scriptकस्टम हायरिंग योजना : न ट्रैक्टर का पता न कल्टीवेटर का, विभाग भी अनजान | Custom hiring scheme started for farmers | Patrika News

कस्टम हायरिंग योजना : न ट्रैक्टर का पता न कल्टीवेटर का, विभाग भी अनजान

locationबड़वानीPublished: Dec 09, 2018 11:53:42 am

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई करोडों की योजना,साधनहीन किसानों के लिए शुरू हुई थी कस्टम हायरिंग योजना, किसानों को सस्ते में उपलब्ध कराना थे किराये के कृषि उपकरण,

Custom hiring scheme started for farmers

Custom hiring scheme started for farmers

खबर एडिट : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी/अंजड़. जिले में 6 साल पहले प्रारंभ की गई कस्टम हायरिंग योजना का लाभ किसानों तक नहीं पहुंचा और बंद हो गई। महत्वपूर्ण बात तो ये है कि इस योजना के लिए जिले की सोसायटियों कि सहकारी संस्थाओं को करीब एक करोड़ से ज्यादा के कृषि यंत्र भी अब जर्जर हो चुके है। कई जगह तो कृषि यंत्र 2 साल से बिगड़े पड़े है, तो कहीं बहुत सी सामग्री है नदारत। जो मौजूद है, वह भी दिनों दिन कबाड़ में तब्दील होते जा रहे है। इसके अलावा कई यंत्र समितियों ने गुम कर दिए है। जिनका अधिकारियों के पास भी इनका कोई रिकार्ड नहीं है।
वर्ष 2011-12 में शुरू हुई थी योजना
दरअसल वर्ष 2011-12 में शुरू की गई इस योजना के तहत बड़वानी जिले की विपणन सहकारी समितियों और आदिम जाती सोसायटियों में कस्टम हायरिंग केंद्र बनाए गए है। इसको सहकारिता विभाग द्वारा चिह्नित 5 केंद्र उप पंजीयक के माध्यम से संचालित है। इस प्रकार जिले में कुल 5 केंद्रों पर एक-एक ट्रैक्टर, प्लाऊ, रोटावेटर, कल्टीवेटर, सीडड्रिल कम फर्टिलाइजर ड्रिल व ट्रैक्टर चलित थ्रेसर उपकरण दिया गया था। ये उपकरण किसानों को 400-500 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से किराए पर दिए जाने थे, ताकि जिन किसानों के पास कृषि यंत्र नहीं है। वह आसानी से खेती कर सकें, लेकिन समितियों द्वारा कृषि यंत्रों का रखरखाव न किए जाने एवं अपने चहेतों को इसका लाभ देने के कारण किसानों का इस योजना के प्रति मोह भंग हो गया और करोड़ो की योजना पर पानी फिर गया।
राजपुर क्षेत्र कि मार्केटिंग संस्था जांच में पाई गई थी गड़बड़ी
करीब एक माह पहले शासन के निर्देश पर मार्केटिंग सोसायटी की जांच की गई थी। जहां पर कास्टम हायरिंग योजना में काफी गड़बड़ी पाई गई और पुलिस विभाग में कार्रवाई भी की गई है। सहकारिता विभाग के प्रदीप रावत ने बताया कि प्रबंधक द्वारा अनियमितता पाई गई है। अधिकतर संस्थाओं के यहां रखे सभी कृषि यंत्र जर्जर व कबाड़ में तब्दील होना पाए गए हैं। ठीकरी की मार्केटिंग समिति में तो कृषि यंत्र गायब हो चुके हैं। न तो कार्यालय का और ना हीं उन कृषि उपकरणों का कोई अता-पता है।
किसानों ने कहा योजना की जानकारी ही नहीं
भले ही इस योजना की शुरुआत 2-3 साल पहले की जा चुकी है, लेकिन अधिकांश किसानों को योजना के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। वहीं जिला सहकारी बैंक में तो इस योजना के तहत विगत वर्षों में कितने किसान लाभांवित हुए इसकी जानकारी भी उपलब्ध नहीं है। इससे शासन की ये महत्वपूर्ण योजना का लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
बड़वानी जिले में खोले गए थे 5 केंद्र
ये कस्टम हायरिंग अभियांत्रिकी और सहकारिता विभाग के सहयोग से कस्टम हायरिंग केंद्र खोलने के लिए जिले कि 5 हितग्राही संस्थाओं को अनुदान दिया गया था। इनके द्वारा बड़वानी, ठीकरी, राजपुर, सेंधवा, पानसेमल ब्लॉक में केंद्र खोले गए, लेकिन इन केंद्रों के खुलने के बाद विभागों की अनदेखी के चलते जिसका लाभ किसानों को आज तक नहीं मिला है। विपणन सहकारी संस्था सेंधवा के तहत आदिम जाति सेवा सहकारी संस्था गवाड़ी में कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से किसानों को कृषि आदान किराए पर दिए जा रहे है। वहीं खांडेराव विपणन सहकारी संस्था ठीकरी, शुभम विपणन सहकारी संस्था पानसेमल, श्रीराम विपणन सहकारी संस्था ठीकरी में से मार्केटिंग ने नहीं चलाए और राजपुर की श्रीराम विपणन सहकारी संस्था का कस्टम हायरिंग सेंटर का टै्रक्टर और मशीनरी गायब है। जिसका आज तक पता नहीं चला है।
कमिश्नर से की थी शिकायत
हमें बाद में पता चला कि समिति के नाम से ट्रैक्टर व अन्य सामान आया था। जब पता कराया तो जानकारी मिली कि किसी ने नकली हस्ताक्षर कर समिति के नाम से सामान ले लिया था। इसकी शिकायत संभागायुक्त इंदौर से की गई थी। जिसके बाद विभाग ने एफआईआर करवाई।
हुकुमचंद राठौर, अध्यक्ष श्रीराम मार्केटिंग राजपुर
मेरे समय का मामला नहीं
कस्टम हायरिंग सेंटर का पूरा लेखा-जोखा संस्थाओं के पास होता है। हमने कुल पांच कस्टम हायरिंग सेंटर खोले है। सामान चोरी का मामला मेरे समय का नहीं हैं। तत्कालीन अधिकारी ने इस मामले में चोरी का केस भी दर्ज करवाया था।
राजू रावत, सहायक आयुक्त सहकारिता विभाग बड़वानी
नहीं चल रही इस तरह की योजना
मैं राजपुर क्षेत्र में रहता हूं। कस्टम हायरिंग योजना के संंबंधित किसी भी प्रकार कोई योजना नहीं चलाई जा रही है। कुछ एक साल पहले खबर पढऩे में आई थी, लेकिन किसानों को इस प्रकार की कोई योजना का लाभ हमारे क्षेत्र में नहीं मिला है।
-मंशाराम पंचोले, जिलाध्यक्ष भारतीय किसान संघ

ट्रेंडिंग वीडियो