पिछोड़ी और छीपाखेड़ी टापू के लिए बनेगा वैकल्पिक मार्ग
सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर की डृूब में आ रहे गांवों की प्रशासन ने सुध लेना शुरू कर दी है। बुधवार को कलेक्टर अमित तोमर, एसपी डीआर तेनीवार सहित अमला डूब गांव पिछोड़ी और छीपाखेड़ी पहुंचा। ये दोनों गांव बैक वाटर लेवल बढऩे से टापू बन चुके हैं। यहां लंबी चर्चा के बाद कलेक्टर ने टापू बन रहे गांवों में जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाने का निर्देश दिया। साथ ही डूब प्रभावित परिवारों से अपील भी की कि वे तुरंत डूब क्षेत्र को छोड़कर अस्थाई पुनर्वास स्थलों पर स्थानांतरित हो जाए।
ग्राम पिछोड़ी में ग्रामीणों और नर्मदा बचाओ के कार्यकर्ताओ से चर्चा के दौरान कलेक्टर ने बताया कि गुरुवार से ही ग्राम में शिविर का आयोजन कर मांग एवं शिकायतों से संबंधित आवेदन पुन: प्राप्त किए जा रहे है। इन आवेदनों का परीक्षण कर समुचित निराकरण शीघ्र ही किया जाएगा। कलेक्टर ने ग्राम का भी दौराकर मछुआरों की बस्ती तक पहुंच गए पानी के कारण प्रभावित मार्ग का वैकल्पित व्यवस्था कराने के निर्देश एनवीडीए के पदाधिकारियो को दिए। साथ ही उन्होंने ऐसे डूब प्रभावित, जिनके घर पानी में डूबने की स्थिति में पहुंच गए है। उन्हें सिरसानी में समतल कर बनाए गए प्लाट पर अविलंब जाने का अनुरोध किया। इस दौरान कलेक्टर एवं एसपी ने ग्रामीणों के साथ टापू बन रहे क्षेत्र का भी निरीक्षण कर अधिकारियों को अविलंब पहुंच मार्ग बनवाने एवं प्रभावित विद्युत लाइन के स्थान पर नई विद्युत लाइन की अस्थाई व्यवस्था कराने के निर्देश दिए।
16 को मिले प्लाट, मिलेगा घर बनाने के लिए अनुदान
बांध के बैक वाटर से ग्राम पिछोड़ी में 24 घरों में पानी पहुंच गया था। इसमें से 16 परिवारों को बुधवार शाम 7 बजे आवासीय भूखंड के पट्टे एनवीडीए द्वारा जारी किए गए। नर्मदा बचाओ आंदोलन के राहुल यादव ने बताया कि इन सभी परिवारों को मकान बनाने के लिए 5.80 लाख की अनुदान राशि का हकदार मानते हुए पहली किस्त भी जारी कर दी गई थी, लेकिन बाद में डूब से बाहर कर आवासीय भूखंड नहीं आवंटित किए गए थे। अब आवासीय भूखंड जारी होने के बाद दूसरी और तीसरी किस्त के रूप में 2.80 लाख रुपए भी शीघ्र ही इनके खाते में डाले जाएंगे। डूब प्रभावितों ने इसे नबआं के संघर्ष की जीत बताया।
नाव से छीपाखेड़ी पहुंचे अधिकारी
कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने सरदार सरोवर के बैक वाटर से ग्राम छिपाखेड़ी के डूबे हुए पहुंच मार्ग का निरीक्षण बुधवार को नाव के माध्यम से पहुंचकर किया। इस दौरान कलेक्टर ने मौके पर ही उपस्थित एनवीडीए के कार्यपालन यंत्री एसएस चौगड़ को निर्देशित किया कि वे शाम तक ही डूबे हुए पहुंच मार्ग की वैकल्पिक व्यवस्था जेसीबी के माध्यम से पहाड़ी पर मार्ग बनवाकर करेंगे। इससे छोटे वाहन एवं पैदल ग्राम तक जाने वाले लोग सहजता से अपने ग्राम पहुंच सके।
पूर्व मुख्यमंत्री की चुप्पी पर उठाए सवाल
लगातार बढ़ते जल स्तर को लेकर एक बार फिर नर्मदा बचाओ आंदोलन ने धार जिले के डूब गांव कड़माल में सत्याग्रह शुरू कर दिया है। वहीं, नबआं ने आरोप लगाया कि प्रभावितों को धमकाने के लिए सुनियोजित तरीके से लाई जा रही इस डूब के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह की चुप्पी बहुत ही हैरत करने वाली है। प्रभावितों के हितों पर डाका डालने में शिवराजसिंह सरकार ही भूमिका रही है। उन्होंने ही पहले 15946 परिवारों को बैकवाटर स्तर के नाम पर डूब से बाहर कर अधिकारों से वंचित किया था। उसके बाद शेष प्रभावितों को भी वंचित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में झूठे आंकड़े पेश करते हुए पुनर्वास का जीरो बैलेंस घोषित कर दिया था। उन्हें अपने कृत्यों की जिम्मेदारी लेते हुए प्रभावितों से मांफी मांगनी चाहिए और बताना चाहिए कि यदि सबका पहले ही पुनर्वास हो चुका था तो अब सरदार सरोवर में डूबने वाले प्रभावित कहां से आए।