भोजन की गुणवत्ता को लेकर डूब प्रभावितों ने किया हंगामा
अंजड़. सरदार सरोवर से नर्मदा में बढ़ रहे जलस्तर को लेकर अलर्ट प्रशासन द्वारा डूब प्रभावित गांवों के रहवासियों को अस्थाई टीनशेडों में स्थानांतरित कर उन्हें भोजन पानी आदि सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। इसी बीच शनिवार को यहां भोजन की गुणवत्ता को लेकर डूब प्रभावितों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए हंगामा किया।
ग्राम छोटा बड़दा के विमल दशरथ, ग्राम आवली के ओमप्रकाश रमेशचंद और गणेश रमेशचंद ने बताया कि समूह द्वारा बनाया जा रहा भोजन गुणवत्ताहीन हैं। रोटियां जली हुई तथा दाल पानी जैसी मिल रही हैं। रोज शाम को केवल चावल दिए जा रहे है। शिकायतों को लेकर आक्रोश जताते लोगों ने शनिवार को भोजन खाने से मना कर दिया तथा प्रशासन से घोषित लाभ देकर उन्हें उनके प्लाटों पर शिफ्ट करने की मांग की। एसडीएम वीरसिह चौहानए सीएमओ अमरदास सेनानी ने ग्रामीणों से चर्चा की तथा जिस समूह के भोजन में शिकायत है, उसे बंद करने की बात कही। ग्रामीण उनसे संतुष्ट नहीं थे और दोपहर को कलेक्टर एवं नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को बुलाने की मांग करते हुए दोपहर 3.30 बजे खंडवा बडौदा स्टेट हाईवे पर चक्काजाम कर दिया। एसडीएम वीरसिंह चौहान एवं अन्य अधिकारी ग्रामीणों को समझाने का प्रयास करते रहे, लेकिन डूब प्रभावित ग्रामीण कलेक्टर को बुलाने की बात पर अड़े रहे। इस दौरान बड़वानी कलेक्टर, एनवीडीए अधिकारी एवं भूअर्जन अधिकारी मुर्दाबाद के नारे भी लगाए गए। चक्काजाम से दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। देर शाम तक भी डूब प्रभावित चक्काजाम किए हुए बैठे रहे।
डूब क्षेत्र में घूमने-फिरने, सेल्फी लेने पर लगा प्रतिबंध
बड़वानी. नर्मदा नदी में बढ़ते हुए जल स्तर के मद्देनजर अपर कलेक्टर रेखा राठौर ने डूब सीमा में परिचालन करने, पुल-पुलियाओं, डूब क्षेत्र में सेल्फी लेने पर प्रतिबंध लगाया है। अपर कलेक्टर के इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर धारा 144 के तहत धारा 188 की कार्रवाई की जाएगी। अपर कलेक्टर द्वारा लागू धारा 144 के तहत अब कोई भी व्यक्ति अथवा समूह कसरावद पुल, नर्मदा घाटों, डेम, तालाब, नदियों के समस्त पुल-पुलिया, रपटा आदि और अन्य जलभराव क्षेत्रों में सेल्फी नहीं लेगा। पुल, पुलिया, रपटा आदि जहां बाढ़ की स्थिति निर्मित हो। वहां पानी से होकर वाहन परिचालन नहीं करेगा। कोई भी व्यक्ति अथवा समूह के लिए बड़वानी जिले की सीमा क्षेत्र के संपूर्ण डूब क्षेत्र में घूमने-फिरने और आसपास परिचालन नहीं करेगा।
ऐसे डूबना शुरू हुई गांधी प्रतिमा
बड़वानी. जिला मुख्यालय से लगे धार जिले के ग्राम चिखल्दा में गांधी चौक पर स्थापित राष्ट्रपति महात्मा गांधी की प्रतिमा भी सरदार सरोवर बांध की डूब से बच नहीं पाई। 138 मीटर वाटर लेवल होने पर गांधी प्रतिमा भी डूबने लगी थी। जिसके बाद नर्मदा बचाओ आंदोलन ने गांधी प्रतिमा का उसी स्थान पर विस्थापन किया। गांधी प्रतिमा को सम्मान के साथ डूब लेवल से ऊंचा कर एक लोहे के स्टेज पर स्थापित किया गया।
सरदार सरोवर बांध का जलस्तर
138.26 मीटर हुआ बांध का जलस्तर
23 गेट खुले बांध के 4 मीटर तक
5.98 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा बांध से
8 लाख क्यूसेक पानी की आवक हो रही बांध में
138.100 मीटर हुआ राजघाट पर नर्मदा का जलस्तर
केसरपुरा में टापू पर फिर फंसेंगे 4 परिवार
अंजड़. सरकार की गलत पुनर्वास नीतियों का खामियाजा भुगत रहे डूब प्रभावितों में पात्र अपात्र का दंश अब असर दिखा रहा हैं। केसरपुरा गांव में चार परिवार ऐसे है, जो शासन की नजरों में डूब से बाहर है, लेकिन बढ़ता जलस्तर उन्हें टापू पर रहने को मजबूर कर देगा।
ग्राम केसरपुरा के गजु बोखार, सरदार बोखार, दादू रघुनाथ एवं बोखार रघुनाथ का परिवार जहां निवासरत है। धीरे-धीरें उसके चारों ओर पानी बढ़ रहा है। ऐसे में इन परिवारों का टापू पर रहना मजबूरी बन जाएगा। विचित्र बात ये हैं कि इनके घरों के दस कदम आगे वाला घर डूब क्षेत्र में था, लेकिन इनका नहीं। सरकार ने अपात्र मानकर इन्हें कोई मुआवजा भी नहीं दिया। ऐसा परिवार के मुखिया का कहना है।
अपनी बेबसी एवं दर्द का दुखड़ा अधिकारियों को सुना चुके परिवार के सदस्यों का कहना है कि अपना पुस्तैनी घरोंदा छोड़कर जाए भी तो कहा। केसरपुरा में नर्मदा का जलस्तर अपना रौद्ररूप धारण कर गांव की ओर बढ़ रहा है। समीप ही बहने वाली नहाली नदी का अस्तित्व ही गुम हो गया। नर्मदा के बैकवॉटर ने नहाली नदी को खुद के आंचल में समा लिया है। गांव के समीप स्थित कालीबैड़ी से नर्मदा का विहृगम दृश्य केसरपुरावासियों का दर्द बयां करता दिखाई देता है।
ग्राम मोहिपुरा में डूब की जद में आ चुके परिवार अपने टीन चद्दर समेटने में लगे हुए है। यहां के निवासी करण दरबार का कहना है कि जलस्तर के लेवल में बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है और यही कारण हैं कि पहले डूब से बाहर रहे परिवार अब डूब में आ रहे है। ये सर्वे में धांधली का एक नमूना है। अब शासन प्रशासन बिना किसी सहायता के उन्हें उजाडऩे पर तुला हुआ है। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर भी शिविर लगाकर पुन: सर्वे कराने की मांग सरकार से बार बार करती रही है। इसी बात को लेकर गतदिनों उन्होंने ग्राम छोटा बड़दा में नर्मदा सत्याग्रह आंदोलन तथा उपवास भी किया था।