भूखंडों को एक तरफा आवंटित भी किए गए
नर्मदा बचाओ आंदोलन नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा 88 पुनर्वास स्थलों को कम कर के 83 पुनर्वास स्थल बताए गए है। इनमें से 5 पुनर्वास स्थल पर भूखंडों को एक तरफा आवंटित भी किए गए है। जिनको निरस्त भी नहीं किया गया है। सरदार सरोवर परियेाजना के प्रभावित परिवारों की संख्या हजारों, लाखों तक पहुंच रही है, लेकिन पुनर्वास स्थल पर 26 हजार से अधिक भूखंड विकसित किए गए है। बाकी परिवारों को कहां भूखंड आवंटित किए जाएंगे। इसका कोई भी कार्ययोजना अभी तक तैयार नहीं की गई न ही बताया गया है। 5 जून 2017 के आदेश में भी लिखा गया है जिन विस्थापितों ने घर प्लाट के बदले नगदीकरण किया गया है। उन विस्थापितों को भी भूखंड आवंटित किए जाएंगे। उसकी भी संख्या हजारों में है। उन्हें भी घरप्लॉट मिलना बाकी है, इनकी भी कार्ययोजना आज तक तैयार नहीं है।
ठेकेदारों को पहुंचाया लाभ
नबआं नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने सभी भूखंड समतलीकरण कर आज तक नहीं दिए है। भूखंडों की मिट्टी से ही रोड का निर्माण किया गया है। जिन ठेकेदारों ने रोड निर्माण का ठेका लिया गया। उनको लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सब किया गया। बारिश के पानी की निकासी के लिए संपूर्ण नालियों का निर्माण भी नहीं किया गया है। जुलाई 2017 में टेंडर्स हुए वह भी कार्य आज तक अधूरा है।
ट्रिब्यूनल के सामने पेश किया था हलफनामा
सरदार सरोवर परियोजना में विस्थापितों के लिए नर्मदा ट्रिब्यूनल का फैसला, मप्र राज्य पुनर्वास नीति, सर्वोच्च अदालत के फैसले वर्ष 2000, 2005, 2017 में भी उल्लेख किया गया था कि विस्थापितों को मुलभूत सुविधाएं देकर मूलगांव से बेहतर जिंदगी देंगे। इस प्रकार का हलफनामा एनवीडीए द्वारा प्रस्तुत किया गया था, लेकिन सरकार आज तक विस्थापितों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कर पाई।
कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई
राहुल यादव व कमला यादव ने बताया ट्रिब्यूनल के फैसले के अनुसार 100 परिवार पर एक प्राथमिक शाला भवन, 500 परिवारों पर पंचायत भवन, सार्वजनिक सभागृह, 500 परिवारों पर स्वास्थ्य केंद्र, 500 परिवार पर बीज गोदाम, बच्चों का बगीचा, 50 परिवार पर कुआं, हलाव, 500 परिवार पर एक तालाब, 50 परिवार पर एक वृक्ष चबुतरा, गांव में जितने मंदिर है उनके बराबर मंदिर बनाकर देना। पुनर्वास स्थल से मुख्य रास्ते को जोडऩा तथा पुनर्वास स्थल पर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था होना इत्यादि। मप्र राज्य की पुनर्वास नीति के अनुसार गोशाला, पूजा घर, खलिहान के लिए जगह, श्मशानघाट, चरनोई के लिए भूमि निर्धारण एवं उसका सुधार, पहुंच मार्ग एवं नालियां। अन्य सुविधाएं जो मूलगांव में उपलब्ध हो वह पुनर्वास स्थल पर मुहैया कराना था। ये संपूर्ण सुविधाएं नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण आज तक पुनर्वास स्थलों पर उपलब्ध नहीं कर पाई।