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यहां होता है मजदूरों का मोल, लगती है मजदूर मंडी

locationबड़वानीPublished: May 01, 2019 08:34:50 am

किशोर से लेकर बुजुर्ग मजदूर बिकते है कुशलता के आधार पर, डेढ़-दो सौ की दिहाड़ी के लिए दिनभर करते हाड़तोड़ मेहनत, श्रम विभाग की योजनाओं की नहीं जानकारी, बाल मजदूरी भी नहीं रुकती

Elderly laborers from teens are sold on the basis of skill

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बड़वानी. सुबह-सुबह खड़े सैकड़ों मजदूर, मोल-भाव करते ठेकेदार, बात पटी तो अपना-अपना टिफिन उठाकर ठेकेदार के साथ रवाना होते मजदूर। ये नजारा रोज सुबह शहर के जैन मंदिर चौराहा पर आम देखने को मिलता है। एक तरह से यहां मजदूरों की मंडी लगती है और भाव तय होने के बाद मजदूर काम पर चले जाते है। किशोर से लेकर बुजुर्गमजदूर तक यहां पर कुशलता के आधार पर दिहाड़ी पर मजदूरी के लिए ले जाए जाते है। दिनभर हाड़तोड़ मेहनत के बाद मिलती है तो सिर्फ डेढ़ सौ से ढाई सौ रुपए तक की मजदूरी। इनमें से अधिकतर मजदूर तो श्रम विभाग की योजनाओं और अपने अधिकारों की जानकारी भी नहीं रखते।
एक मईको पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। विभिन्न संस्थाएं, संगठन मजदूरों के हित में बात करते हैं और दूसरे दिन भूल जाते है। इन मजदूरों की हालत आज भी वैसी ही है जैसे पहले थी। शहर में रोज आसपास के गांवों से 15 वर्ष से लेकर 60 वर्ष के बुजुर्ग तक मजदूरी के लिए आते है। जैन मंदिर चौराहा पर सुबह 7 बजे से 8.30 बजे तक ठेकेदारों का इंतजार करते है। अधिकतर मजदूर सोमवार को साप्ताहिक मजदूरी के लिए ठेकेदार से अनुबंध कर लेते है। वहीं, कुछ मजदूर दिहाड़ी पर अलग-अलग ठेकेदारों के साथ मजदूरी के लिए जाते है।
कलेक्टर रेट से नहीं मिलती मजदूरी
शासन ने मजदूरों के लिए कलेक्टर रेट से मजदूरी तय कर रखी है। रोजनदारी पर जाने वाले मजदूरों को आज तक कलेक्टर रेट से मजदूरी नहीं मिली। मजदूरों की मंडी में हर वर्ग के मजदूर का अलग-अलग रेट तय है। महिला मजदूरों को 150 से 180 रुपए रोज के हिसाब से मजदूरी मिलती है। पुरुषों के लिए 200 से 230 रुपए रोज और किशोरवय के मजदूरों को उनके काम के हिसाब से मजदूरी दी जाती है।ये वो मजदूर है जो निर्माण श्रमिक कहलाते है और भवन आदि निर्माण में काम करते है। होटलों, दुकानों, संस्थानों, निजी तौर पर काम करने वाले मजदूरों को 4500 सौ रुपए से 8000 रुपए तक उनके काम के हिसाब से मासिक मजदूरी दी जाती है।
बालश्रम पर भी नहीं लग पाई रोक
यूं तो बालश्रम पर कोर्टने रोक लगाई हुई है और बालश्रम करवाने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान भी है। इसके बाद भी आज तक बालश्रम रुकने का नाम नहीं ले रहा है।होटलों, दुकानों, ढाबों पर बाल श्रमिकों को काम करते हुए देखा जा सकता है। बाल श्रम रोकने के लिए शासन द्वारा टॉस्क फोर्सभी बनाई हुई है। जिसमें किशोर न्याय विभाग, सामाजिक न्याय विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस विभाग की संयुक्त टीम का गठन किया हुआ है। टॉस्क फोर्स के पास कोईबाल मजदूर चिह्नांकित भी नहीं है। जबकि शहर में पचासों बाल मजदूर काम कर रहे हैं।
ये हैमजदूरी के कलेक्टर रेट
-284 रुपए अकुशल मजदूर के लिए
317 रुपए अद्र्ध कुशल मजदूर के लिए
370 रुपए कुशल मजदूर के लिए
204 रुपए कृषि कार्य करने वाले मजदूर के लिए
इतने मजदूरों पंजीकृत
9031 मजदूर कर्मकार मंडल में (निर्माण श्रमिक)
436242 असंगठित मजदूर (संबल योजना में पंजीकृत)
आज तक नहीं मिली शिकायत
कम मजदूरी को लेकर किसी मजदूर ने आज तक शिकायत नहीं की है। कायदे से कलेक्टर रेट पर मजदूरी दी जानी चाहिए। यदि कोई कम मजदूरी को लेकर शिकायत करेगा तो कार्रवाई अवश्य करेंगे। बाल श्रम पर कार्रवाई का अधिकार टॉस्क फोर्स को है।
केएस मुजाल्दा, जिला श्रम अधिकारी

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