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धोखाधड़ी, बलपूर्वक काम कराने, अजजा की धाराओं में हो पीएम पर केस दर्ज

locationबड़वानीPublished: Mar 01, 2019 10:07:23 am

मनरेगा में लंबित मजदूरी और वन अधिकार कानून को लेकर भड़का आक्रोश, जागृत आदिवासी दलित संगठन ने थाना और जिला पंचायत का किया घेराव, आदिवासी अधिकारों के हनन का लगाया आरोप, अधिकारियों पर भी जताया आक्रोश

Morgue indignation over pending wages and forest rights law in MNREGA

Morgue indignation over pending wages and forest rights law in MNREGA

ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. मनरेगा में लंबे समय से लंबित मजदूरी के भुगतान को लेकर आदिवासी मजदूरों का आक्रोश गुरुवार को भड़क उठा। जागृत आदिवासी दलित संगठन के बैनर तले आदिवासी मजदूरों ने रैली निकालकर पहले कोतवाली थाने का घेराव किया और प्रधानमंत्री पर धोखाधड़ी का केस दर्ज करने की मांग की। इसके बाद झंडा चौक पर आमसभा कर आदिवासी मजदूर रैली के माध्यम से जिला पंचायत पहुंचे और घेराव करते हुए मजदूरी की मांग की। जागृत आदिवासी दलित संगठन का प्रदर्शन दोपहर एक बजे से आरंभ होकर शाम 5 बजे तक चला। इस दौरान संगठन कार्यकर्ताओं ने स्थानीय अधिकारियों को भी आड़े हाथ लिया।
मनरेगा मजदूरी को लेकर कृषि मंडी में सुबह से ही ग्रामीण क्षेत्रों से आदिवासियों का आना शुरू हो गया था। दोपहर 12.30 बजे मंडी से रैली आरंभ हुई। एक बजे रैली में मौजूद आदिवासियों ने थाने पहुंचकर घेराव किया। यहां थाने से लेकर बस स्टैंड तक लंबी कतार में आदिवासी महिला, पुरुष और बच्चे बैठे नजर आए। थाने में करीब आधा घंटा घेराव का दौर चला। इस दौरान जागृत आदिवासी दलित संगठन की ओर से रिन्या पिता झमरू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए एक आवेदन प्रभारी टीआई लखनसिंह बघेल को सौंपा।इस दौरान एसडीएम अभयसिंह ओहरिया और एसडीओपी अंतरङ्क्षसह जमरा भी उपस्थित थे।
लोक सेवक होकर पहुंचा रहे क्षति
संगठन की माधुरी बेन ने बताया कि जिले के आदिवासी मजदूरों ने जनवरी में मनरेगा के तहत मजदूरी की थी। नियमानुसार 15 दिन में मजदूरी का भुगतान हो जाना था, लेकिन आज तक मजदूरी नहीं मिल पाई है। माधुरी बेन ने कहा इस कानून के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भारत सरकार की है। प्रधानमंत्री होने के नाते नरेंद्र मोदी इसके जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्टके विभिन्न आदेशों के अनुसार काम के लिए मजदूरी का भुगतान नहीं करना बेगारी की परिभाषा में आता है और कानूनन जुर्म है।अजजा अधिनियम के तहत अत्याचार है।लोक सेवक होने के नाते प्रधानमंत्री इसके जिम्मेदार है और उनके खिलाफ धोखाधड़ी, अजजा की विभिन्न धाराओं, बेगारी कराने सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज होना चाहिए। यदि प्रकरण दर्ज नहीं हुआ तो आंदोलन और उग्र होगा।
काम नहीं मिलने से हो रहा पलायन
ेसंगठन कार्यकर्ताओं ने थाने के घेराव के बाद झंडा चौक में आमसभा भी की। इसके बाद रैली के रूप में जिला पंचायत पहुंचकर घेराव किया। यहां संगठन के वालसिंह, हरसिंह जमरे, तुकाराम अलावा ने केंद्र सरकार के साथ ही स्थानीय अधिकारियों को भी आड़े हाथ लिया। कार्यकर्ताओं को कहना था कि सरकार मनरेगा का बजट नहीं बढ़ा रहीं है। मजदूरी भुगतान के लिए सरकार के पास रुपए नहीं है।तीन हजार करोड़ की मूर्ति बनवा रहे हैं, बुलेट ट्रेन चला रहे है, लेकिन आदिवासी मजदूरों को देने के लिए रुपए नहीं है।काम नहीं मिलने से मजदूर पलायन कर रहे है। वहीं, आदिवासी छात्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रकाश बंडोड और आदिवासी नेता राजन मंडलोई ने भी वन अधिकार कानून को लेकर सरकार को आड़े हाथ लिया।
दरवाजा नहीं खोलने पर भड़के आदिवासी
जिला पंचायत में प्रदर्शन के दौरान कार्यालय का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया गया था। प्रदर्शन खत्म होने के पहले आदिवासी कार्यकर्ताओं ने इस पर आपत्ति ली और एसडीएम से दरवाजा खुलवाने को कहा। जिस पर एसडीएम का कहना था कि हम ज्ञापन लेने के लिए खड़े है। इस पर आदिवासी कार्यकर्ता भड़क गए। आदिवासी कार्यकर्ताओं का कहना था कि ये जनता के लिए बनाया गया है, न कि अधिकारियों ने अपने पास से। यदि दरवाजा नहीं खोला गया तो जबरदस्ती प्रवेश करेंगे और जेल जाने के लिए भी तैयार है। जिसके बाद दरवाजा खुलवाया गया।इस दौरान कार्यकर्ताओं का कहना था कि सुबह से धूप में प्रदर्शन कर रहे है, यहां कोई पानी पूछने वाला भी नहीं है।इसके बाद नगर पालिका से टैंकर भी बुलवाया गया।
समन्वय मंच ने भी दिया ज्ञापन
आदिवासी समन्वय मंच के तत्वावधान में विभिनन संगठनों द्वारा गुरुवार शाम कलेक्टोरेट पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन एसडीएम अभयसिंह ओहरिया को सौंपा। ज्ञापन में मुख्य रुप से 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए वनवासियों के बेदखली के आदेश पुर्नविचार कर अधिसूचना जारी करने की मांग की गई। इस दौरान अजाक्स जिलाध्यक्ष टीएस डुडवे, कोषाध्यक्ष जितेंद्र मंडलोई, आकास जिलाध्यक्ष दिनेश खरते, जयस नारी शक्ति संगठन की सीमा वास्कले, सेवंति डावर सहित एससी/एसटी कर्मचारी-अधिकारी उपस्थित थे।

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