बड़वानीPublished: Sep 13, 2019 10:28:53 am
मनीष अरोड़ा
थे डूब के बाहर, पूरा घर डूब गया, झोपड़ी बनाकर रह रहा परिवार, छोटी कसरावद में साढ़े तीन सौ परिवारों को किया था डूब से बाहर, कई घर जलमग्न, टापू बनेगा गांव, स्टेट हाईवे तक भी आ सकता पानी, प्रशासन ने बताया राजघाट का पूरा विस्थापन, पहुंचीं मेधा पाटकर, मिले कई परिवार
Home in Chhoti Kasrawad, drowned in Sardar Sarovar Dam
बड़वानी. सरदार सरोवर बांध की डूब में आ चुके छोटी कसरावद में जिन घरों को डूब से बाहर बताया गया था, वहां भी अब पानी भर चुका है। कई परिवार मकान पूरी तरह से डूब जाने के बाद पास में ही प्लास्टिक तिरपाल की झोपड़ी बनाकर रह रहे है। गुरुवार को यहां नबआं नेत्री मेधा पाटकर और प्रशासन का अमला भी पहुंचा। डूब की स्थिति देखकर यहां तुरंत ही पानी के पास वाले घरों का पंचनामा बनाने की कार्रवाई की गई। वहीं, राजघाट टापू पर बसे पांच परिवारों का भी विस्थापन गुरुवार को किया गया। यहां से निकाले गए मवेशी पानी में तैरकर वापस टापू पर पहुंचने से मवेशी मालिकों के सामने नई परेशानी खड़ी हो गई।
छोटी कसरावद में 30 मकानों में नर्मदा का बैक वाटर घुस चुका है। इसमें से 10 मकान तो पूरी तरह से ध्वस्त हो गए। यहां इन मकानों को 2017 में डूब से बाहर किया गया था। यहां झोपड़ी बनाकर रह रही मिश्रीबाई ने बताया कि तीन भाईयों का परिवार है, जिन्हें डूब प्रभावित नहीं माना गया। हमारा मकान, खलियान सब डूब गए हैं, जिसके कारण हम यहां झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 2010 में कसरावद गांव में 364 मकानों का सर्वे होकर उन्हें डूब में माना था और इनका भूअर्जन भी किया गया था। इसके बाद इन्हें डूब से बाहर कर दिया गया। 7 परिवार ऐसे है जिनका भूअर्जन भी नहीं हुआ है। यहां 130 परिवारों को प्लाट दिया जाना बाकी है। 60 लाख की पात्रता वाले 12 परिवार है, जिनका जीआरए से आदेश हो चुका है। वहीं, 35 परिवार ऐसे है, जिनका प्रकरण जीआरए में चल रहा है। कसरावद की 120 एकड़ जमीन टापू बन रही है और कालीबेड़ी का रास्ता बंद हो गया है। यहां नाले के बैक वाटर से डूब पीछे की ओर से आई है। जिसमें कई खेत भी डूब की कगार पर है। 450 परिवारों को 5.80 लाख का लाभ मिलना बाकी है।
नोडल अधिकारी के सामने की स्थिति स्पष्ट
गुरुवार दोपहर को नर्मदा बचाओ नेत्री मेधा पाटकर भी यहां पहुंचीं। यहां पहले से ही मौजूद नोडल अधिकारी एसी ट्रायबल विवेक पांडेय से उन्होंने चर्चा की। प्रशासन के पास यहां डूब में आए 39 मकानों की सूची तैयार थी। जिनका मौके पर ही पंचनामा कार्रवाई की गई। वहीं, डूब में आए ऐसे परिवार जिन्हे कुछ भी लाभ नहीं दियाा गया है, उनकी भी सूची तैयार करवाई गई।
टीन शेड में ले जाने से किया मना
ग्राम छोटा बड़दा में डूब प्रभावित 6 परिवारों को यहां पहुंचे अधिकारियों ने टीन शेड में ले जाने से मना कर दिया। यहां मोहनलाल साखर, बाबूलाल साखर, दुर्गा रामेश्वर मालवीया, हीरालाल ओंकार यादव, शिरिष, नरेंद्र, यशपाल यादव के घरों की दीवार तक पानी पहुंच गया है। अधिकारियों का कहना था कि टीन शेड फुल हो चुके हैं, आप अपनी व्यवस्था खुद कर ले। यहां मौजूद नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता रहमत मंसूरी ने इस पर आपत्ति ली। अधिकारियों का कहना था हम कलेक्टर से चर्चा कर बताते है। इसके बाद पांच बजे अधिकारी ये कहकर चले गए कि हमारी छुट्टी हो गई है। रात में डूब प्रभावित यहां परेशान होते रहे।
राजघाट में की गणेश पूजा
मेधा पाटकर सुबह राजघाट टापू पर पहुंचीं। यहां प्रशासन ने सभी परिवारों का विस्थापन होना बताया था, जबकि यहां पांच परिवार विस्थापन के बाकी थे। मेधा पाटकर ने इन परिवारों से चर्चा की और यहां विराजित भगवान गणेश की पूजा अर्चना भी की। वहीं, जांगरवा में गुरुवार को 30 परिवारों का विस्थापन टीनशेड में कराया गया। यहां मौजूद अधिकारियों ने सभी के पंचनामा कार्रवाई को पूरा कर आश्वासन दिया कि पात्रता वाले परिवारों को पुनर्वास नीति का लाभ दिया जाएगा।
सरदार सरोवर बांध का जलस्तर
23 गेट खुले बांध के 4.7 मीटर तक के
7.33 लाख क्यूसेक बांध में पानी की आवक
7.19 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा बांध से
137.28 मीटर पर पहुंचा बांध का जलस्तर
137.400 मीटर हुआ राजघाट पर नर्मदा का जलस्तर
नोट- गुरुवार शाम 7 बजे तक की स्थिति