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गंगा प्रदूषण को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन ने दिया धरना

locationबड़वानीPublished: Jan 18, 2019 10:07:44 am

हरिद्वार में संतों द्वारा किए जा रहे अमरण अनशन को दिया समर्थन, गंगा नदी की सफाई के नाम पर केंद्र सरकार द्वारा करोड़ों खर्च किए

Narmada Bachao Andolan took over the Ganga Pollution

Narmada Bachao Andolan took over the Ganga Pollution

खबर लेखन : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. गंगा के शुद्धिकरण के लिए नर्मदा घाटी के लोगों ने आवाज उठाई है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले गुरुवार को शहर के कारंजा पर आंदोलन कार्यकर्ताओं नेे धरना दिया। धरना प्रदर्शन के बाद इन्होंने कलेक्टोरेट पहुंच तहसीलदार को आवेदन भी सौंपा। इन्होंने यहां गंगा की दयनीय स्थिति पर चिंता जाहिर की। साथ ही केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया। सभा स्थल पर आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि गंगा नदी की सफाई और शुद्धिकरण को लेकर कई वर्षों से साधु-संत और गंगा भक्तों द्वारा आवाज उठाई जा रही है।
मोदी सरकार 2014 के लोकसभा चुनावों में गंगा के नाम पर सत्ता में आए थे और कई चुनावी राजनीती घोषणा पत्र में गंगा सफाई का मुद्दा भी उन्होंने उसमें रखा था। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के बाद साढ़े चार साल बाद 4254 करोड़ खर्च करने के बाद भी गंगा की स्थिति दयनीय बनी हुई है। मेधा पाटकर ने कहा कि नर्मदा और गंगा की लड़ाई एक है। नर्मदा घाटी के लोग भी गंगा की दयनीय स्थिति को लेकर चिंतित हैं। इस दौरान गंगा को अविरल बहने और निर्मलता बनाए रखने के लिए अनशन पर रहे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की मृत्यु पर भी सवाल खड़े किए गए। आंदोलनकारियों ने बताया कि स्वामीजी 111 दिन का अनशन किया और 112 दिन उत्तराखंड पुलिस द्वारा जबरन उन्हें उठाकर ए स अस्पताल हरिद्वार में भर्ती किया और यहां उनकी मृत्यु हो जाती है। अनशन के दौरान स्वामीजी ने केंद्र सरकार को तीन बार पत्र भी लिखे, लेकिन उसका कोई जवाब सरकार ने नहीं दिया। अब उनके शिष्य रहे स्वामी आत्माबोधन पिछले 24 अक्टूबर से अनशन पर बैठे हैं, लेकिन भारत सरकार और जल संसाधन मंत्री नितीन गडकरी द्वारा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है। आंदोनकारियों ने यहां मांग की है कि केंद्र सरकार एवं राज्य की सरकारों द्वारा उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए कोई उचित उपाय निकालकर उनके बीच जाकर संवाद करते हुए उनका अनशन छुड़वाना चाहिए। वहीं गंगा को अविरल बहने और निर्मलता बनाये रखने के लिए जो 54 बड़े बांध प्रस्तावित हैं, उन पर केंद्र सरकार द्वारा पुनर्विचार करने की मांग की। इस दौरान राहुल यादव, रोहित ठाकुर, मुकेश भगोरिया, पवन यादव, भागीरथ धनगर व अन्य उपस्थित थे।

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