बड़वानीPublished: Feb 07, 2019 10:36:39 am
मनीष अरोड़ा
तीन दशकों से एक पुल व सड़क की मांग रहे लोग, वर्ष 2016 में 41 करोड़ की लागत से छोटा बड़दा से सेमल्दा जिला धार तक हुआ है स्वीकृत
No bridge over Narmada river near Anjad
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी/अंजड़. अंजड़ नगर के समीप नर्मदा नदी में समय-समय पर आई सरकारों द्वारा विकास व तरक्की के दावे किए जाते रहे है, लेकिन ये दावे जमीनी स्तर पर कहां तक सही साबित हो रहे है, इनकी मिसाल नर्मदा नदी पर वर्ष 2016 में स्वीकृत हुए और दो जिलों को आपस में जोडऩे वाले पुल के बारे में देखने को मिल रही है। जहां एक लोग एक पुल व सड़क की मांग को लेकर करीब 3 दशकों से जद्दोजहद कर रहे है, लेकिन अफसोस की आज तक उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। इसके चलते इलाके व आसपास के लोग काफी परेशान है। लोगों का कहना है कि तीन दशकों से कई बार सरकारें बनी है, लेकिन करीब 100 से ज्यादा गांव और उनमें रहने वाले 7 से 8 लाख से अधिक लोगों को आपस में जोडऩे वाला यह पुल नहीं बनाया गया।
क्या कहते है पुराने व्यापारी
अंजड़ के निवासी और पुराने समय के सराफा और कपास के व्यापारी भगवान चौधरी (79) ने बातचीत करते हुए बताया कि आजादी के 70 वर्षों के बाद अंजड़ के लोग बहुत सी बुनियादी सुविधाओं और विकास से वंचित है। एक समय था जब मांडव धार तक से कपास से भरी बैल गाडिय़ां नर्मदा नदी को पार कर अंजड़ मंडी में विक्रय होने आती थी। साथ ही अंजड़ का सराफा बाजार धार जिले के कई गांवों से आए ग्राहकों के कारण गुलजार रहता था। नर्मदा पर पुल ना बनने के बाद धीरे-धीरे अंजड़ का सराफा, कपास, कपड़े की दुकानें, कृषि यंत्र बनाने वाले लोहे के कल कारखानों में रोजाना आवागमन की परेशानी के चलते लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता रहता है। छोटा बड़दा गांव पर नर्मदा नदी पर बनने वाले पुल व सडक़ की मांग के चलते पिछले कई वर्षों से लगातार मांग चली आ रही है।
अरूण परमार ने बताया कि ये पुल केवल कुछ गांवों के लिए ही नहीं है, बल्कि 100 से अधिक गांवों को जोड़ेगा। अंजड़, राजपुर, सेंधवा, जुलवानिया, ठीकरी से धार जिले के कुक्षी, सिंघाना, मनावर, बाकानेर, उमरबन, धरमपुरी, कालीबावड़ी क्षेत्र भी शामिल है। उन्होंने बताया कि नर्मदा किनारे बसे बड़वानी-धार दोनों जिलों में सिर्वी, पाटीदार, राजपुत समाज बाहुल्य बस्तीयां निवासरत है। सामाजिक और व्यापारीक दोनों नजरियों से ये एक पुल बनने से इससे लाखों लोगों को राहत मिलेगी, जो कि रोजाना परेशानियों से दो-चार हो रहे हैं। नर्मदा नदी तट छोटा बड़दा से लोग बाइक सहित नांव से नदी पार करते है।
नेताओं ने वोट बैंक के लिए किया इस्तेमाल
नानुराम पाटीदार निवासी अंजड़, फारूख मंसूरी निवासी मनावर, गणेश धनगर व महादेव भाई निवासी छोटा बड़दा सहित स्थानीय लोगों का कहना है कि विभिन्न पार्टियों के नेताओं द्वारा क्षेत्र के लोगों को सिर्फ वोट बैंक के लिए इस्तेमाल किया गया है। यही कारण है कि आजादी के 70 वर्षों बाद भी इलाके के लोग पुल की समस्या के चलते परेशान है।बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी पर 2016 में स्वीकृत पुल न बनने के कारण स्थानीय लोगों खास कर स्कूली बच्चों, कामकाज की सिलसिले में आने जाने वाले लोंगों, खेती किसानी करने वाले लोगों को अपने कृषि उपकरणों को लाने और ले जाने को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि इन लोगों को फिलहाल 41 किमी दूर गणपुर से पुलिया पर होकर बड़वानी से फिर अंजड़ आना पड़ता है या फिर दूसरे रास्ते खलघाट से आना-जाना पड़ता है जो कि 55 किमी से अधिक दूरी तय कर अंजड क्षेत्र तक पहुंचता है।
तहसील मनावर और अंजड़ मुख्यालय से कटा है क्षेत्र
नरेंद्र व्यास लोहे कि मशिनरी और ट्राली व्यवसायी ने बताया कि पुल न होने के कारण अंजड़ का औद्योगिक क्षेत्र एक-दूसरे से पूरी तरह कटा हुआ है। इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि लोग मनावर क्षेत्र और अंजड क्षैत्र के बाशिंदों को अपना सफर तय करने के लिए बड़वानी से होते हुए नाजायज करीबन 40-45 किमी लंबा सफर तय कर पहुंचते है। इसमें काफी ईंधन और समय व्यर्थ होता है।
देरी होने से कई लोगों की जान पर बनती है
सामाजिक कार्यकर्ता सतीश परिहार ने बताया कि नर्मदा नदी पर पुल न बनने की समस्या के चलते कई बार मरीज को बड़वानी अस्पताल पहुंचाने में देरी हो जाती है। इसके चलते कई मरीजों की रास्तों में ही मौत हो जाती है। उन्होंने बताया कि पुल ना होने कि वजह से बीमार मरिजों को बड़वानी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मरिजों को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका था। इससे कई मरिजों कि मौत तक हो गई है।
वर्जन…
फिलहाल फाइल भोपाल भेजी है
वर्ष 2016 में नर्मदा नदी पर छोटा बड़दा के फोकटपुरा से धार जिले के सेमल्दा गांव तक पुल 41 करोड़ की लागत से बनाए जाने की डीपीआर बनाई है थी। दो बार निर्माण कि निविदाएं भी निकाली गई, लेकिन किसी भी ठेकेदार ने टैंडर डालने में रूची नहीं दिखाई है। फिलहाल फाइल भोपाल वरिष्ठ कार्यालय में है।
-आरजी साक्य, एसडीओ सेतु निगम