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किसानों की मेहनत पर भारी पड़ रही व्यापारियों की मोनोपॉली

locationबड़वानीPublished: Feb 18, 2019 10:53:26 am

सौंफ की बंपर आवक के बाद भी नहीं मिल रहे अच्छे भाव, भरपूर सीजन में अच्छी सौंफ के बाद भी किसान निराश

Good fare not even after festoon bumper arrivals

Good fare not even after festoon bumper arrivals

खबर लेखन : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. सौंफ का सीजन अपने पूरे उफान पर है। प्रदेश की सबसे बड़ी सौंफ मंडी बड़वानी में सौंफ की भरपूर आवक हो रही है।सूखी और अच्छी क्वालिटी की सौंफ होने के बाद भी किसानों को मनचाहा भाव नहीं मिलने से निराशा है।किसानों का आरोप है कि मंडी में व्यापारियों की मोनोपॉली चल रही है। सब व्यापारी एकमत होकर भाव नहीं बढ़ा रहे है। जिसके कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
रविवार को कृषि उपज मंडी बड़वानी में सौंफ की सीजन में सबसे ज्यादा आवक रही। सौंफ मंडी में करीब दो हजार बोरी सौंफ लेकर विभिन्न जिलों के किसान पहुंचे थे। यहां सौंफ का भाव 70 रुपए से लेकर 130 रुपए तक रहा। किसानों का कहना था कि इक्का दुक्का किसान को ही 130 रुपए का भाव दिया गया।अधिकतर किसानों की सौंफ 70 से 110 रुपए तक बिकी। भमौरी से आए किसान भारतसिंह ने बताया कि वो करीब एक क्विंटल सौंफ लेकर आए हैं। पूरे गांव से 15 किसान और भी आए थे। सभी को 105 रुपए से लेकर 110 रुपए किलो के भाव में अपनी सौंफ बेचना पड़ी।
10 महिने लगते एक फसल लेने में
पलासी से आए किसान रमेश मंडलोई ने बताया कि सौंफ की फसल लेने में करीब 10 माह का समय लगता है। एक क्विंटल की पैदावार पर पांच से छह हजार रुपए का खर्च आता है। घर से मंडी तक लाने का भाड़ा अलग। व्यापारी के भाव में सौंफ देने पर एक क्विंटल के करीब 11 हजार तक मिलते है। सालभर मेहनत करने के बाद पांच हजार हाथ में आते है तो किस काम के। चिखली से आए किसान गुलाबसिंह मुवेल ने बताया कि व्यापारी एकमत होकर भाव तय कर लेते है। जिसके बाद किसानों को भाव मिलना मुश्किल हो जाता है। नहीं बेचो तो माल वापस ले जाने पर डबल भाड़ा लग जाता है।मजबूरी में किसान को माल बेचना ही पड़ता है।पिछले साल सौंफ के भाव 150 रुपए क्विंटल तक मिले थे।इस बार 110-115 से ऊपर ही नहीं जा रहे हैं।
क्वालिटी के अनुसार तय होता भाव
सौंफ की क्वालिटी के अनुसार ही व्यापारी भाव तय करते है। अच्छी सौंफ को पूरा भाव मिल रहा है। गीली और खराब क्वालिटी की सौंफ को भी व्यापारी खरीद रहे हैं। किसी किसान के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता।
लालूसिंह मोयदे, सहायक उपनिरीक्षक, मंडी

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