बड़वानीPublished: Jul 05, 2019 10:58:25 am
मनीष अरोड़ा
अंतरराष्ट्रीय ऑर्म रेसलिंग प्रतियोगिता में दूसरी बार हुआ खिलाड़ी का चयन, चार रजत पदक विजेता दिव्यांग खिलाड़ी पहले भी नहीं जा पाया था प्रतियोगिता में, प्रशासन से लगाई गुहार, खेल को मान्यता नहीं होने से विभाग भी पशोपेश में
Arm wrestling competition
बड़वानी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने की तमन्ना हर खिलाड़ी की होती है। अपने बलबूते पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में चयन होने के बाद एक दिव्यांग खिलाड़ी सिर्फ रुपए के अभाव में खेलने नहीं जा पा रहा है। ऑर्म रेसलिंग (पंजा कुश्ती) में लगातार दो साल में चार रजत पदक जीत चुके दिव्यांग खिलाड़ी मनोज पटेल का दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ है। पहली बार भी मनोज रुपए के अभाव में प्रतियोगिता में नहीं जा पाया था। मनोज ने अब प्रशासन से गुहार लगाई है कि उसकी मदद करे। हालांकि मान्यता प्राप्त खेल नहीं होने से खेल विभाग भी उसकी मदद करने में असमर्थता जता रहा है।
जिला मुख्यालय से लगे डूब ग्राम भीलखेड़ा निवासी मनोज पटेल एक पैर से दिव्यांग है। मनोज ने दिव्यांगता को अभिशाप न मानते हुए उसे अपनी ताकत बनाया और 2005 में पढ़ाई के दौरान ग्वालियर में पंजा कुश्ती के खेल को अपनाया। स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही पिछले साल राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दो रजत (दोनों हाथ से पंजा लड़ाने में) जीते थे। तब मनोज का चयन तुर्की में होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हुआ था। कृषि विभाग में भूमि सर्वेयर की नौकरी करने वाले मनोज के पास इतना रुपया नहीं था कि प्रतियोगिता में जा पाए। इस बार मनोज ने भिलाई में हुई 43वीं राष्ट्रीय ऑर्म रेसलिंग प्रतियोगिता में दोनों हाथों से पंजा लड़ाकर दो रजत पदक जीते। मनोज का चयन सितंबर में रोमानिया में होने वाली प्रतियोगिता के लिए हुआ है।
1.50 लाख रुपए की जरूरत
मनोज ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए उसे 1.50 लाख रुपए लग रहे है। उसके पास इतनी बड़ी रकम नहीं है। यदि शासन कुछ मदद कर दे तो वो इस प्रतियोगिता में जा सकता है। हालांकि मप्र खेल विभाग द्वारा इस खेल को अभी मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन शासन अपनी ओर कुछ मदद कर सकता है। मनोज ने बताया कि अन्य प्रदेशों में इस खेल के लिए प्रशासन मदद करता है। उल्लेखनीय है कि ऑर्म रेसलिंग में प्रदेशभर के करीब 400 खिलाड़ी अपने भविष्य की राह तलाश रहे हैं। डब्ल्यूडब्ल्यूइ में भी इस खेल को मान्यता है। रोमानिया में होने वाली प्रतियोगिता के लिए देशभर के 14 खिलाडिय़ों का चयन हुआ है।
संस्था का ऐफिलेशन नहीं है
ऑर्म रेसलिंग की जिले में कोई एफिलेटेड संस्था नहीं है, यदि ऐफिलेशन नहीं है तो हम कुछ नहीं कर सकते। खिलाड़ी अपने खेल खर्च का ब्योरा दे तो शासन को भेज देते है। खिलाडिय़ों को साल में एक बार निर्धारित प्रोत्साहन राशि दी जाती है। बिना मान्यता प्राप्त खिलाडिय़ों को प्रोत्साहन राशि देना शासन पर निर्भर है।
-आरएस कलेश, जिला खेल अधिकारी