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मेधा पाटकर को उठाने पहुंची पुलिस, विरोध के बाद वापस लौटे

locationबड़वानीPublished: Sep 01, 2019 11:16:54 am

अनशन पर बैठीं मेधा पाटकर की तबीयत को लेकर बढ़ी प्रशासन की चिंता, सातवें दिन भी जारी रहा अनशन, कलेक्टर ने की उपवास खत्म करने की मनुहार, मेधा का एक ही जवाब, पहले बांध में पानी भरना बंद करे सरकार

Medha Patkar on hunger strike, administration concerned

Medha Patkar on hunger strike, administration concerned

बड़वानी. सरदार सरोवर बांध की डूब में आ रहे मप्र के 192 गांव और एक नगर में 32 हजार डूब प्रभावितों के पुनर्वास और बांध में पानी भरने पर रोक लगाने के लिए नबआं नेत्री मेधा पाटकर आमरण अनशन पर है। अनशन के सातवें दिन शनिवार को बड़ी संख्या में महिला पुलिस बल मेधा पाटकर को अनशन स्थल से ले जाने के लिए पहुंचा था, लेकिन विरोध के बाद वापस लौटना पड़ा। इसके बाद यहां पहुंचे कलेक्टर अमित तोमर ने भी मेधा पाटकर से स्वास्थ्य परीक्षण करवाने की अपील की, लेकिन मेधा पाटकर ने उसे ठुकरा दिया। वहीं, अनशन के सातवें दिन देशभर से सामाजिक संगठन कार्यकर्ताओं ने छोटा बड़दा पहुंचकर समर्थन किया।
शनिवार को मेधा पाटकर के अनशन का सातवां और 10 अन्य डूब प्रभावितों का तीसरा दिन हो गया। अनशन के पूर्व ही मेधा पाटकर की तबीयत खराब थी। जिसके चलते प्रशासन उनका स्वास्थ्य परीक्षण करवाना चाहता है। शनिवार दोपहर को एएसपी सुनीता रावत व बड़ी संख्या में पुलिस बल छोटा बड़दा अनशन स्थल पर पहुंचा और मेधा पाटकर तक पहुंचने की कोशिश की। जिसके बाद महिलाओं ने मोर्चा संभाला व पुलिस बल को आगे बढऩे से रोका। डूब प्रभावितों और आंदोलन कार्यकर्ताओं ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। विरोध के चलते पुलिस को वहां से वापस लौटना पड़ा। हालांकि पुलिस का कहना था कि हम केवल मेधा पाटकर से बात करना चाहते है। वहीं, गांववालों का कहना था कि इतनी संख्या में बल लाकर कोई बात नहीं होती।
जलस्तर में वृद्धि सत्याहग्रहियों को धमकाने का प्रयास
नर्मदा बचाओ आंदोलन नेत्री मेधा पाटकर ने कहा गुजरात सरकार सत्याग्रहियों तथा डूब प्रभावितों को धमकाने के लिए सरदार सरोवर बांध के गेट से पर्याप्त पानी की निकासी नहीं कर रही हैं। बांध का जल स्तर लगातार बढ़ाया जा रहा है, निर्धारित जल भराव के विरुद्ध बांध का जल स्तर बढ़ाकर शनिवार को 134.500 मीटर कर दिया गया है। बढ़ते जल स्तर से सत्याग्रही डरेंगे नहीं। डूब से पहले हर परिवार के संपूर्ण पुनर्वास की मांग पर सत्याग्रही अडिग है।
देशभर में मिल रहा समर्थन
नर्मदा चुनौती सत्याग्रह को देशभर से समर्थन मिल रहा है। शनिवार को मध्यप्रदेश सोशलिस्ट पार्टी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर बिना पुनर्वास डूब की निंदा की तथा बांध के गेट खोलने की मांग की। राजस्थान के शुक्लावास में अनशन के समर्थन में धरना किया गया। तमिलनाडू के चेन्नई में जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय तथा पर्यावरणवादी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। वहीं, अनशन स्थल पर पहुंचे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकत्र्ता चिन्मय मिश्र ने भी नर्मदा चुनौती अनशन को समर्थन दिया। उन्होंने कहा बिना पुनर्वास डूब के खिलाफ केंद्र और गुजरात सरकार को भी बांध में बिना पुनर्वास 32 हजार परिवारों को अनदेखा किया जा रहा है। मिश्र ने राज्य सरकार के भी मौन रहने पर सवाल खड़ा किया।
बांध के दुष्परिणाम दिखाई देने लगे हैं
नबआं कार्यकर्ता राहुल यादव ने बताया कि बांध के दुष्परिणाम भी अब दिखाई देने लगे हैं। पिछले कई दिनों से नर्मदा घाटी के साकड़-हरिबड़ क्षेत्र में लगातार भूकम्प के झटके आ रहे हैं। अब भूकंप की तीव्रता और प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। जलाशय में पानी रुकने से जलजनित और मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां तेजी से फैल रही है। स्थानीय अस्पतालों के रिकार्ड के अनुसार ओपीडी मरीजों की संख्या 3 गुना बढ़ गई है। साथ ही जलाशय का जल प्रदूषित होने से छोटा बड़दा में कई मछलियां मरी हुई दिखाई दी।

