नाव के सहारे खेती करने में ये किसान अपनी जान जोखिम में डालकर फसल को किनारे तक ला रहे हैं। नाव के सहारे ये किसान अपनी केले की उपज को पुराने फिल्टर प्लांट के समीप उतारते हैं और यहां के चार पहिया वाहनों से ले जाते हैं। पिछले साल डूब आने के बाद भी प्रशासन ने अब तक टापू बने गांवों और खेतों के लिए पुल-पुलियाओं का निर्माण नहीं किया है। इससे डूब प्रभावितों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सरदार सरोवर बांध परियोजना के चलते इन दिनों जिले में नर्मदा दी का जलस्तर 137 मीटर तक बना हुआ है।
वहीं इस दौरान ग्राम जांगरवा में 50-55 मकान बने हैं, जो डूब से बाहर हैं, लेकिन बेक वॉटर से इनका पहुंच मार्ग डूब गया है। इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने मंगलवार दोपहर कलेक्टोरेट पहुंचकर नायब तहसीलदार दर्शिका मोयदे को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीण भेरुसिंग, सुखदेव नरगावे, कुंवरसिंह नरगावे आदि ने बताया कि मकान के साथ हमारी कृषि भूमियों को डूब से बाहर बताया गया है। खेतों में फसल बोई गई है, लेकिन नर्मदा का जलस्तर बढऩे से खेतों में आवाजाही के रास्ते डूब गए है। इससे जान जोखिम में डालकर मकान व खेतों में आना-जाना कर रहे है। ऐसी स्थिति में शीघ्र वैकल्पिक व्यवस्था करवाई जानी चाहिए।