जलकुंभी से जल होता है दूषितनर्मदा में फैल रही जलकुंभी को लेकर भौगोलिक विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इससे जलदूषित होता है और जलीय जीवों पर भी इसका विपरित प्रभाव पड़ता है। इस संबंध में पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएल खीची जलकुंभी पानी को बहुत अवशोषित करती है। नालों के गंदे पानी से ही ये पनपती है। इसको जल्दी से हटाना जरुरी है। नर्मदा में मछलियों को इससे खतरा बना हुआ है। आने वाले समय में इसकी भयानकता से अभिशप्त हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि इससे मछलियों को सांस लेने में तकलीफ होती है। जलीय जीव जंतु इसके पास भी नहीं जाते हैं।। नर्मदा में कई लोग स्नान करने भी जाते हैं, उन्हें भी इससे खतरा बना हुआ है। उन्होंने बताया कि इसेे तत्काल हटाया जाना चाहिए। [typography_font:14pt;” >खबर लेखन : मनीष अरोराऑनलाइन खबर : विशाल यादवबड़वानी. सरदार सरोवर बांध के कारण जो पानी रुका, उससे नर्मदा का प्रवाह थम सा गया है। बैक वाटर के कारण जलप्रवाह कम होने से पानी के दूषित होने का खतरा भी बना हुआ है। वहीं इन दिनों नर्मदा में पानी पर तैरती जलकुंभी के कारण भी जल दूषित होने की संभावना बढ़ गई है। राजघाट में पुल से सटकर काफी मात्रा में जलकुंभी पानी पर तैरती हुई दिखाई दे जाती है। पानी रूकने के बाद बड़ी मात्रा में पानी पर तैरती से घास देखकर ऐसा लगता है जैसे ये घास का बड़ा सा मैदान बन गया है। पानी पर तैरती जलकुंभी ने यहां काफी सतह को घेर लिया है। इससे जलीय जीवों के लिए भी खतरा बढ़ गया है। नर्मदा में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की मछलियों की प्रजातियों को इससे खतरा बना हुआ है। पानी बढऩे के बाद नहीं आए प्रवासी पक्षीनर्मदा का पानी रुकने के बाद कई समस्याएं पैदा हो रही है। पानी रूकने के बाद मछलियों की कई प्रजातियों की सं या नर्मदा में कम हो गई है। वहीं शीत ऋतु के दौरान जो प्रवासी पक्षी प्रतिवर्ष नर्मदा में विचरण करते दिखाई देते थे, वे अब कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। नर्मदा के तटीय क्षेेत्रों में रहने वालों और नाविकों की मानें तो कम पानी होने के दौरान वे पक्षी निचले हिस्से से प्रतिवर्ष यहां आते थे। अब रूका होने से प्रवासी पक्षी नहीं आ रहे हैं। पानी का बहाव कम होना भी इसका एक कारण माना जा रहा है।