scriptअवैध कॉलोनियों को वैध करना नहीं होगा आसान | Illegal colonies will not be easy to validate | Patrika News

अवैध कॉलोनियों को वैध करना नहीं होगा आसान

locationबड़वानीPublished: Feb 22, 2019 10:56:01 am

कॉलोनीवासियों को भरना होगा 25 से 50 प्रतिशत रुपया, नई सरकार से अब तक नहीं आए कोई दिशा निर्देश, मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे अवैध कॉलोनीवासी

Illegal colonies will not be easy to validate

Illegal colonies will not be easy to validate

ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. मप्र में पिछली सरकार के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रदेशभर की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी। विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बदली और ये घोषणा कागजों तक सीमित रह गई। कॉलोनियों को वैध करने के लिए अलग-अलग श्रेणियां बांटी गई थी, जिनके रहवासियों को भी डेवलपमेंट के लिए रुपए भरने थे। न तो किसी कॉलोनी से डेवलपमेंट का रुपया आया, न ही नई सरकार से इस संबंध में कोईदिशा-निर्देश। आज भी शहर की अवैध कॉलोनियों में रहवासी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे है। इन अवैध कॉलोनियों को वैध करने की राह नगर पालिका के लिए आसान नहीं दिख रही है।
भाजपा सरकार के समय हुईअवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा के बाद कुछ नियम भी तय किए गए थे। जिसमें उन कॉलोनियों को अवैध माना गया था, जिनके कोईकागजात नहींथे और न ही डायवर्सन हुआ था। इन कॉलोनियों के लिए दो प्रकार की श्रेणिया तय की गई थी। एक हजार स्क्वेयर फीट से कम वाली कॉलोनी को एलआईजी और उससे ऊपर वाली कॉलोनी को एमआईजी में बांटा गया था। एलआईजी के डेवलपमेंट में लगने वाली राशि का 25 प्रतिशत कॉलोनीवासियों को देना था। वहीं, एमआईजी के लिए ये राशि 50 प्रतिशत तय की गई थी। बाकी राशि शासन और नगर पालिका को वहन करना थी।
आठ कॉलोनियों का किया था चयन
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद नगर पालिका ने अवैध कॉलोनियों के चयन की प्रक्रिया शुरू की थी। वर्ष 2016 से पहले बनी 8 अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए चयन किया गया था। जिसमें कुशवाह नगर कॉलोनी, एकलव्य नगर कॉलोनी, अभिनंदन नगर कॉलोनी, साईधाम कॉलोनी, गंगानगर कॉलोनी, गोकुल नगर, शिवशंकर कॉलोनी और नेमिनाथ नगर कॉलोनी शामिल थी। इसका अंतिम दावे आपत्ति का सूचना प्रकाशत मई 2017 में हुआ था। जिसके बाद इन कॉलोनियों में रोड, ड्रेनेज लाइन, गार्डन, विद्युतिकरण के लिए 3.40 करोड़ रुपए का स्टीमेट भी बनाकर भेजा था। इसके बाद न तो प्रशासन की ओर कोई कार्रवाई हुई, न सरकार की ओर से कोई आदेश आया।
नियमानुसार होना चाहिए सभी सुविधाएं
वैध कॉलोनी के लिए कॉलोनाइजर को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराकर देना होती है। इसके लिए पहले जमीन का डायवर्सन कराना जरूरी होता है। इसके बाद कॉलोनी में क्षेत्रफल और प्लाट के हिसाब से बिजली ट्रांसफार्मर, खंबे, स्ट्रीट लाइट, डे्रनेज सिस्टम, रोड, बगीचा, पेयजल पाइप लाइन, बीपीएल के लिए 25 प्रतिशत आरक्षित प्लाट रखना होता है। कॉलोनी निर्माण के दो साल तक सारी मूलभूत सुविधाएं कॉलोनाइजर को उपलब्ध कराना होती है। इसके बाद कॉलोनाइजर एक निश्चित शुल्क देकर कॉलोनी नगर पालिका को हस्तांतरित कर सकता है। हस्तांतरण के बाद सारी मूलभूत सुविधाओं की जिम्मेदारी नगर पालिका की होती है।
सस्ते के फेर में ठगा गए लोग
बढ़ते शहर की जरूरत को देखते हुए शहर में कईजगह पर कॉलोनियां काटी गई। कईकॉलोनाइजर ने तो लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए खेतों में कॉलोनियां काट दी। न तो डूडा न ही टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से इजाजत ली और न ही डायवर्सन कराया। कॉलोनाइजरों ने खेतों में सिर्फसड़कें बनाकर प्लाट काट दिए और लोगों को सपने दिखाकर सस्ते में प्लाट बेच दिए। सस्ते के फेर में पड़े लोगों ने प्लाट भी ले लिए और मकान भी बना लिए। अब न तो पीने का पानी वहां उपलब्ध हो रहा है, न बिजली है।ऐसे में लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे है। कईअवैध कॉलोनियों में तो लोग मकान बनाने के बाद भी अपने ही घर में रहने से कतरा रहे है।
कोईआया ही नहीं था, अब दिशा निर्देश नहीं
अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए प्रक्रिया जरूर शुरू हुई थी। नपा ने स्टीमेट भी भेज दिया था। कॉलोनीवासियों की ओर से रुपया भी नहीं आया और न कोई मिलने आया। अब सरकार बदल गई और अब तक कोईदिशा निर्देश नहीं आए हैं। हमारा लक्ष्य पूरे शहर का विकास करना है। कॉलोनी को वैध करने के लिए लोग आगे तो आए।
लक्ष्मण चौहान, नगर पालिका अध्यक्ष

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