कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं हुआ पुनर्वास : डूब प्रभावितों की समस्याओं को सामने लाते हुए सभा में बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने 8 फरवरी 2017 को केंद्र व मध्यप्रदेश समेत गुजरात और महाराष्ट्र सरकारों को आदेश दिया था कि सरदार सरोवर बांध के सभी प्रभावितों का डूब से पहले पुनर्वास कर दिया जाए। वर्ष 2019 में मध्यप्रदेश के प्रभावित गांवों को डूबो तो दिया लेकिन सरकार हजारों परिवारों को पुनर्वास नहीं कर रही है। इस वर्ष फिर से उन्हीं परिवारों की संपत्ति डूबाई जा रही है, जिन्हें बिना पुनर्वास उजाड़ा गया था। यहां बताया कि सरकार की असंवेदनशीलता इतनी है कि अभी तक कोई कर्मचारी डूब प्रभावितों की खबर लेने नहीं पहुंचा है।
पिछले साल जिन गांवों को डूबोया, पंचनामे बनाए, उनका पुनर्वास भी नहीं हुआ है। डूब आने के बाद पांच हजार परिवारों को अस्थाई टीनशेड में रखा है। उनका पुनर्वास करना भी बाकी है। इस साल भी बैक वाटर की डूब में कई गांव और खेत टापू बन गए हैं। इसके लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की है। सभा के दौरान नबआं के कैलाश यादव, गौरीशंकर कुमावत, जगदीश पटेल, सुरेश पाटीदार, रमेश जाट, भारत मछुआरा, गेदालाल भिलाला, राधा बहन, कमला यादव, राहुल यादव उपस्थित थे।
कई गांव हैं प्रभावित
इधर राजघाट में नर्मदा का जलस्तर सोमवार शाम को बढ़कर 137.350 मीटर पर पहुंच गया है। सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर से नर्मदा पट्टी के कई गांव प्रभावित हो रहे हैं। वहीं जो गांव और खेत टापू बने हैं, उससे लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल आई डूब के बाद भी प्रशासन ने अब तक पुल-पुलियाओं का निर्माण नहीं कराया है।