बड़वानीPublished: Oct 28, 2018 10:44:33 am
मनीष अरोड़ा
पत्रिका द्वारा चलाए जा रहे मेरा शहर मेरा मुद्दे में किसानों ने बताई व्यथा
Not easy to harvest
बड़वानी से ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. चुनावी मुद्दों में किसानों के हितों की बात कर पार्टी का नेता करता हैं। क्षेत्रिय स्तर पर भी हर उम्मीदवार किसानों के लिए वादों और इरादों की लंबी फेहरिस्त पढ़कर सुनाता है, लेकिन देश भर में किसानों की स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है। जिले के किसानों के साथ भी कई समस्याएं हैं। बीज बोने से लेकर उपज की बिक्री और भुगतान तक किसानों को कई समस्याओं से जूझना पड़ता है।
अब तक नहीं हुआ नहर का काम पूरा
जिले में किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी के लिए नहरों का निर्माण कराया गया है। लोअर गोई परियोजना में कुछ काम अभी तक नहीं हुआ है जबकि किसानों के मुताबिक पानी मिलना भी शुरू हो जाना चाहिए था और अब तक नहर का पूरा काम ही नहीं हुआ है। ऐसे में हर बार गर्मी में पानी की समस्या से किसान दोचार होते रहते हैं। न केवल गर्मी में बल्कि जब जब पानी की कमी होती है किसानों को धरना प्रदर्शन तक करने पड़ते हैं। भारतीय किसान संघ विभिन्न समस्याओं को लेकर बार बार ज्ञापन देता रहा है, इसके अलावा अन्य संगठन भी किसानों के हितों के लिए आवाज उठाते ही रहते हैं, लेकिन समस्या है कि कम होने का नाम ही नहीं लेती।
बुआई से बिक्री तक शोषण
क्षेत्र में नकली बीच, नकली खाद के कई मामले सामने आ चुके हैँ। हाल ही में अंजड़ राजपुर क्षेत्र के एक खाद और बीच विक्रेता और कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम ने भी फैसला दिया था।जिसमें खराब खाद बीच के चलते भिंडी के पौधे तो बढ़ गए लेकिन एक भी पौधे में भिंडी नहीं लगी थी। इसके अलावा जब फसल तैयार होती है तो काटने के लिए मजदूर नहीं मिलते हैं। क्षेत्र के मजदूरों का पलायन किसानों के लिए सिरदर्द बनकर सामने आता रहा है। इसके बाद जैसे तैसे फसल कट कर बाजार में आती है तो यहां व्यापारियों के द्वारा शोषण शुरू होता है। किसानों का कहना है कि व्यापारी कभी नमी के नाम पर कभी कचरे के नाम पर कभी तुलाई तो कभी हम्माली के नाम पर रुपये काट लेते हैं। भावंतर योजना के बाद से मंडी में भी कभी तय भाव किसी किसान को नहीं मिला। इस योजना का लाभ किसानों को कम और व्यापारियों को ज्यादा मिल रहा है।
विकास चौहान छात्र बड़वानी :
मेरा वोट मेरी पसंद…
पहली बार वोट देने का मौका मिल रहा है। हालांकि मेरी नजर में कोई ऐसा नेता नहीं है अपने क्षेत्र में जिसे वोट देकर जिताया जाए। लेकिन फिर भी मैं वोट दूंगा। इस उम्मीद के साथ दूंगा कि जो भी जीते वह क्षेत्र का विकास करें, युवाओं की समस्याओं को समझे और उनका निराकरण करें। बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिले इसके लिए सरकार से योजना बनवाए। ऐसा व्यक्ति ही वोट पाने का अधिकारी भी है।
पवन परिहार :
वोट देने से पहले यह तय होना जरूरी है कि मैं वोट क्यों दूं। वोट देने का मतलब है लोकतांत्रिक तरीके से हम किसी को अपना भविष्य सौंप रहे हैं लेकिन क्या वोट लेने वाले भी इस लायक है? यदि कोई प्रत्याशी जीतने के बाद किसानों के मुद्दों को सुलझाए, महिलाओं की सुरक्षा के इंतजाम कराए, विद्यार्थियों के लिए और सुविधाएं मुहैया कराए तो ही वोट देना सार्थक भी होगा।लेकिन तो हम वैसे भी इसे आहुति के तौर पर कहते ही हैं। पहली बार वोट देने का मौका मिल रहा है। इसलिए इस मौके को नहीं छोडूंगा।