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मेधा पाटकर की हालत में सुधार, आज हो सकती है छुट्टी

locationबड़वानीPublished: Sep 04, 2019 11:02:20 am

भोपाल बैठक के लिए तैयारियों में जुटे नबआं कार्यकर्ता, एनवीडीए द्वारा 33 बिंदुओं पर दिए जवाब को किया नबआं ने खारिज, इन बिंदुओं पर होगी चर्चा, 178 गांव को बताया डूब में, आ रहे ज्यादा

NBA Medha Patkar condition improves

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बड़वानी. सरदार सरोवर बांध की डूब में आ रहे विस्थापितों के हक के लिए आमरण अनशन पर बैठीं मेधा पाटकर ने सोमवार रात सरकार के आश्वासन पर उपवास खत्म किया था। मेधा पाटकर की खराब तबियत के चलते उन्हें शहर के निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है। मंगलवार को उनके स्वास्थ्य में सुधार दिखा। हालांकि डॉक्टर अभी बेड रेस्ट की सलाह दी है। वहीं, सरकार के आश्वासन अनुसार 9 सितंबर को होने वाली बैठक के लिए नबआं कार्यकर्ता तैयारी में जुटे है। मेधा पाटकर ने स्पष्ट कहा कि यदि उसकी मांगों का निराकरण नहीं होता है तो वे भोपाल में ही अनशन पर बैठ जाएंगी।
मुख्यमंत्री के दूत के रूप में पहुंचे पूर्व मुख्य सचिव शरदचंद्र बैहार से लंबी चर्चा के बाद सोमवार रात मेधा पाटकर ने अनशन खोला था। रात को ही उन्हें ग्राम छोटा बड़दा से शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं, उनके साथ अनशन पर बैठे आठ अन्य अनशनकारियों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अन्य अनशनकारियों को मंगलवार शाम छुट्टी दे दी गई। वहीं, मेधा पाटकर का उपचार निजी अस्पताल में जारी है। पत्रिका से चर्चा करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि उन्हें उनके स्वास्थ्य से ज्यादा घाटी के लोगों की जान प्यारी है। मप्र के पूर्व सीएस द्वारा एनसीएम में गलत आंकड़े पेश किए, जिसके कारण आज लोग डूब के मुहाने पर है। 9 सितंबर को वे उपवास आरंभ कर बैठक में शािमल होंगी। यदि नतीजा नहीं निकलता है तो उपवास जारी रहेगा।
झूठे आंकड़े पेश किए, सुधार की जरूरत
मंगलवार को नबआं कार्यालय पर गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित उड़ीसा के प्रफुल्ल सामंतरा, औरंगाबाद के प्रदीपसिंह, दिल्ली के संजीव, पूणे से आए प्रशांत, नबआं कार्यकर्ता राहुल यादव, मुकेश भगोरिया ने 9 सितंबर को होने वाली बैठक के बारे में बताया। मुकेश भगोरिया ने बताया एनवीडीए आयुक्त पवन शर्मा द्वारा सोमवार रात अनशन स्थल पर बताए गए आंकड़े झूठ है। पहले मप्र के मुख्य सचिव 76 गांव के 6 हजार लोगों को प्रभावित बता रहे थे। एनवीडीए आयुक्त ने सोमवार रात 176 गांवों को प्रभावित बताया। जबकि मप्र के 192 गांव और 1 नगर प्रभावित है। एनवीडीए गुजरात में 5 हजार लोगों का विस्थापन और मप्र में 28 हजार लोगों का विस्थापन बता रहा है। जबकि गुजरात गए विस्थापित जमीन और घर प्लाट छोड़कर वापस डूब गांवों में आ चुके हैं। वहीं, मप्र में मात्र 53 लोगों को जमीन के बदले जमीन मिली है।
एनवीडीए के जवाब अतार्किक, हास्यास्पद
राहुल यादव ने बताया कि 25 जनवरी को पुनर्वास संबंधित 33 आवेदन एनवीडीए को सौंपे गए थे। 9 माह बाद अनशन के सातवें दिन एनवीडीए ने उनके जवाब उपलब्ध कराए है। ये जवाब इतने अतार्किक, असंबद्ध, हास्यास्पद और पीडि़तों की हंसी उड़ाने वाले होकर विधिसम्मत नहीं है। मप्र के अधिकारी अभी भी पूर्व सरकार की भाषा ही बोल रहे है। भ्रष्टाचारी अधिकारियों को हटाना जरूरी है। इन जवाबों को नबआं सिरे से खारिज करता है और मप्र सरकार को ऐसे अधिकारियों से सतर्क रहने का निवेदन करता है। इन झूठे जवाबों का जवाब हम बैठक में देंगे।
