इसमें एक दर्जन छोटे-बड़े पुल-पुलिया का निर्माण किया गया है। इनके निर्माण में सामग्री के साथ कोयले की राख का भी इस्तेमाल किया गया है। यह राख सिंगाजी पावर प्लांट से निकली हुई वेस्ट है। इसे बालू रेत के रूप में पुल-पुलिया एवं ट्रैक के बेस का निर्माण करने में उपयोग किया है। जानकारों की मानें तो इस राख का उपयोग जिस निर्माण में होता है, वह दिखने में तो ऐसा लगता है कि इसमें सीमेंट की अधिकता है, परंतु निर्माण की गुणवत्ता निम्न स्तर की होकर पकड़ नहीं कर पाती। जिस तरह से सीमेंट की पकड़ बालू रेत में अच्छे से होती है। इस राख का उपयोग करने पर निर्माण की गुणवत्ता बहुत ही गिर जाती है।
लापरवाही से दुर्घटना का अंदेशा
रेल मार्ग के निर्माण में की जा रही लापरवाही किसी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकती है। रेलवे प्रशासन ट्रेक के निर्माण में हो रही अनियमितताओं को नजरअंदाज करता है, तो भविष्य में इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा। रशीद जोया, शिव ठाकुर, हरेराम पंवार, ताराचंद बर्फा, राहुल इंगला, रमेश गौड़, रवि पाटिल, युवराज शर्मा, श्याम सेन ने इस मामले में रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करने की बात कही।
ट्रेक की देखरेख करने वाले इंजीनियर शरद कुमार को कई बार अवगत कराया पर वे भी इस कार्य को आंखें मूंदकर नजरअंदाज करते रहे हैं। ट्रेक बनकर तैयार होने की कगार पर है। मार्च के अंतिम सप्ताह तक टारगेट को पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रहा है पर कार्य करने के दौरान स्टील मैटेरियल सीमेंट बालू गिट्टी एवं राख का इस्तेमाल में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। प्लेटफ ॉर्म पर भी निर्माण कार्य में कई अनियमितता हुई हैं। इसे नजरअंदाज कर दिया गया है। इस ट्रेक पर कोयले की गाड़ी तो निकलेगी साथ ही इटारसी और भुसावल से चलने वाली डेमू ट्रेन भी आवागमन करेगी, जिसमें हजारों यात्री सफ र करेंगे।
इधर रेलवे निर्माण इंचार्ज सरोज कुमार ने इस मुद्दे पर साफ कहा है कि जिसे जो भी शिकायत है वह वरिष्ठ अधिकारियों से कर सकते हंै।