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डूब प्रभावितों की सरकार ने अब ली सुध, होगा विकास

locationबड़वानीPublished: Nov 14, 2020 11:58:23 pm

Submitted by:

tarunendra chauhan

नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण की 14वीं रिव्यू कमेटी की बैठक पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया है डूब प्रभावितों का मुद्दा, लगातार किया है खबरों का प्रकाशन
 

Review committee meeting

Review committee meeting

बड़वानी. नर्मदा पट्टी में दो सालों से आ रही सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर की डूब के बाद भी कई डूब प्रभावितों का पुनर्वास नहीं हुआ है। इन डूब प्रभावितों की सुध सरकार ने अब ली है। डूब प्रभावितों की समस्याओं को लेकर पत्रिका ले लगातार प्रमुखता से खबरों का प्रकाशन किया है। अब सरकार नर्मदा पट्टी के डूब प्रभावितों के बारे में सोच रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरदार सरोवर बांध के डूब से प्रभावितों के पुनर्वास के लिए राहत कार्यों को पूर्ण तत्परता से करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री चौहान नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण की 14वीं रिव्यू कमेटी की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में बताया गया कि सरदार सरोवर बांध पहली बार वर्ष 2019 में पूरा भरने से डूब क्षेत्र में मध्यप्रदेश के 76 ग्रामों की भूमि, मकान, सड़के, कृषि भूमि आयी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि डूब प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के पुनर्वास, अधोसंरचना जैसे सड़क, पुल-पुलिया, भू-अर्जन आदि प्रकरणों के निराकरण पर हुए व्यय और विद्युत के कम उत्पादन से मप्र सरकार को हुई क्षति के लिए गुजरात और मप्र सरकारों के मध्य आवश्यक राशि के आदान-प्रदान के लिये दोनो सरकारें आर्बिट्रेटर नियुक्त करेगी।

अपर मुख्य सचिव आईसीपी केशरी ने बताया कि 2019 में पहली बार सरदार सरोवर बांध के पूर्ण रूप से भरने से कृषि भूमि, मकान, सड़क, पुल-पुलिया डूब में आई, जिसका चिह्नांकन कमिश्नर पुनर्वास और इंदौर सम्भाग के संभागायुक्त द्वारा किया जा चुका है। बैठक में बताया गया कि सरदार सरोवर बांध से कम विद्युत उत्पादन लेने के कारण मध्यप्रदेश सरकार को 904 करोड़ की क्षति हुई है। प्रथम बार बांध भरने पर नवीन भू-अर्जन पर लगभग 100 करोड़ रुपए और क्षतिग्रस्त पुल-पुलियों, सड़कों के नवीन निर्माण पर 298.28 करोड़ रुपए का भार राज्य सरकार पर आया है। बैठक में सदस्य अभियांत्रिकी नर्मदाघाटी विकास प्रधिकरण राजीव कुमार शुक्ल, आयुक्त जनसम्पर्क सुदाम खाड़े सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। बांध के बैक वाटर की डूब आने के बाद कई डूब प्रभावित बेघर हो गए हैं। इनमें से कई लोग अस्थायी टीनशेड में शरण लेकर रह रहे हैं। डूब आने के बाद से ही कई लोग अपने पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं। वहीं कई प्रभावित ऐसे हैं, जिन्हे मकान बनाने के लिए पांच लाख 80 हजार रुपए की किश्त मिलना बाकी है। डूब आने के बाद कई गांव और खेत टापू बने हुए हैं।

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