नगर में पिछले दिनों शांति समिति की बैठक में एसडीएम तपस्या परिहार सहित अन्य अधिकारियों ने प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन के पालन करने की अपील की थी। सार्वजनिक स्थलों पर माता की प्रतिमा की स्थापना और पंडाल निर्माण को लेकर गाइडलाइन का पालन करने की अपील अधिकारियों ने की थी। वहीं सार्वजनिक आयोजन करने से पहले अनुमति अनिवार्य की गई है। नवरात्रि शुरू होने से लेकर समापन और विसर्जन तक अधिकारी हर आयोजन पर कड़ी नजर रखेंगे। हालांकि कोरोना का कहर अभी थमा नहीं है, लेकिन माता के भक्तों में पर्व को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि हम गाइडलाइन का पालन करते हुए नवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाएंगे। सेवा के कई मंदिरों में माता की घट स्थापना की जाती है। वहीं छोटी बिजासन मंदिर और बड़ी बिजासन मंदिर में हजारों श्रद्धालु पैदल चलकर माता के दर्शन करते है।
महाराष्ट्र के हजारों परिवारों की कुलदेवी के रूप में बड़ी बिजासन माता की पूजा की जाती है। इसलिए इस पर्व के दौरान हजारों परिवार महाराष्ट्र से बड़ी बिजासन मंदिर पहुंचते है। हालांकि मंदिर समिति द्वारा इस बार माता दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए गाइडलाइन जारी की है। नगर के जलाराम मंदिर में गुजराती समाज, जैन स्थानक महाराज गली में जैन समाज के सदस्य नवरात्रि मनाते हैं। साथ ही कई समाज के लोग नवरात्रि पर्व पर घट स्थापना कर छोटे-छोटे आयोजन करते हैं। हालांकि इस बार आयोजनों को लेकर असमंजस की स्थिति है। कई समाज के लोगों ने कई आयोजन स्थगित कर दिए हैं।
नगर के विद्वानों और पंडितों का कहना है कि इस बार दुर्गा मां की पूजा दुर्लभ योग में होगी। 196 2 के बाद इस बार नवरात्रि में ऐसा अदभूत संयोग बन रहा है। 196 2 में नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू हुई थी। वहीं इस बार नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है। 2020 की नवरात्रि बेहद दुर्लभ संयोग में मनाई जाएगी। नवरात्रि के पहले दिन सूर्य देव भी राशि परिवर्तन कर रहे हैं। सूर्य का ये राशि परिवर्तन मानव जीवन पर बहुत बड़ा असर डालेगा। इस बार सूर्य तुला राशि में प्रवेश कर रहे हैं। तुला राशि में बुध पहले से ही वक्री रहेंगे। इस कारण बुध आदित्य योग बनेगा। साथ ही 58 साल बाद शनि-गुरु का भी दुर्लभ योग बन रहा है। इस नवरात्रि में शनि मकर में और गुरु धनु राशि में रहेंगे। ये दोनों ग्रह 58 साल बाद नवरात्रि में एक साथ अपनी-अपनी राशि में स्थित रहेंगे। 196 2 के बाद इस बार नवरात्रि में ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है।
जानें किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा
17 अक्टूबर को मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
18 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर को मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर को मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर को मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर को षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर को मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर को मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर को मां सिद्धिदात्री पूजा