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Patrika Exclusive : जनपद पंचायत के हाई प्रोफाइल सचिवों से छीने एक से अधिक पंचायतों के प्रभार

locationबड़वानीPublished: Feb 04, 2019 11:21:02 am

जनपद सीईओ ने आदेश देकर सभी सचिवों को दी सिर्फ एक पंचायत की जिम्मेदारी सौंपी, विधानसभा में उठाएंगे पंचायतों में हुए भ्रष्टाचार का मुद्दा

Charge of more than one panchayat sealed from high profile secretaries

Charge of more than one panchayat sealed from high profile secretaries

ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी/सेंधवा. सेंधवा जनपद पंचायत में पूर्व सीईओ सहित कई जिम्मेदार अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर जनपद क्षेत्र की ग्राम पंचायतों को अपने खास और हाई प्रोफाइल सचिवों को बांट दी। शासकीय कार्य में सुविधा के नाम पर ग्राम पंचायतों में सचिवों की नियुक्ति में मनमानी की गई और एक सचिव को एक से अधिक पंचायतों के प्रभार सौंप दिए।अब विरोध होने और मुद्दा गर्माता देख अधिकारी बैकफुट पर आ गए है। नए आदेश के बाद सेंधवा विकासखंड की सभी 114 ग्राम पंचायतों में वापस अब सिर्फ एक सचिव को एक ग्राम पंचायत का प्रभार देने के आदेश जारी किए है। मनमानी का आलम ये था कि जिला पंचायत के जिम्मेदार भी सब कुछ जानते हुए चुप्पी धारण किए हुए थे।
14 सचिवों को कैसे मिल गए 40 पंचायतों के प्रभार
बड़वानी जिले के सबसे बड़े सेंधवा जनपद पंचायत के अधिकारियों की मनमानी का आलम ये रहा कि नियमों को ताक पर रखते हुए 14 सचिवों को 40 से अधिक ग्राम पंचायतों का प्रभारी बना दिया। सचिवों की मूल पंचायत के बाद भी किसी को दो तो किसी को 5 अतिरिक्त पंचायतों का प्रभार दिया गया। कई विरोधों को दरकिनार करते हुए अधिकारियों ने अपनों को रेवडिय़ा बांट दी। इन ग्राम पंचायतों में शान की योजनाओं में काम नहीं होने और ग्रामीणों के लगातार परेशान होने की खबरें आती रही है, लेकिन अधिकारियों ने सीटिंग और आर्थिक गणित के चलते सचिवों को कोई हिला नहीं पाया। पिछले कई महीनों से पदस्थ सचिवों में ग्राम पंचायतों में करोड़ों रुपयों के निर्माण कार्य कराए है। अब इनके कार्यों की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न उठ रहे है।
राजपत्र के नियमों की अवहेलना की
पूर्व नपाध्यक्ष राजेंद्र मोतियानी और विजय पाठक ने बताया कि नियमों के हिसाब से कई ग्राम पंचायत ऐसी थी। जहां या तो सचिवों पर अनियमितता की कार्रवाई की गई थी या उन्हें पद से हटाया गया था। मप्र राजपत्र के अनुसार पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी नियमों के तहत जब कोई ग्राम पंचायत सचिव विहीन है, तो अधिकारी को समीपस्थ ग्राम पंचायत के सचिव को प्रभार देकर नए सचिव की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। लेकिन इस नियम की अधिकारियों ने अवहेलना करते हुए मनमानी नियुक्ति की गई।
1 फरवरी को जनपद सीईओ ने जारी किया फरमान
जनपद पंचायत कार्यालय सेंधवा के सीईओ रोहित पचोरी द्वारा 1 फरवरी को आदेश जारी कर सभी 114 ग्राम पंचायतों में सिर्फ एक सचिव को प्रभार दिए जाने का आदेश जारी किए। अपने आदेश में पचौरी ने लिखा कि कार्यसुविधा की दृष्टि और ग्राम पंचायतों में शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं को सुचारु क्रियांवयन के लिए शासन के निर्देशानुसार एक पंचायत एक सचिव व्यवस्था के तहत जनपद पंचायत सेंधवा क्षेत्र में प्रभार दिया गया है। सभी सचिवों को जिनके पास अतिरिक्त पंचायतों का प्रभार है, उन्हें सिर्फ एक पंचायत की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिन ग्राम पंचायतों में वर्तमान में सचिव का पद रिक्त है। वहां जल्द नियुक्ति किए जाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अपने आदेश की प्रति सीईओ पचोरी द्वारा जिला कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, अनुविभागीय अधिकारी सेंधवा, तहसीलदार सेंधवा, सभी बैंक के शाखा प्रबंधकों, कार्यक्रम अधिकारियों, ग्राम पंचायत सरपंच को भेजी गई है। इससे सभी को नए नियमों की जानकारी मिल जाए और किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी या भ्रष्टाचार ना हो सके।
विधानसभा में प्रश्न उठाकर नियुक्तियों में मनमानी का मुद्दा उठाएंगे
मोतियानी और पाठक ने बताया कि मनमानी कर की गई नियुक्ति से क्षेत्र में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है। गरीब आदिवासियों का हक उन्हें नहीं मिल है। ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्यों की बात हो या शासकीय योजनाओं के क्रियांवयन की हर क्षेत्र में भारी अनियमितता की शिकायत मिली है। उन्होंने कहा कि विधायक ग्यारसीलाल रावत के माध्यम से विधानसभा में प्रश्न उठाकर नियुक्तियों में हुई मनमानी और संभावित भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएंगे।
वर्जन…
सेंधवा विकासखंड में हर ग्राम पंचायत में शासन की योजनाओं को सुचारु करने के लिए एक पंचायत एक सचिव के आदेश जारी की है। कुछ पंचायतों में सचिवों की नियुक्ति नहीं है।उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। योजनाओं के क्रियांवयन में कोई समस्या नहीं आए। इसलिए आदेश जारी किया है। पूर्व में एक सचिव को दो-दो या दो से अधिक पंचायतों का प्रभार दिया गया था। हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है।
-रोहित पचौरी, सीईओ जनपद पंचायत सेंधवा

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