आमसभा को संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि गुजरात के पूर्व भाजपा मुख्यमंत्री के खुलासे से भी जाहिर हो चुका है कि बांध की नहरों की निर्माण स्थिति क्या है। 90 हजार किमी नहरों का निर्माण होना था। अभी भी 42 हजार किमी नहरों का निर्माण बाकी है, जो नहरें बनी हैं, उनसे भी कोका-कोला, कार फैक्ट्री, बड़े उद्योगों को पानी पहुंचाया जा रहा है। किसानों और प्यासी जनता की प्यास तो बुझी ही नहीं। गुजरात की जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है और नर्मदा घाटी के लोगों की बलि ली जा रही है वो भी जनता के रुपयों को पानी में बहाते हुए।
राजनीतिक फायदे के लिए जनसंहार
मेधा पाटकर ने कहा एक अनुमान के तहत नहर निर्माण की गति देखें तो बाकी बची नहरें अगले 11 साल में पूरी होंगी। सरकार इन नहरों के लिए हर साल नौ हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इस हिसाब से ११ साल में 99 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। क्या जनता के पैसे सिर्फ उद्योगपतियों के मुनाफे के लिए रह गए हंै। मोदी सरकार को ऐसी क्या जल्दी रही कि बांध के गेट बंद कर नर्मदा घाटी के लोगों को डुबोने की। जब नहर निर्माण अधूरा है, पुनर्वास अधूरा है तो ये सिर्फ राजनीतिक और उद्योगों के फायदे के लिए जनसंहार है और कुछ नहीं।
कांग्रेस विधायकों ने दिया समर्थन
जल सत्याग्रह के तीसरे दिन क्षेत्रीय कांग्रेस विधायक बाला बच्चन व कुक्षी विधायक सुरेंद्रसिंह बघेल भी नबआं के समर्थन में पहुंचे। विधायक द्वय ने पानी में उतरकर अपना समर्थन दिया। विधायक बाला बच्चन ने मीडिया से चर्चा में कहा कि कांग्रेस का पूरा समर्थन आंदोलन के साथ हैं। प्रजातंत्र में जब सत्ता को कुछ दिखाई नहीं देता हैं तो विपक्ष अपनी भूमिका से विरोध से सत्ता को आइना दिखाता हैं, लेकिन केंद्र और प्रदेश की सरकार विपक्ष की घाटी के लोगों की बात पर चर्चा करने को तैयार नहीं है। पुनर्वास नीति में कही पर भी टीनशेड का उल्लेख नहीं हैं। वहीं, सत्ता पक्ष के ठेकेदारों पर टीनशेड निर्माण में भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।
राजघाट पर लोगों की लगी भीड़, प्रशासन ने बढ़ाई सुरक्षा
बड़वानी ञ्च पत्रिका. राजघाट स्थित नर्मदा का जलस्तर रविवार को स्थिर हो गया। पिछले एक सप्ताह से बढ़ रहा नर्मदा का जलस्तर रविवार दिनभर १२९ मीटर पर थमा रहा। शनिवार तक बढ़े जलस्तर के चलते राजघाट के आसपास कई किमी में जल जमाव हो गया और पानी खेतों में घुस गया। आशंका जताई जा रही थी कि जलस्तर ओर बढ़ेगा, जिसके चलते राजघाट में रह रहे लोगों ने अपने घर खाली कर दिए थे। वहीं, लगातार बढ़ते जलस्तर से खेत मालिकों को भी चिंता सता रही थी।
रविवार को जलस्तर थमने से खेत मालिकों ने भी राहत की सांस ली है। रविवार को छुट्टी का दिन होने से बड़ी संख्या में लोग राजघाट पहुंचे। यहां लोगों ने घुटने-घुटने पानी में जाकर सेल्फी भी ली।
उल्लेखनीय है कि जलस्तर बढऩे से राजघाट पुल, गांधी समाधि पूरी तरह से डूब चुकी है। वहीं, दत्त मंदिर के अंदर भी पानी पहुंच गया है। ऊपरी बांधों से पानी छोडऩा बंद किए जाने और सरदार सरोवर बांध के गेट खोले जाने से जलस्तर कम होने की संभावना जताई जा रही है।