बड़वानी से यह स्थान करीब 8 किमी दूर है। भगवान आदिनाथ की प्रतिमा एक पत्थर पर बनाई गई है। माना जाता है कि इस मूर्ति का निर्माण रामायणकाल में हुआ था। 20वें तीर्थंकर भगवान सुव्रतनाथ के समय में ये प्रतिमा पूरी हुई थी। 12वीं शताब्दी में इसका उल्लेख भी मिलता है। सिद्ध क्षेत्र (Bawangaja Temple) के बारे में प्रसिद्ध है कि यहां पर रावण, कुंभकर्ण ओर मेघनांद को मोक्ष प्राप्त हुआ था। इनका 4002 फीट ऊंचाई पर बने सिद्ध क्षेत्र चूलगिरी में एक विशाल जिनालय भी है। रावण की पटरानी मंदोदरी ने अस्सी हजार विद्याधारियों के साथ आर्यिका दीक्षा ग्रहण की थी। मंदोदरी पहाड़ी पर सती मंदोदरी का मंदिर भी बना हुआ है।
ऐसे पहुंचे बावनगजा
08 किमी शहर से दूरी
157 किमी इंदौर से दूरी
188 किमी खंडवा से दूरी
बावनगजा में होगा अंतरराष्ट्रीय महामस्तकाभिषेक
भारत गौरव गणिनी प्रमुख आर्यिका ज्ञानमती माताजी की मंगल प्रेरणा और आशीर्वाद से महाराष्ट्र के नासिक जिले के मंगीतुंगी सिद्ध क्षेत्र जिसको की दक्षिण का सम्मेद शिखर भी कहते है, जहां से 99 करोड़ मुनियों सहित राम, हनुमान और सुग्रीव मोक्ष को प्राप्त हुए है। इस पावन वसुंधरा पर एक ही पाषण पर उत्कीर्ण भगवान आदिनाथ की 108 फीट उत्तुंग प्रतिमा, जो कि विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा है, यहां पंचकल्याणक के 6 वर्ष बाद अंतरराष्ट्रीय अभिषेक (mahamastakabhisheka) करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। यह महोत्सव दिनांक 15 से 30 जून तक राष्ट्र संत गणिनी आर्यिका सुप्रकाश मति माताजी के ससंघ और कई मुनिराज की उपस्थिति में भट्टारक रविन्द्र कीर्ति के निर्देशन में संपन्न होगा। पुलक चेतना मंच निमाड़ इकाई के अध्यक्ष पदम् काला ने पूरे निमाड़, मालवा और देश भर के समाज से इस कार्यक्रम में शामिल होने का आह्वान किया है। समाज के मनीष जैन ने बताया कि दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र पावागिरी जी ऊन कमेटी, पार्श्वगिरी कमेटी बड़वानी, जैन समाज ने भी देश, विदेश में रहने वाले सजातीय बंधुओं से इस महामहोत्सव में शामिल होने का निमंत्रण दे रहे है।