script10 साल से बिना पैथालॉजिस्ट के चल रहा ब्लड बैंक | Blood bank running without a pathologist for 10 years | Patrika News

10 साल से बिना पैथालॉजिस्ट के चल रहा ब्लड बैंक

locationबड़वानीPublished: Feb 16, 2019 11:10:40 am

दो साल से ब्लड बैंक लायसेंस का भी नहीं हुआ रीनिवल, थेलेसिमिया और एनिमिया से ग्रस्त जिले में सरकारी चूक न बन जाए जानलेवा, चार जिलों के सैकड़ों मरीज रोजाना आते यहां जांच के लिए

खबर लेखन : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. अपने उन्नयन की राह देख रहे जिला अस्पताल में यूं तो कई संसाधनों के साथ डॉक्टरों की भी कमी है, लेकिन महत्वपूर्ण यूनिट ब्लड बैंक पिछले 10 साल से बिना पैथालॉजिस्ट के चल रहा है। इतना ही नहीं ब्लड बैंक का पिछले दो साल से सेंट्रल ड्रग्स एथॉर्टी से लायसेंस रीनिवल भी नहीं हुआ है। उल्लेखनीय है कि आदिवासी जिले में थेलेसिमिया और एनिमिया के मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है। वहीं, जिला अस्पताल में आसपास के चार जिलों के मरीज भी इलाज के लिए आते है।
जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में 10 साल पहले तक पैथालॉजिस्ट डॉ. मोहन गुप्ता पदस्थ थे। उनके निधन के बाद से ये पद खाली पड़ा है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में प्रतिदिन 30 से 40 यूनिट ब्लड की खपत होती है। सालभर में करीब 10 हजार यूनिट ब्लड जिला अस्पताल के मरीजों को लगता है।ब्लड बैंक में वर्तमान में पांच तकनीशियन काम संभाल रहे है।समय समय पर लगने वाले ब्लड डोनेशन शिविर की जिम्मेदारी भी इन्हीं तकनीशियनों को उठानी पड़ती है। पैथालॉजिस्ट की मांग यहां लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अब तक पदपूर्ति नहीं हो पाई है। लंबे समय से पैथालॉजिस्ट का पद नहीं भरने से सारा दारोमदार लैब तकनीशियनों पर है। एक जरा सी चूक भी इन तकनीशियनों पर भारी पड़ सकती है।
22 मरीज थेलेसिमिया के आते नियमित
जिले के पहाड़ी इलाकों में थेलेसिमिया की बीमारी से कई लोग पीडि़त है। इसमें से 20 मरीज तो नियमित ब्लड बैंक में आते हैं, जिन्हें रक्त उपलब्ध कराना जरूरी होता है। वहीं, जिले में एनिमिया ग्रसित महिलाओं की संख्या भी बहुत ज्यादा है। जिला अस्पताल में 1 अप्रैल 2018 से 31 जनवरी 2019 तक 8981 यूनिट ब्लड की खपत हुई थी। जिसमें से 60 प्रतिशत ब्लड तो एनिमिया ग्रसित गर्भवती महिलाओं, प्रसूताओं को लगा था। थेलेसिमिया और एनिमिया ग्रसित मरीजों की संख्या ज्यादा होने के बाद भी जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में पैथालॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं होना अपने आप में एक आश्चर्य का विषय बना हुआ है। अस्पताल प्रबंधन का एक ही जवाब होता है हमने शासन को लिखा है, वहां से पूर्ति नहीं हो पा रही है।
लायसेंस भी नहीं हो रहा रीनिवल
शासकीय संस्था हो या निजी अस्पताल ब्लड बैंक के लिए फूड एंड ड्रग्स विभाग की सेंट्रल ड्रग्स एथॉर्टी से लायसेंस होना अनिवार्य है। विभाग द्वारा हर तीन साल में लायसेंस का नवीनीकरण किया जाता है। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक का लायसेंस समाप्त हुए दो वर्ष होने को है। ब्लड बैंक की ओर से वर्ष 2017 में लायसेंस रीनिवल की प्रक्रिया की गई थी। जिसके लिए लायसेंस फीस 7500 रुपए भी भर दी गईथी। सभी कागजी खानापूर्तिहोने के बाद भी अब तक ब्लड बैंक का लायसेंस रीनिवल नहीं हुआ है।
लाखों की मशीन भी धूल खा रही
जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में ब्लड सेप्रेशन यूनिट भी आरंभ करने की बात की गई थी। इसके लिए पिछले साल आए 37 लाख के बजट में से ब्लड सेप्रेटर मशीन भी खरीदी गई थी। जगह के अभाव में अभी तक ब्लड सेप्रेशन यूनिट भी आरंभ नहीं हो पाया है। इस यूनिट के लिए एक हजार स्क्वेयर फीट की जगह में सात कमरों का निर्माण होना है। जिसमें रिसेप्शन रूम, डोनर रूम, डोनर विश्राम कक्ष, लेबोरेटरी, स्टोर, कार्यालय सहित अन्य कार्यो के लिए अलग-अलग कक्ष बनाए जाने है। उल्लेखनीय हैकि वर्तमान में जिस भवन में ब्लड बैंक का संचालन किया जा रहा है, वह ओपीडी के लिए है। और यह भवन करीब 22 साल पुराना भवन है। यहां पर तैसे-तैसे ब्लड बैंक का संचालन किया जा रहा है, जो किसी भी लिहाज से उपयुक्त नही है। कई मरीजों को केवल जरूरी तत्वों की जरूरत होती है
दो साल पहले कर दी प्रक्रिया
लायसेंस रीनिवल के लिए दो साल पहले ही सारी प्रक्रिया पूरी कर दी गई थी। ऊपर से ही लायसेंस रीनिवल की प्रक्रिया रुकी हुई है।ब्लड सेप्रेशन यूनिट के लिए डायरेक्टर हेल्थ को प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। वहां से स्वीकृति होना बाकी है।
डॉ असीम राय, प्रभारी ब्लड बैंक जिला अस्पताल
1 करोड़ 10 लाख का प्रस्ताव बनाकर भेजा है
ब्लड सेप्रेशन यूनिट के लिए भोपाल उच्च अधिकारियों से चर्चा कर 1 करोड़ 10 लाख का नया प्रस्ताव बनाकर भेजा है। जिसमें ब्लड कंपोनेंट यूनिट ही अलग बनेगा। पैथालॉजिस्ट की मांग हर माह शासन को पत्र भेजकर की जा रही है।
-अनिता सिंगारे, सिविल सर्जन जिला अस्पताल बड़वानी

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