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लोकसभा चुनाव : कैसे होगा विकास, चुनाव में भूले स्थानीय मुद्दे

locationबड़वानीPublished: May 10, 2019 11:23:08 am

भाजपा-कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर मांग रहे वोट, जनता को अपनी समस्याओं से कब मिलेगी निजात, बेरोजगारी, पलायन, तकनीकी शिक्षा का है अभाव

Lok sabha Election issues

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बड़वानी. सरकारें कई आई और चली गई, लेकिन जनता की समस्याएं आज तक नहीं सुलझी। जिले में स्थानीय मुद्दों को राजनीतिक दल लगातार नजरअंदाज करते आ रहे है। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दल अपने-अपने घोषणा पत्र में राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों को शामिल कर लोगों से वोट मांग रहे है, लेकिन जिले की स्थानीय समस्याओं से लोगों को निजात कब मिलेगी? इस सवाल के जवाब में कोई नहीं बोल रहा है। हर चुनाव में स्थानीय मुद्दों को प्रत्याशी भूल जाते है। आज भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में बेरोजगारी, पलायन, तकनीकी शिक्षा का अभाव जैसे मुद्दे मुंह बाएं खड़े हैं। खरगोन संसदीय सीट के बड़वानी जिले की चारों विधानसभाओं के प्रमुख मुद्दों पर पत्रिका की नजर।
बड़वानी विधानसभा
कुल मतदाता 240275
बड़वानी विधानसभा क्षेत्र में बड़वानी और पाटी दो तहसीले शामिल है। सवा दो लाख से ज्यादा मतदाताओं वाली इस विधानसभा में पाटी क्षेत्र दुर्गम माना जाता है। इस क्षेत्र में आज भी कई गांवों में पहुंचने के लिए सड़कें ही नहीं है। पलायन के लिए भी ये क्षेत्र सबसे ज्यादा कुख्यात है। सरदार सरोवर बांध की डूब में भी सबसे ज्यादा गांव बड़वानी तहसील में आते है। डूब प्रभावितों का अधूरा पुनर्वास शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों की व्यवस्था से क्षेत्र की जनता आज भी जुझ रही है।
ये मुद्दे जो रहे गए पीछे
-बावनगजा को धार्मिक पयर्टल स्थल बनाना।
-जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी, 500 बेड का अस्पताल बनने का सपना।
-डूब प्रभावित लोगों का अधूरा पुनर्वास।
-कृषि, मेडिकल और इंजीनिरिंग कॉलेज।
-इंदिरा सागर परियोजना में अधूरी नहरें।
राजपुर विधानसभा
कुल मतदाता 228501
इस विधानसभा सीट में अंजड़, ठीकरी, जुलवानिया जैसे क्षेत्र आते है। क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा और सड़कों की व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या उद्योग-धंधों का अभाव है। काम और रोजगार नहीं होने से आज भी हजारों मजदूर दूसरे राज्यों को पलायन कर रहे है। सरदार सरोवर बांध की डूब में इस क्षेत्र के कई गांव आए हैं, जिनका पुनर्वास का मुद्दा समय-समय पर उठता रहता है। प्राथमिक-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की कमी भी एक बड़ा मुद्दा इस क्षेत्र का है।
इन मुद्दोंं की अनदेखी
-स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के रिक्त पद।
-क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांवों की सड़के।
-उद्योग-धंधे का अभाव। रोजगार की तलाश में मजदूरों का पलायन है।
-लोअर गोई परियोजना का अधूरा काम।
पानसेमल विधानसभा
कुल मतदाता 226583
पानसेमल विधानसभा में निवाली, पलसूद, खेतिया जैसे बड़े क्षेत्र शामिल है। पानसेमल के साथ निवाली तहसील क्षेत्र में ग्रामीण सड़कों की हालत अच्छी नहीं है। मनरेगा जैसी योजना के सही क्रियान्वयन नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्रों में काम नहीं। इसके चलते हजारों मजदूरों का पलायन हुआ है। महाराष्ट्र की सीमा से लगी इस विधानसभा में भी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।
ये है मुद्दे
-खेतिया-पानसेमल मार्ग की हालत खस्ताहल।
-रोजगार का अभाव, मजदूरों का पलायन।
-उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा में सुधार।
-कृषि सिंचाई के लिए व्यवस्था में कमी।
-खेल प्रतिभाओं के लिए मैदान का अभाव।
सेंधवा विधानसभा
कुल मतदाता 249308
एक समय औद्योगिक शहर के रूप में सेंधवा शहर ने अपनी पहचान बनाई थी। धीरे-धीरे कर यहां से कॉटन उद्योग महाराष्ट्र में पलायन कर गया। आज सेंधवा में उद्योग धंधों का पूरी तरह से अभाव बना हुआ है। इस क्षेत्र से भी बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन हो रहा है। यहां अस्पताल के नए भवन का निर्माण जरूर हुआ, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी बनी हुई है।
ये है स्थानीय मुद्दे
-उद्योग- धंधे का अभाव।
-ग्रामीण सड़कों की हालत खराब।
-मास्टर प्लॉन के हिसाब से शहर का विकास।
-अस्पताल में डॉक्टर्स और स्टाफ की कमी।
-तकनीकि शिक्षा का अभाव।

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