बड़वानीPublished: Feb 12, 2020 11:24:28 am
vishal yadav
बारिश ज्यादा होने से बढ़ा है गेहूं की फसल का रकबा, उपज अधिक होने से होगा किसानों को फायदा, तीन सालों से लगातार हो रही है वृद्धि
Bumper production of wheat expected this year
बड़वानी. इस साल मानसून की बारिश अधिक होने के बाद रबी सीजन में गेहूं की बोवनी का रबका बढ़ा है। क्षेत्र में जलस्तर बेहतर होने के बाद यहां के किसानों ने गेहूं की बोवनी अधिक की है। बोवनी अधिक होने के साथ ही इस बार पिछले सालों की तुलना में गेहूं का उत्पादन भी अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
कृषि विभाग के अनुसार इस साल जिले में 81 हजार 560 हेक्टर में गेहूं की बोवनी हुई है। वहीं विभाग के अनुमान के अनुसार इस साल गेहूं का उत्पादन 293616 मीट्रिक टन होने की संभावना है। पिछले साल जिले में 66 हजार 500 हेक्टर रकबे में किसानों ने गेहूं की बोवनी की थी, जिससे 238205 मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ था जो इस साल होने वाले उत्पादन से कम रहा। वहीं वर्ष 2017-18 में जिलेभर में 61 हजार हेक्टर में गेहूं बोया गया था। तब 216550 मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन रहा। पिछले तीन सालों में जिले में हुए गेहूं के उत्पादन को देखें तो ये हर साल बढ़ता ही जा रहा है।
मौसम ने दिया किसानों का साथ
जिलेभर में किसान अब परंपरागत खेती को छोड़ कृषि की नई तकनीकों का उपयोग कर खेती को लाभ का धंधा बनाने में लगे हुए हैं। इस साल किसानों ने बेहतर बारिश को देखते हुए गेहूं की बोवनी ज्यादा की है। वहीं इस साल मौसम ने भी किसानों का पूरा साथ दिया है। हालांकि बार-बार होने वाले बादलों से किसान परेशान थे कि कहीं मावठे की बारिश न हो जाए। लेकिन इस बार मौसम की मार रबी सीजन में किसानों पर नहीं पड़ी। मौसम अच्छा होने से गेहूं की फसल की बढ़वार भी सही रही। इससे उपज में वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा है।
मानसून की बारिश अधिक
ज्यादा बारिश के कारण क्षेत्र में जलस्तर में काफी सुधार हुआ है। इससे जो किसान पूर्व के सालों में गेहूं की बोवनी पानी की कमी के कारण नहीं कर पाते थे, उन्होंने ने भी अपने खेतों में गेहूं की बुआई की है। इससे जिले में रकबा भी बढ़ा है। बारिश ज्यादा होने से सिंचित क्षेत्र में वृद्धि हुई है। इससे भी उत्पादन पर असर पड़ेगा।
खेती में ये रहा खास…
कीट प्रकोप नहीं
मौसम अनुकुल होने से गेहूं की फसल में कीट व्याधियां नहीं लग पाई। बादलों के छाने से कुछ जगहों पर थोड़ा प्रभाव फसलों पर पड़ा, लेकिन किसानों ने समय रहते कीट प्रबंधन कर फसलों को बेहतर बनाए रखा।
खाद-बीज की व्यवस्था
जिले में इस साल खाद और बीज के लिए किसानों को ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ा। गेहूं की फसल में पहला पानी देने के दौरान जरुर यूरिया खाद की किल्लत हुई, लेकिन इस दौरान भी किसानों को खाद उपलब्ध होता रहा। इससे किसान समय पर अपने खेतों में खाद डाल पाए।
रकबा बढ़ा
इस साल जलस्तर बेहतर होने और इंदिरा सागर परियोजना की नहरों के कारण बुआई का रकबा बढ़ा है। जिन क्षेत्रों में पानी की कमी थी, उन क्षेत्रों में नहर के जाने से किसानों का इसका लाभ हुआ और बुआई के रकबा पिछले साल की तुलना में अधिक हुआ है।
उन्नत बीज व नई तकनीक
इसके साथ ही किसान अब खेती में अच्छी क्वालिटी के बीजों का चयन कर बुआई कर रहे हैं। वहीं किसान तकनीकी खेती पर ध्यान देकर फसलों को बेहतर बना रहे हैं। इससे भी खासा असर हुआ है।
वर्ष – रकबा – प्रति हेक्टर उत्पादन -कुल उत्पादन
2017-18- 61000 रकबा – 35.50 मीट्रिक टन – 216550 मीट्रिक टन
2018-19- 66500 रकबा – 35.85 मीट्रिक टन – 238402 मीट्रिक टन
2019-20- 81560 रकबा- 36.00 मीट्रिक टन – 293616 मीट्रिक टन
वर्जन…
पिछले सालों की तुलना में इस वर्ष गेहूं की बुआई का रकबा बढ़ा है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि उत्पादन में भी वृद्धि होगी। इस साल गेहूं का उत्पादन अधिक होगा।
केएस खपेडिय़ा, उप संचालक कृषि बड़वानी