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रसायनों के प्रयोग से बंजर हो रही मिट्टी, 1640 किसानों ने कराया परीक्षण

locationबड़वानीPublished: Apr 30, 2019 10:22:27 am

मिट्टी में नाईट्रोजन की 70 फीसदी की कमी, जैविक खादों के प्रयास से सुधारी जा सकती हैं स्थिति, घातक साबित हो रहा नरवाई जलाना

Deteriorating soil using chemicals

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बड़वानी. उत्पादन बढ़ाने के लिए खेतों में बेहताशा रसायनों के प्रयोग से मिट्टी अपने पोषक तत्व खो रही है। ग्राम तलून स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में रबी-खरीफ सीजन के दौरान औसत 1500 किसान अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण करवाने पहुंचे है। इसकी जांच में जमीन की उर्वरा शक्ति कमजोरे होकर बंजर होने जैसे चिंताजनक हालात बने लगे है।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. डीके तिवारी के अनुसार रसायनों के प्रयोग और नरवाई जलाने से मिट्टी में मौजूद मुख्य पोषक तत्वों का तेजी से क्षरण हो रहा है। जिससे जमीन की क्षमता हल्की हो रही है। भविष्य में इसका असर उत्पादकता पर भी पड़ेगा। ज्ञात हो कि इन दिनों किसान आगामी खरीफ सीजन में बोवनी के लिए खेत तैयार कर रहे है। कई किसान रबी सीजन की फसलों के अवशेषों की सफाई के लिए खेतों में आग लगाकर साफ करने का प्रयास करते हैंए जो मिट्टी की उत्पादत क्षमता को कम करता है।
16 पोषक तत्व होते हैं
केवीके वैज्ञानिक के अनुसार मिट्टी में औसत रुप से 16 पोषक तत्व होते हैं। इसमें मुख्य रुप से नाइट्रोजनए फास्फोरस और पोटाश होते है। इसमें से वर्तमान में मुख्य रुप से नाईट्रोजन की कमी हो रही है। फास्फोरस सामान्य है। जबकि पोटाश की मात्रा पर्याप्त है। नाइट्रोजन की कमी से जहां पौधे का विकास प्रभावित होता है। वहीं फास्फोरस की कमी से पौधे का तना कमजोर रहता हैं। साथ ही मिट्टी से उसमें भोजन ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है। वहीं पोटाश फसलों की क्वालिटी सुधारने का कार्य करता है।
इन प्रयासों से जमीन का शरण रोका जा सकता है
-अधिक से अधिक जैविक खाद का उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता क्षमता बढ़ती है। साथ ही जैविक की उपस्थिति रासायनिक खाद का संतुलन बनाए रखती है। यदि ऐसा करते हैं तो पोषक तत्वों में कमी आने के साथ उत्पादकता गिर जाएगी।
-खेतों की मेढ़ पर बंधान बनाना चाहिए। ताकि बारिश का पानी मिट्टी में उतरे और मिट्टी की नमी के साथ कटाव रुक सके।
-अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए। पौधे मिट्टी के क्षरण को रोकने में ढाल का काम करते हैं। खेत में बचे फसल के अवशेष को खाद के रुप में उपयोग करना चाहिए। नरवाई जलाने से बचना आवश्यक है।
इस तरह रहना चाहिए पोषक तत्व
तत्व – आवश्यक – उपलब्धता
नाइट्रोजन – 250.400 – 200.230
फास्फोरस – 28.44 – 30.32
पोटाश – 150.280 – 250.280
-मात्रा किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
तीन वर्ष में एक बार परीक्षण आवश्यक
वैसे तो प्रति वर्ष मिट्टी का परीक्षण करवाना चाहिए। फिर भी तीन वर्ष में एक बार अति आवश्यक होता है। परीक्षण उपरांत किसान को खेत में किए जाने वाले सुधार का मार्गदर्शन देते है। साथ ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड देेते है। जिसें खेत की मिट्टी का पूरा लेखाजोखा दर्ज किया रहता है।
डॉ. डीके तिवारी, वैज्ञानिक, केवीके

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