बंद रहा छोटा बड़दा, नहीं जले घरों में चूल्हे
अंजड़. सत्याग्रह पर बैठी पाटकर से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ का फोन आया था। उन्होंने कहा कि जो संभव होगा मदद करुंगा। आप भोपाल आ जाइए वहां चर्चा करेंगे। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि भोपाल हम 3 बार जा चुके है और कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं के समक्ष बात हो चुकी है, लेकिन एक भी मुद्दे का जवाब अभी तक नहीं आया है। 21 आवेदन देकर जानकारी मांगी गई थी, लेकिन अभी तक कोई भी जानकारी नहीं दी गई। सत्याग्रह के चलते शनिवार को छोटा बड़दा पूर्णत: बंद रहा व सभी ग्रामीणों ने अपने घर चूल्हा नहीं जलाया।

नबआं कार्यकर्ताओं को देखकर कार्यालय बंद कर भागे अधिकारी, कर्मचारी
बड़वानी. सरदार सरोवर बांध में लगातार बढ़ते जलस्तर के विरोध में शनिवार शाम नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ताओं ने कारंजा पर सांकेतिक चक्काजाम कर भूअर्जन कार्यालय का घेराव किया। नबआं कार्यकर्ताओं के आने की खबर सुनकर भूअर्जन कार्यालय के अधिकारी, कर्मचारी कार्यालय बंद कर वहां से निकल गए। इसके विरोध में नबआं कार्यकर्ताओं ने भूअर्जन कार्यालय में पानी, रेत और मिट्टी डाल दी। यहां आंदोलनकारियों ने जमकर नारेबाजी भी की।
एक ओर बांध भरने के विरोध में मेधा पाटकर सहित 11 लोग अनशन पर बैठे हुए है। वहीं, दूसरी ओर बांध के बढ़ते जलस्तर से घर, खेतों में पानी घुसना आरंभ हो गया है। इसके विरोध में शाम 4 बजे नबआं कार्यकर्ताओं ने कांरजा पर कुछ देर सांकेतिक रूप से चक्काजाम किया। इसके बाद यहां से रैली के रूप में भूअर्जन कार्यालय पहुंचे। यहां ताले लगे हुए देख कार्यकर्ता भड़क गए। एक कमरे का ताला खुलवाकर कार्यकर्ताओं ने यहां बाल्टी से पानी, रेत, मिट्टी डाल दी। नबआं कार्यकर्ताओं का कहना था कि जब हमारी जमीन डूब रही है और घरों में पानी घुस रहा है, कीचड़ हो रहा है तो भूअर्जन कार्यालय में भी हम पानी डालकर विरोध कर रहे हैं।
पुलिस की मौजूदगी में बनाया पंचनामा
नबआं कार्यकर्ता देवराम कनेरा, मुकेश भगोरिया, भागीरथ धनगर, पवन यादव ने बताया कि कार्यालय खुला रहने के समय अधिकारी और कर्मचारी यहां से भाग गए। कार्यालय बंद मिलने से यहां पुलिस की मौजूदगी में नबआं कार्यकर्ताओं ने पंचनामा बनाकर वहां चस्पा किया। नबआं कार्यकर्ता इस पंचनामे की कॉपी कलेक्टर को भी सौंपेंगे। नबआं कार्यकर्ताओं की मांग पर डिप्टी कलेक्टर घनश्याम धनगर यहां पहुंचे और डूब प्रभावितों, नबआं कार्यकर्ताओं की बात सुनी।

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