में खरीदी जा रही है।अन्य जिलों से आ रहे किसानों को मजबूरीवश अपनी उपज व्यापारी के दामों में बेचना पड़ रही है। मंडी प्रशासन का तर्क है कि ये किसान और व्यापारी के बीच का मामला है, दाम उन्हीं को मिलकर तय करना है।
सौंफ का सीजन अपने चरम पर है।हर सप्ताह बड़वानी कृषि उपज मंडी में करीबन दो हजार बोरी की आवक हो रही है। रविवार को भी दो हजार से ज्यादा बोरी की आवक रही। सौंफ का भाव भी 75 रुपए से लेकर 130 रुपए किलो तक ही रहा। बंपर आवक होने के बाद अब किसानों को भाव नहीं मिलने से परेशान होना पड़ रहा है। कम भाव होने से यहां कई किसान नाराज भी दिखे। किसानों का कहना था कि उत्पादन कितना भी करलें, लेकिन भाव सही नहीं मिलते हैं। उन्होंने बताया कि सौंफ की उपज को तैयार करने में बहुत मेहनत और ज्यादा खर्च लगता है। यहां जब भी माल बेचने आओ तो क्वालिटी ठीक नहीं बताकर व्यापारी भाव ही नहीं देते हैं।
किसानों के पास कोई विकल्प नहीं
किसानों ने बताया कि भाव बहुत कम मिल रहे हैं। इतने में खर्चा भी बैठा होना मुश्किल है। धार के डेहरी लोंगसारी से आए किसान गुलाब पिता डकरिया का कहना था कि तीन थैले सौंफ लाए थे, सिर्फ110 रुपए का भाव मिला। सौंफ की दूसरी मंडी दूर पड़ती है। यहां सौंफ लाकर बेचने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है। इसलिए उन्हें घाटा उठाना पड़ रहा है। नीमटोका धार से आए किसान मलतू ने बताया कि 1 क्विंटल सौंफ लाए थे, व्यापारी ने पहले बोला 127 का भाव देंगे, बाद में सिर्फ120 रुपए का भाव दिया। भुआदा धार से आए किसान नानू तेरसिंह ने बताया उसकी सौंफ अलग-अलग भाव बिकी। कुछ सौंफ को 90 रुपए तो कुछ को 112 रुपए का भाव दिया।
इंदौर के व्यापारी ही करते खरीदी
बड़वानी मंडी में करीब 140 लायसेंसी व्यापारी है, जो गेहूं, कपास, मक्का सहित अन्य उपज की खरीदी करते है। इसमें से सौंफ की खरीदी करने वाले मात्र 15 से 20 व्यापारी है वो भी इंदौर के। बड़वानी सौंफ मंडी में स्थानीय व्यापारियों के पास लायसेंस नहीं है। यहां खेरची में लोग पांच-दस किलो तक खरीदी तो कर सकते हैं, लेकिन स्थानीय व्यापारी को एक क्विंटल से ज्यादा उपज खरीदने की अनुमति नहीं है।थोक की खरीदी सिर्फ इंदौर के व्यापारी ही करते है। उल्लेखनीय है कि बड़वानी सौंफ मंडी में धार, खरगोन, अलीराजपुर, देवास तक के किसान अपनी उपज बेचने आते है। बाहर से आ रहे किसानों की मजबूरी का फायदा ये व्यापारी उठा रहे हैं।
फसल पर बादलों का संकट
सौंफ बचने आए किसानों ने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से हो रहे बादलों के कारण फसल पर संकट मंडरा रहा है। मावठे की बारिश हो गई तो सौंफ की फसल का बहुत नुकसान होगा। किसानों का कहना था कि प्रकृति की मार से बच भी जाएं तो भाव हमें आगे नहीं जाने देते। खेती अब घाटे का सौदा होती जा रही है। सौंफ उत्पादक किसान शोभाराम सोलंकी ने बताया कि मौसम बदलाव के चलते नमी बढऩे लगी है। इससे पौधों में लगी सौंफ में कालापन आने की चिंता बढऩे लगी है। ज्यादा बादल छाने से पौधे मुरझाने के साथ उत्पादन में कमी आती है।
हम नहीं तय करते उपज का भाव
मंडी में बिकने आ रही उपज का भाव मंडी द्वारा नहीं तय किया जाता। समर्थन मूल्य का भाव सरकार तय करती है। सौंफ के भाव में समर्थन मूृल्य नहीं मिलता। व्यापारी और किसान मिलकर भाव तय करते है। हमारे कर्मचारी इस पर नजर रखते है। हम व्यापारियों से भाव बढ़ाने को कह चुके हैं, लेकिन उनका कहना है कि माल की क्वालिटी के अनुसार ही भाव दिया जा रहा है।
सुमन बड़ोले, मंडी सचिव

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