पानी का बदल रहा स्वाद
शहर में नगर पालिका द्वारा नर्मदा जल सप्लाय किया जाता है, जो कि बायपास स्थित फिल्टर प्लांट से फिल्टर होकर आ रहा है। नर्मदा जल फिल्टर होने के बाद भी पहले की तरह नहीं लग रहा है। शहर के सेगांव निवासियों ने बताया कि पानी का स्वाद अब बदल गया है। सेगांव के पूर्व पार्षद राधेश्याम गेहलोत ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से तो नर्मदा जल पीने लायक नहीं लग रहा है। लोग पीने के लिए कुएं और ट्यूबवेल का पानी इस्तेमाल कर रहे है। कुएं और ट्यूबवेल का पानी नर्मदा की तुलना में अधिक भारी होता है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से नर्मदा के पानी का घनत्व ज्यादा लग रहा है। प्रशासन को फिल्टर हुए नर्मदा जल के घनत्व की जांच कराना चाहिए। क्षेत्रवासी बाबूलाल बर्फा, दूधाजी चौधरी, दिनेश काग, रमेश पंडा, दूधाजी काग ने भी नर्मदा जल में बदलाव आने की शिकायत की।
कई गांवों में बिना फिल्टर बंट रहा नर्मदा जल
सरदार सरोवर बांध को भरने के बाद बैक वाटर क्षेत्र में रुका पानी जलीय वनस्पतियों एवं किनारे के पेड-पौधे डूबने के कारण प्रदूषित होकर हरा होने लगा है। इससे जलीय जीव विशेषकर मछलियां तेजी से मर रही है और किनारे पर आ कर कुत्ते एवं अन्य जीव-जंतु का भोजन बनती है। वे उसे अधखाया छोड़ कर चले जाते है। यही मछलियां पानी में मिलकर दूषित कर रही है।उल्लेखनीय हैकि बड़वानी के साथ ही जिले में नर्मदा पट्टी के गांवों में नर्मदा जल ही पेयजल के रूप में उपयोग किया जा रहा है। बड़वानी शहर को छोड़कर कहीं भी पानी को फिल्टर करने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में जब फिल्टर पानी का स्वाद बदलने लगा है तो बिना फिल्टर वाला पानी मानव स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
अनेक बीमारियों का कारण बनेगा प्रदूषित जल
नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े पर्यावरणविद् चिन्मय मिश्र ने बताया कि प्रदूषित जल अनेक बीमारियों का कारण बनेगा। धार जिले के गांव सेमल्दा में पानी का परीक्षण किया गया तो पीएच मान 9.5 आया जो कि अधिकतम 7 होना चाहिए। पीएच की मात्रता बढऩे से त्वचा के रोग एवं पेट दर्द जैसी बीमारी होती है। वहीं फलोराईड की मात्रा अधिकतम 1000 होनी चाहिए जो बढ़ कर 1200 है। इससे पानी का स्वाद खराब होकर दांत पीले पडऩे चलते है। क्लोराइड की मात्रा भी बढ़ी है, जो अनेक बीमारियों का कारण है। इसी प्रकार धार जिले के एकलबारा गांव की यही स्थिति है।
नर्मदा पर निर्भर लोगों को भुगतना पड़ेगा परिणाम
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि नर्मदा जल प्रदूषित होने से तमाम परिणाम न केवल डूब क्षेत्र के गांवों पर बल्कि नर्मदा के पानी पर निर्भर सभी निवासियों को भुगतने होंगे। नर्मदा नदी का अंत होने के पहले, उसे बहती रखने के लिए सभी नर्मदा भक्त एवं नर्मदा घाटी के निवासी आवाज उठाएंगे। सरदार सरोवर के गेट्स बंद करने से नीचे वास के गुजरात के क्षेत्र में आज ही नर्मदा सूखी पड़ी है, लोग पैदल पार कर सकते है। दोनों उपर वास व नीचे वास की जनता को जीना है तो बांध के गेट्स खोलना जरुरी है। नहीं तो नर्मदा की हालात यमुना की तरह हुए बिना नहीं रहेगी। नर्मदा बचाओ आंदोलन की ये चेतावनी जनजन समझ लें।
बढ़ा दी एलम, ब्लिचिंग की मात्रा
पेयजल में बदबू आने की शिकायत मिलने के बाद फिल्टर प्लांट के संयंत्रों की सफाईकराई गई है।साथ ही पानी साफ करने के लिए ब्लिचिंग और एलम की मात्रा भी बढ़ा दी गई है।
-प्रदीप गंगराड़े, इंजीनियर नगर पालिका