षड्यंत्र किया था तैयार
मेधा पाटकर ने बताया कि सरदार सरोवर बांध परियोजना से प्रभावित परिवारों के लिए किसी भी कानून या सर्वोच्च अदालत के फैसले, राज्य की पुनर्वास नीति में कहीं भी टीन शेड बनाने का जिक्र नहीं है। मप्र सरकार ने डूब प्रभावितों को जबरदस्ती हटाने के लिए टेंडर से पहले ही टीन शेड बनाए जो गैरकानूनी है। भाजपा सरकार ने अपने पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए ये षड्यंत्र तैयार किया था, जिसमें अब सरकार खुद ही फंस चुकी है। अब इन टीन शेड को तोडऩे का काम भी भाजपा के बड़े पदाधिकारी ठेकेदारों के खाते में जा चुका है।
करोड़ों की बंदरबांट में विस्थापितों को कोई लाभ नहीं
मेेधा पाटकर ने बताया जून 2017 से सितंबर तक चले सत्याग्रही आंदोलन के चलते मप्र सरकार को विस्थापितों के हक में 900 करोड़ की घोषणा करना पड़ी थी। इसमें से कई करोड़ रुपए अस्थाई पुनर्वास के नाम पर बनाए हजारों टीन शेड, भोजन शिविर, मवेशियों के लिए चारा का ठेका देने पर खर्च किए गए। इसका कोई लाभ विस्थापितों को नहीं मिला। इन अस्थाई पुनर्वास में रहने के लिए कोई गया ही नहीं और करोड़ों की राशि सत्ताधारी भाजपा के पदाधिकारियों ने हड़प ली। इसमें अंजड़ टीन शेड के लिए 1.61 करोड़, अवल्दा-सौंदुल टीन शेड के लिए 1.81 करोड़ और पाटी नाका टीन शेड के लिए 1.81 करोड़ रुपए का भुगतान भाजपा के पदाधिकारी ठेकेदारों को हुआ है।
शासक-प्रशासक दोनों भ्रष्टाचार में लिप्त
मेधा पाटकर ने बताया कि मप्र सरकार नर्मदा भक्ति का दावा कर रही है, जबकि नर्मदा की रेत, पानी, भूमि पर कॉर्पोरेट द्वारा लूट की जा रही है। मप्र के शासक-प्रशासक और उनके पदाधिकारी ठेकेदार भ्रष्टाचार की लूट में शामिल है। पुनर्वास में अंधाधूंध भूखंड बंटवारा व भुगतान में भी भारी भ्रष्टाचार हुआ है। सरदार सरोवर बांध के विस्थापितोंके लिए बनी आर्थिक पूंजी में शासन के लोगों ने ही भ्रष्टाचार कर अपना घर भरा और विस्थापित आज भी मूल गांवों में अपने हक की राह देख रहे है।
फिजुलखर्च की राशि से हो जाता पुनर्वास
मेधा पाटकर ने बताया कि बड़वानी जिले में अस्थाई टीन शेड के लिए 5.23 करोड़ रुपए फिजुल खर्च किए गए। इन अस्थाई टीन शेड में एक भी परिवार रहने को नहीं गया। ये रुपया अगर विस्थापितों को मिल जाता तो कईयों का पुनर्वास हो जाता। नबआं पिछले 32 साल से लगातार नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसला, सर्वोच्च अदालत के फैसले, पुनर्वास नीति के अनुसार लाभ दिए जाने की मांग कर रहा है। यदि इन फैसलों और नीतियों पर लाभ दिया जाता तो मप्र शासन को करोड़ों खर्च नहीं करना पड़ता। आज भी विस्थापितों का संपूर्ण पुनर्वास होना बाकी है। अब भी मप्र सरकार, एनवीडीए द्वारा नर्मदा ट्रिब्यूनल, सर्वोच्च अदालत, राज्य की पुनर्वास नीतियों का पालन नहीं कर रही है। जिसकी वजह से हजारों पात्र विस्थापित भटकने को मजबूर है।
फैक्ट फाइल…
3 स्थानों पर बनाए गए थे अस्थाई टीन शेड।
5.23 करोड़ रुपए खर्च हुए थे टीन शेड पर।
3 हजार अस्थाई टीन शेड का किया था निर्माण।
9 सौ करोड़ का पैकेज दिया है मुख्यमंत्री ने।
31 जुलाई से तीन माह के लिए बने थे टीन शेड।