जानकारी के मुताबिक 20 अगस्त 2014 को मृतिका जुगनीबाई का अपने पति चतरिया से विवाद हुआ था। 6 सितंबर 2014 को मृतिका जुगनीबाई की गुमशुदगी की रिपोर्ट उसके भाई रवि ने पुलिस से की थी। इसके बाद पुलिस जुगनीबाई को तलाश रही थी। जब पुलिस उसकी तलाश करते खदान मोहल्ला स्थित उसके घर पहुंची तो घर में ताला लगा मिला। इसके बाद पुलिस ने घर का ताला तोड़ घर में प्रवेश किया। घर में काफी दुर्गंध फैली हुई थी। इसकी जानकारी आसपास के लोगों ने पुलिस को दी। घर के अंदर बेदी बनी हुई पुलिस को मिली। जब पुलिस ने इसकी खुदाई की तो 7 सितंबर 2014 को जुगनीबाई का शव जमीन में मिला। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद सारे साक्ष्य जुटा लिए। वहीं महिला का पति चतरिया पिता खुमसिंह और उसकी सास भूरीबाई पति राजू दोनों फरार हो गए थे।
आरोपी 6 साल बाद चढ़े थे पुलिस के हत्थे
जुगनीबाई की हत्या के बाद उसके पति चतरिया ने अपनी सास भूरीबाई के साथ मिलकर घर में ही गड्ढा खोदकर शव को दफना दिया था। इसके बाद बेदी बनाकर दोनों बच्चों को लेकर फरार हो गए थे। इस सनसनीखेज मामले में पुलिस दोनों को तलाश कर रही थी। करीब 6 साल बाद आरोपी गुजरात से पकड़ाया था। इसके बाद पुलिस ने न्यायालय में मामला पेश किया था।
अब जेल में रहेंगे
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद कुमार तिवारी ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए आरोपियों को सजा सुनाई। प्रकरण के विचारण में आई साक्ष्य परिस्थिति जन्य साक्ष्य एवं रासायनिक परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर अभियुक्त चतरिया को भादंवि की धारा 302 का दोषी पाते हुए अपराध धारा 302 में आजीवन कारावास तथा 1 हजार रुपए का अर्थदंड एवं धारा 201 भादंवि के तहत अभियुक्त चतरिया एवं भूरीबाई को सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए के अर्थदंड से दंडित करने के आदेश दिए हैं। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी लोक अभियोजक हेमेंद्र कुमरावत ने की।