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जल संसाधन मंत्रालय के प्रमुख सचिव ने कहा- मप्र में हो चुका पुनर्वास, गुजरात सरकार दे चुकी रुपया

locationबड़वानीPublished: Aug 21, 2019 10:44:28 pm

दिल्ली में एसीए की बैैठक निरस्त होने के बाद नबआं कार्यकर्ताओं ने प्रमुख सचिव उपेंद्र प्रसाद से की मुलाकात वार्ता विफल होने के बाद अब नए आंदोलन की रणनीति तैयार करेगा नर्मदा बचाओ आंदोलन

जल संसाधन मंत्रालय के प्रमुख सचिव ने कहा- मप्र में हो चुका पुनर्वास, गुजरात सरकार दे चुकी रुपया

दिल्ली में एसीए की बैैठक निरस्त होने के बाद नबआं कार्यकर्ताओं ने प्रमुख सचिव उपेंद्र प्रसाद से की मुलाकात वार्ता विफल होने के बाद अब नए आंदोलन की रणनीति तैयार करेगा नर्मदा बचाओ आंदोलन

बड़वानी. नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी की मप्र, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान सरकार के अधिकारियोंं और नबआं प्रतिनिधिमंडल के साथ नई दिल्ली में बुधवार को होने वाली बैठक निरस्त हो गई। इसके बाद नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के प्रमुख सचिव उपेंद्र प्रसाद सिंह से मुलाकात की। प्रमुख सचिव ने बताया कि उनकी जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में सब हो चुका है। गुजरात सरकार रुपए दे चुकी हैं और मप्र के डूब प्रभावितों का पुनर्वास भी हो चुका है। इसका नबआं कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। इस दौरान प्रमुख सचिव और कार्यकर्ताओं के बीच बहस भी हुई। नबआं कार्यकर्ता राहुल यादव ने बताया कि एनसीए की बैठक निरस्त होने और जल संसाधन मंत्रालय प्रमुख सचिव से हुई वार्ता विफल होने के बाद अब नए आंदोलन रणनीति तैयार की जाएगी।
नबआं प्रतिनिधिमंडल के सदस्य सरस्वती, जगदीश पटेल, रोहित ठाकुर और एनएपीएम के विमल भाई केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय पहुंचे। प्रमुख सचिव से मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल ने पत्रिका को बताया कि बिना पुनर्वास के मप्र के डूब प्रभावितों को हटाया जा रहा है। इस पर प्रमुख सचिव ने कहा कि सभी का पुनर्वास हो चुका है। शिकायत निवारण प्राधिकरण भी काम कर रहा है। जहां तक उनकी जानकारी है जब तक लोग डूब क्षेत्र से नहीं निकल जाएंगे, तब तक पानी नहीं भरा जाएगा। प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख सचिव से कहा कि सरदार सरोवर बांध भरने का कार्य चालू है। एनवीडीए जो पहले जीरो बैलेंस बता रहा था, अब खुद ही 6 हजार परिवारों का विस्थापन बाकी बता रहा है। आंदोलन का मानना है कि अभी भी 32 हजार परिवारों का विस्थापन बाकी है। पुनर्वास स्थलों की स्थिति खराब है, जिसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ है। नबआं प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख सचिव को बताया कि बांध के गेट बंद करने का निर्णय प्रधानमंत्री का निर्णय है। आप एक टीम भेजकर जांच करा सकते हैं कि पुनर्वास हुआ है या नहीं। टीम में स्वतंत्र विशेषज्ञ भी रखे जाएं। प्रमुख सचिव का कहना था कि इस पर गुजरात सरकार को आपत्ति होगी, लोगों का पुनर्वास हो चुका है, ये मुद्दा खत्म हो चुका हैं और इसे दोबारा उठाना सही नहीं है। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इस मुद्दे पर मप्र के मुख्य सचिव से आप जानकारी ले सकते हैं। प्रमुख सचिव ने कहा कि मैं इस मामले में मप्र के मुख्य सचिव से फोन पर स्थिति का जायजा लूंगा।
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