एक समय तक जिले के सेंधवा के पहाड़ी क्षेत्र वरला, धवली, चाचरिया क्षेत्र के दुरुस्त क्षेत्रों में बाहुबलियों के इशारों पर गांजे की खेती की जाती थी, लेकिन अब इस बात का खुलासा हुआ है कि मैदानी इलाकों सहित कस्बों के बड़ी संख्या में किसान प्रतिबंधात्मक खेती कर अपराधी बन रहे हैं। यदि सेंधवा विधानसभा की बात करें तो यहां राष्ट्रीय राजमार्ग सहित दो स्टेट हाइवे पर पुलिस द्वारा कई बार गांजे की तस्करी करने वालों पर कार्रवाई की है, लेकिन क्षेत्र में अवैध रूप से गांजे की फसल उगाना नई चुनौती बन गया है। गांजा माफिया के इशारे पर आदिवासी किसान अवैध खेती में लिप्त हो रहे हैं। उससे आदिवासी संगठनों सहित जनप्रतिनिधियों के कान खड़े कर दिए हैं।
सबसे ज्यादा आरोपी सेंधवा के किसान
पिछले करीब 4 महीने की पुलिस कार्रवाई पर नजर डाले तो गांजे की खेती में सबसे ज्यादा आरोपी 21 आदिवासी किसान ही बने हैं। वहीं कुल 12 कार्रवाइयों में सबसे ज्यादा कार्रवाई सेंधवा विधानसभा में हुई है। जिनकी संख्या 5 है। इससे सिद्ध होता है कि सेंधवा क्षेत्र में गांजे की अवैध खेती किस स्तर पर फल-फूल रही है। पुलिस कार्रवाई के दौरान कुल 21 किसानों पर एनडीपीएस की धारा 8 /20 की सख्त कार्रवाई हुई है। आंकड़ों के अनुसार 21 आरोपितों में से 12 सेंधवा क्षेत्र के किसान है। ये गंभीर स्थिति बन चुकी है। गांजे की अवैध खेती के विरुद्ध कार्रवाई कर पुलिस ने कुल 1741 पौधे जब्त किए हैं। जिनके कीमत 1 करोड़ 43 लाख रुपए से अधिक बताई जा रही है। सेंधवा के अतिरिक्त पुलिस ने नागलवाड़ी, सिलावद, पाटी, निवाली में कार्रवाई की है।कार्रवाई के दौरान 4 वाहन भी पकड़़े गए है।
किसानों को गांजा माफिया दे रहे लालच
आदिवासी किसानों द्वारा परंपरागत खेती के साथ गांजे की खेती चोरी छिपे की जा रही है। पुलिस कार्रवाई में कई आदिवासी परिवार बर्बाद हो रहे हैं। आदिवासी मुक्ति संगठन के गजानन ब्राह्मणे ने कहा कि किसानों को माफिया और अपराधी प्रवृत्ति के लोग गांजे की खेती करने के लिए लालच दे रहे है। कम समय में अधिक पैसा कमाने के चक्कर में किसान फंस रहे है। माफिया सामने नहीं आते है, ऐसे में गरीब आदिवासी किसानों के परिवार बर्बाद हो रहे है। ये गंभीर स्थिति बन रही है। इस पर आदिवासी संगठन गंभीरता से विचार कर रहे है। आगामी समय में लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया जाएगा।