scriptसिंथेटिक दूध की जांच तो दूर फैट नापने के साधन भी नहीं विभाग के पास | Do not have the means of synthetic milk and measuring fat | Patrika News

सिंथेटिक दूध की जांच तो दूर फैट नापने के साधन भी नहीं विभाग के पास

locationबड़वानीPublished: Aug 02, 2019 10:11:47 am

कैसे होगी मिलावटी, अमानक खाद्य सामग्री की जांच, सिंथेटिक दूध की जांच तो दूर फैट नापने के साधन भी नहीं विभाग के पास, लेब से रिपोर्ट भी आती के महीनों में, कार्रवाई पर भी सवाल, खाद्य सुरक्षा समिति को दिए निर्देश रोज हो जांच

Do not have the means of synthetic milk and measuring fat

Do not have the means of synthetic milk and measuring fat


बड़वानी. प्रदेश में बड़ी मात्रा में मिलावटी, सिंथेटिक दूध मिलने के बाद मुख्यमंत्री और खाद्य मंत्री ने मिलावट खोरों पर लगातार कार्रवाई के निर्देश दिए है। जिले में भी खाद्य सुरक्षा समिति का गठन कर मिलावटी और अमानक खाद्य, पेय पदार्थों की जांच की जा रही है। बुधवार को समिति द्वारा कई दुकानों पर जांच की गई और खाद्य पदार्थों के सेंपल लिए गए। इस दौरान ये बात भी सामने आई कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के पास दूध के फैट नापने की मशीन भी नहीं है। सिंथेटिक दूध की जांच करना तो दूर की बात है।
खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा अमानक, मिलावटी पदार्थों को लेकर जांच तो की जा रही हैं, लेकिन सिर्फ सेंपल जांच लेकर ही लेब भेज रहे हैं। वहां से जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कोई कार्रवाई संभव हो पाती है। अमानक खाद्य पदार्थ की जांच के लिए कोई संसाधन विभाग को उपलब्ध नहीं कराए गए है। वहीं, दूध में मिलावट और यूरिया, सोडा मिला होने की जांच भी संसाधन के अभाव में नहीं होती है। विभाग द्वारा दूध के सेंपल लेकर उसमें प्रीजर्वटिव मिलाकर जांच के लिए भेज दिया जाता है। जब तक लेब से जांच रिपोर्ट नहीं आती तब तक विभाग कोई कार्रवाई भी नहीं कर सकता है। विभाग के अनुसार इस तरह के संसाधन प्रदेशभर में किसी को भी उपलब्ध नहीं करा पाए है।
14 दिन में आनी चाहिए जांच रिपोर्ट
खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा जो भी जांच सेंपल लिए जाते है, उसे भोपाल स्थित लेब में भेजा जाता है। नियमानुसार किसी भी जांच की रिपोर्ट 14 दिन में आना जरूरी है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश में एकमात्र लेब होने से यहां प्रतिदिन कई सेंपल आते है। ऐसे में जांच रिपोर्ट आने में एक माह और उससे भी अधिक समय लग जाता है। देरी से आई जांच रिपोर्ट पर लोग सवाल भी खड़े करते है। विभाग के अनुसार देरी से आई रिपोर्ट पर लेब देर से आने का कारण भी उल्लेख करता है। इसमें अधिकतर रिपोर्ट में एक ही कारण सामने आता है कि सेंपल ज्यादा होने से देर हुई है।
फलों पर कैमिकल जांच के भी साधन नहीं
खाद्य एवं औषधि विभाग के पास कैमिकल से पके फलों की जांच के भी कोई साधन नहीं है। लंबे समय से फलों की जांच भी नहीं हो पाई है। खाद्य सुरक्षा समिति गठित होने के बाद दो साल में पहली बार बुधवार को फलों की जांच हुई थी। उसमें भी सिर्फ सड़े-गले फलों को फिंकवाया गया था। फल कैमिकल से पके हैं या प्राकृतिक तरीके से इसकी कोई जांच नहीं हो पाई। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व वर्ष 2017 में फलों की जांच के दौरान झंडा चौक की एक दुकान से बड़ी मात्रा में फलों को पकाने वाला कैमिकल कार्बेट मिला था। इस मामले में दुकानदार को 40 हजार रुपए का जुर्माना भी हुआ था।
दो दुकानों से लिए खुले दूध के सेंपल
गुरुवार को खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा दो दूध डेयरी में जांच की गई। इस दौरान तुलसीदास मार्ग स्थित गोकुल दूध डेयरी और पाटी नाका रोड स्थित भारत दूध डेयरी के रिटेल काउंटर से खुले दूध के नमुने लिए गए। कार्रवाई में खाद्य सुरक्षा अधिकारी एचएल अवास्या और वीएस मोरी शामिल थे। अधिकारियों ने बताया कि नमुनों को जांच के लिए भोपाल स्थित खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला में भेजा गया है।
लगातार कर रहे कार्रवाई
जिले में खाद्य एवं पेय पदार्थों खासकर दूध के जांच सेंपल लेने की कार्रवाई लगातार जारी है। अब तक हुई 167 कार्रवाई में 52 नमुने फैल पाए जाने पर 5.97 लाख का जुर्माना भी हो चुका है। अब तक की जांच रिपोर्ट में सिंथेटिक दूध का मामला सामने नहीं आया है। सिंथेटिक दूध की जांच के लिए कोई संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जाते।
एचएल अवास्या, खाद्य सुरक्षा अधिकारी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो