बड़वानीPublished: Dec 20, 2018 11:15:46 am
मनीष अरोड़ा
केंद्र की न्यू इंडिया 2022 योजना में अब तक नहीं मिले दिशा निर्देश, शिक्षा, स्वास्थ्य की रैंकिंग में बहुत पिछड़ा हुआ है जिला, पांच साल में लोगों के जीवन स्तर को उठाना है ऊपर
No guidelines found in the Center’s New India scheme yet
खबर लेखन : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. सालभर पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा न्यू इंडिया 2022 प्रोजेक्ट की घोषणा में बड़वानी जिले को शामिल किए जाने पर आदिवासी जिले में विकास की लगी थी। इस योजना के बनने को एक साल हो गया, लेकिन योजना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई। इसका मुख्य कारण है कि केंद्र से अब तक इस योजना के दिशा-निर्देश ही प्रशासन के पास नहीं पहुंच पाए है। अब प्रदेश में सरकार बदलने के बाद इस योजना पर भी संशय के बादल मंडरा रहे है। उल्लेखनीय है कि देश के 115 पिछड़े जिले इस योजना में शामिल किए गए है। योजना के तहत पांच साल में जिले का कायाकल्प कर लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया जाना है।
बड़वानी विकास की गति में पिछड़ा हुआ है
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बड़वानी विकास की गति में पिछड़ा हुआ है। न्यू इंडिया 2022 योजना से जिले में विकास की गति को पंख लगने की उम्मीदें बढ़ी थी। प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया प्रोजेक्ट में शामिल बड़वानी जिले को कई सौगाते मिल सकती है। फिलहाल जिला प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, रोजगार सहित कई मामलों में बेहद पीछे नजर आ रहा है। वर्तमान में देखा जाए तो सुदूर ग्रामीण अंचलों में तो दूर शहर से लगे क्षेत्रों में ही मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। प्रोजेक्ट के तहत मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जाना है।
13वीं रैंकिंग पर है बड़वानी
देशभर में मूलभूत सुविधाओं के आधार पर हुए सर्वे में बड़वानी जिला बहुत ही पिछड़ा हुआ नजर आ रहा है। वर्तमान में बड़वानी 13वीं पायदान पर है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्थिति अन्य जिलों से बेहतर नजर आ रही है। स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बड़वानी 8वें नंबर पर है। वहीं, शिक्षा के स्तर पर बड़वानी 35वीं रैंकिंग पर दिख रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में तो बड़वानी बहुत ही पीछे नजर आ रहा है। इंफ्रा में बड़वानी को 89वीं रैंक मिली है।
ये चुनौतियां रहेगी सामने
जिले में कई क्षेत्र ऐसे है जो पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों में स्थित है। छोटे-छोटे फलियों में बसे गांवों में पहुंच मार्ग भी नहीं है। बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, रोजगार जैसी समस्याएं इन क्षेत्रों में मुंह बांए खड़ी है। जिले में अब तक औद्योगिक क्षेत्र भी विकसित नहीं हो पाया है। खजूरी में बने औद्योगिक क्षेत्र में भी मात्र एक इकाई काम कर रही है। वहीं, कभी कपास के क्षेत्र में जाने जाना वाला सेंधवा का कॉटन उद्योग भी जीनिंग पलायन के कारण लगभग खत्म होने की कगार पर है। रोजगार के अभाव में बड़ी संख्या में गांवों से पलायन हो रहा है। इन सबसे निपटने की चुनौती प्रशासन के सामने रहेगी।
लोगों ने बताए थे अपने विचार
करीब डेढ़ साल पूर्व न्यू इंडिया 2022 को लेकर जिला प्रशासन ने लोगों से जिले में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करने के लिए विचार जाने थे। जिसके तहत निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसमें 200 लोगों ने अपने विचार प्रकट किए थे। अधिकतर लोगों का मानना था कि जिले में मेडिकल कॉलेज, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, उद्योग धंधों का विकास, रोजगार के क्षेत्र में बेहतर कार्य हो, कुपोषण से मुक्ति मिले, शिक्षा व्यवस्था बेहतर हो, सड़कों की स्थिति सुधारने पर जोर दिया गया था।
फिलहाल कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले
न्यू इंडिया प्रोजेक्ट को लेकर अभी विस्तृत गाइड लाइन प्राप्त नहीं हुई है। मुझे आए ज्यादा समय नहीं हुआ है। वैसे भी अभी तक चुनाव आचार संहिता के कारण इस योजना की ओर ध्यान नहीं दे पाए। ऊपर जो भी दिशा निर्देश होंगे उसके अनुसार सर्वश्रेष्ठ कार्य किया जाएगा।
-अमित तोमर, कलेक्टर