माता की मूठ स्थापना पर गूंजे झालरिए गीत
अंजड. निमाड़ के लोकपर्व गणगौर की धूम सोमवार से शुरू हो गई। माता की मूठ स्थापना के साथ ही पर्व की शुरुआत हो गई। सुबह से महिलाएं माता की बाड़ी गई। पंडितों के घर पहुंचकर बांस की टोकनियां, गेहूं, नाड़ा आदि पूजन सामग्री प्रदान की। पंडितों ने रविवार को शुभ मुहूर्त में माता की मूठ रखी। सात दिन तक माता की सेवा कर ज्वारों का पूजन-अर्चन होगा। साथ ही प्रतिदिन महिलाएं माता की बाड़ी में पहुंचकर माता के गीत, झालरिए, गाएंगी।
अंजड़ के पं. शीतल भार्गव ने बताया कि 5वें दिन अमावस्या पर विराजित ज्वारों को शुद्ध जल से स्नान कराया जाता है। इसे माताजी का घुंघराना कहते है। इस दिन घुंघरी व लाप्सी का भोग लगाया जाता है। जिन्होंने माताजी की स्थापना की है बाड़ी के पंडित उन्हें घर जाकर ये प्रसाद देते है। सोमवार चेत्र सुदी तिज को माता के दर्शन के लिए बाड़ी के पट खोले जाएंगे। इस दिन श्रद्धालुओं सहित अन्य लोग भी दर्शन के लिए रथ लेकर आएंगे। अपनी माताजी को घर लेकर अपने अपने घर लेकर जाएंगे। साथ ही अगले बुधवार को रथ बौड़ा जाएंगे और गणगौर माता का विसर्जन होगा। अंजड़ नगर में सोमवार को कुल 8 स्थानों पर माता की मूठ स्थापित हुई है। जिसका पंडितों द्वारा विधि-विधान से ज्वारों की पूजा अर्चना की गई।
कई वर्षों से गणगौर माता की बाड़ी बोने वाले सिर्वी समाज के पं. शीतल भार्गव ने बताया क माता के ज्वारे बोने के साथ ही गणगौर पर्व की शुरुआत हो जाती है। विसर्जन तक सभी समाज के घरों में उत्साह का माहौल रहता है। सिर्वी समाज जोगमाया मंदिर के पं. भार्गव ने बताया कि तीनों देवियों का आह्वान कर 3-3 मु_ी गेहूं व 3 मु_ी मिट्टी लेकर ज्वारे बोए गए। प्रतिदिन सुबह व शाम के समय इन ज्वारों की सामूहिक पूजा होगी। रात में क्षेत्र की महिलाएं बाड़ी में एक साथ बैठकर भजन भी करती है। शीतल भार्गव ने बताया कि इस वर्ष बाड़ी 50-60 से अधिक महिलाओं ने मूठ स्थापित की है। इसी तरह प्राचीन बाडिय़ों में ब्राह्मण गली में दो स्थानों में भी माता की बाडिय़ों में भी ज्वारे बोए गए है।
यहां भी हुई मूठ स्थापना
ग्रामिण क्षेत्रों आंवली, छोटा बड़दा, दतवाड़ा, मोहिपुरा, केशरपुरा और मंडवाड़ा में गणगौर पर्व का उत्साह ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखने को मिला। ग्रामीण क्षेत्रों में भी बाडिय़ों में माता की मूठ की स्थापना हुई है। निमाड़ में गणगौर का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। 7 दिन तक बाडिय़ों में रखने के बाद 8 वें दिन मान मन्नतों का दौर चलेगा। बैंड बाजे ढोल ढमाके से रणुबाई व धनियर राजा को घर लाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को व माता पार्वती ने महिलाओं को सौभाग्य का वरदान दिया था।
पाति खेलने का बड़ा महत्व है
बालिकाएं व महिलाएं दूल्हा-दुल्हन बनकर माता की पाती खेलेगी, जो अपने आप में एक अलग ही आकर्षण रहता है। करीब सभी समाजों कि महिला, पुरूष इसमें शामिल होते है। शिव पार्वती विवाह को दर्शाने वाले इस उत्सव में अपना एक अलग ही माहौल समूचे क्षेत्र में बना रहता है।
निमाड़ के लोकपर्व गणगोर की रही धूम
दवाना. गांव सहित आसपास के क्षेत्र में निमाड़ के लोकपर्व गणगोर का आगाज हो गया। वहीं सोमवार सुबह से महिलाएं बास की टोकरियों में गेहूं भरकर माता की बाड़ी में पहुंचने लगी। बाड़ी में सप्ताह भर तक ज्वारों का पूजन कर जल अर्पण किया जाएगा। वहीं माता को लाने वाले घरों में विशेष साफ-सफाई, रंगाई पुताई की तैयारियां की जा रही है।
माता की बाड़ी बोई गई
नागलवाड़ी. चैत्र नवरात्रा के प्रारंभ में एकादशी ग्यारस पर शुभ मुहूर्त में माता की बाड़ी बोई गई नागलवाड़ी राम मंदिर में भी पं. दिनेश शर्मा द्वारा शुभ मुहूर्त में माता की बाड़ी बोई गई।
श्रीराम मंदिर में माता की बाड़ी बोई
पाटी. नगर में सोमवार को श्रीराम मंदिर में चैत्र एकादशी का शुभ मुहूर्त सुबह 8 से प्रारंभ हुआ। गणगौर का त्योहार की शुरुआत पर सुहागिन महिलाएं अपने घर से ज्वारे टोकनियों भर कर मंदिर में लाई। वहां शाम 4 बजे तक महिलाओं द्वारा ज्वारे लाने का दौर चलता रहा। मंदिर में अस्थाई माता की बाड़ी का घर बनाया। इस में ज्वारे स्थापित किए गए। मंदिर पुजारी राज पंडित ने बताया कि 251 टोकनियों में माता की मूठ रखी गई। माता की बाड़ी के पट भक्तों के दर्शन के लिए अगले सोमवार 8 अप्रेल को चैत्र शुल्क की तीज पर खुलेंगे।