डूब गांवों की नागरिक सुविधाएं भी छीन ली
राहुल यादव ने बताया कि 92 गांवों और 1 नगर के 15,946 परिवारों को बिना किसी आधार के गैरकानूनी तरीके से बैकवाटर स्तर से बाहर कर पुनर्वास लाभों से वंचित कर दिया है। डूब बाहर किए कई गांवों के इन हिस्सों के पास अभी जलस्तर पहुंच गया है। जहां अभी पानी नहीं पहुंचा है उन हिस्सों की भी बिजली काट दी गई है। इससे गांवों में पेयजल की समस्या खड़ी हो गई है। प्रभावित गांवों से नागरिक सुविधाएं, स्कूलें, आंगवाड़ी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सार्वजनिक परिवहन आदि पिछले 2 वर्षों से हटा दी गई है। इससे प्रभावित गांवों में जीवन कष्टप्रद हो गया है। सरकार इस को ये गलती तत्काल सुधार कर बैकवाटर से बाहर किए गए प्रभावितों के साथ न्याय करना चाहिए।
एनवीडीए आयुक्त के सामने किया विरोध प्रकट
एनवीडीए के फील्ड कमिश्नर पवन शर्मा और कलेक्टर अमित तोमर ने मंगलवार को नाव से राजघाट पहुंचकर टापू में फंसे लोगों से चर्चा की। इस दौरान टापू में बसे परिवारों ने उनके सामने विरोध प्रकट किया और जमकर नारेबाजी भी की। रहवासियों ने उन्हें बताया कि उन्हें गुजरात में जमीन मिली है, लेकिन वहां पर कोई सुरक्षा एवं व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण वे पुन: अपने मूल स्थान पर आकर रह रहे है। अब उनकी मांग है कि उन्हें एवं उनके व्यस्क पुत्रों को भी पुनर्वास स्थल पर प्लाट एवं मिलने वाले पैकेज का लाभ दिया जाए। ताकि वे भी डूब क्षेत्र से बाहर बस सके। डूब से बाहर किए गए टापू में फंसे लोगों को भी डूब प्रभावित माना जाए। यहां से चर्चा के बाद एनवीडीए आयुक्त ने टीन शेड में जाकर व्यवस्थाएं भी देखी।
गुजरात में जो जमीन मिली वहां सुरक्षा व्यवस्था नहीं, इसलिए यही रह रहे
एनवीडीए के फील्ड कमिश्नर पवन शर्मा और कलेक्टर अमित तोमर ने मंगलवार को नाव से राजघाट पहुंचकर इस स्थान के टीले पर रह रहे परिवारों से भी चर्चा की। इस दौरान रहवासियों ने उन्हें बताया कि उन्हें गुजरात में जमीन मिली है, लेकिन वहां पर कोई सुरक्षा एवं व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण वे पुन: अपने मूल स्थान पर आकर रह रहे है। अब उनकी मांग है कि उन्हें एवं उनके व्यस्क पुत्रों को भी पुर्नवास स्थल पर प्लाट एवं मिलने वाले पैकेज का लाभ दिया जाए। ताकि वे भी डूब क्षेत्र से बाहर बस सके।
प्रभावित परिवारो की इस मांग पर कमिश्नर फील्ड ने बताया कि इन सब मुद्दों को अगामी 9 सितंबर को भोपाल में नर्मदा बचाओं के कार्यकर्ताओं के साथ होने वाली उच्च स्तरीय बैठक के दौरान एक बार पुन: रखा जाएगा। अधिकारियों ने शहर के पाटी नाका में बनाए गए अस्थाई टीन शेड, कुकरा पुर्नवास स्थल तथा नाव से राजघाट पहुंचकर डूब प्रभावितों से चर्चा की। वहीं उपलब्ध कराई गई व्यवस्थाओं का भी निरीक्षण किया। पाटी नाका में बनाए गए अस्थाई टीन शेड में उपलब्ध कराई गई सुविधाओं, व्यवस्थाओं को देखाा और वहां रह रहे डूब प्रभावितों से चर्चाकर सुविधाओं की जानकारी प्राप्त की। इस दौरान उनके सथ एनवीडीए के कार्यपालन यंत्री एसएस चौहान, भू-अर्जन अधिकारी एसपी मांडरा, नपा सीएमओ कुशलसिंह डोडवे भी थे। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने टीन शेड प्रभारी एवं नपा सीएमओ एवं एनवीडीए के कार्यपालन यंत्री को निर्देशित किया कि वे नियमित रूप से टीन शेड परिसर का निरीक्षण करते रहे। इसके बाद कुकरा पुनर्वास पहुंचे और वहां भी लोगों से सुविधाओं की खबर ली। लोगों ने पेयजल संबंधित समस्या से अवगत कराया।

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