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एनवीडीए कार्यालय का किया घेराव, अधिकारियों पर फोड़ा ठीकरा

locationबड़वानीPublished: Sep 08, 2018 01:36:32 am

कुकरा बसावट की समस्या लेकर पहुंचे विस्थापित, जलस्तर बढऩे के बाद डूबने को तैयार, हटने से किया इनकार, एनबीए ने दी बड़े आंदोलन की चेतावनी

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NVDA office seized, cracks on officials in barwani

बड़वानी. नर्मदा का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। इधर पिछले ३४ दिनों से ३० से ज्यादा गांवों में क्रमिक अनशन भी जारी है। इन दोनों के बीच में शुक्रवार को कुकरा बसावट के विस्थापितों ने एनवीडीए कार्यालय का फिर से घेराव किया। बसावट क्षेत्र में व्यवस्थाएं नहीं होने का ठीकरा प्रशासन की अनदेखी और टालू रवैये पर फोड़ा। कार्यकर्ताओं ने करीब तीन घंटे तक कार्यालय के सामने धरना दिया और अलग अलग करीब ५०० से ज्यादा आवेदन देकर समस्याएं रखीं।
शुक्रवार को दोपहर करीब १२ बजे एनबीए कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली। यह रैली राजघाट से शुरू हुई थी। यहां कारंजा पर जमा होकर सभी लोग एनवीडीए कार्यालय पर पहुंचे और जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं का कहना हैकि बगैर पूरा हक लिए और पूरी व्यवस्था के बगैर विस्थापित डूब क्षेत्र से नहीं हटेंगे। मांगें पूरी नहीं होने की सूरत में कार्यकर्ताओं ने बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। कार्यकर्ता राहुल यादव ने बताया कि पिछले ३४ दिनों से क्रमिक अनशन चल रहा है लेकिन कोई अधिकारी किसी गांव में नहीं पहुंचा है। न ही किसी ने समस्याओं को सुलझाने के लिए कोई पुख्ता कोशिश की है। राहुल ने बताया कि बिना पुनर्वास मूलगांव खाली नहीं किए जाएंगे। इसके लिए यदि फिर संघर्ष करना पड़ा तो किया जाएगा। कार्यकर्ताओं ने साफ शब्दों में कहा हैकि यदि उनकी परेशानियों को नहीं समझा गया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
ये मुद्दे बताए अधिकारियों को
कुकरा में आज भी 6 0 लाख रू की पात्रता वाले 44 परिवारों को मिलना बाकी है, जीआरए के आदेश के बाद भी नहीं मिला है।
जीआरए के प्रकरण लंबित है, ऐसे परिवारों को 60 लाख रुपए की पात्रता आज तक नहीं मिली है।
गांव में 15 लाख रू की पात्रता वाले 02 परिवारों को मिलना
बाकी है।
गांव में नवीन बेक वॉटर लेव्हल का धरातल पर सर्वे आज तक नहीं किया गया है।
गांव में विधवा महिला खातेदार, मुखियों खातेदारों को आज तक 6 0” 90 तक कोई भी आवासीय भूखण्ड आबंटित नहीं किया गया है। ऐसे परिवार 10 है।
गांव में आज भी महिला खातेदार, विधवा महिला खातेदार, वयस्क पुत्र इत्यादि परिवारों को 6 0 लाख रू मिलना बाकी है।
गांव में आज भी 5.80 लाख रू मिलना बाकी है, हमारे गांव का फिर से पुन: सर्वे करवाया जाये। पट्टेधारी परिवारों की संख्या 190 हैं।
मध्यप्रदेश शासन के आदेश 05 जून 2017 के अनुसार सभी विस्थापितों को लाभ दिया जाए।
मध्यप्रदेश शासन के आदेश 1 अगस्त 2017 के अनुसार सभी विस्थापितों को आवासीय भूखण्ड का भू-स्वामी का अधिकार
दिया जाए।
गांव की जमीन टापू में जा रही है, उसके लिए कोई भी रास्ते का निर्माण आज तक नहीं किया है।
लगभग 50 एकड की टापू बन रही है, इसका कोई भी भू-अर्जन नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा नहीं किया गया है। हमारी मांग है कि सभी जमीन का नये भू-अर्जन कानून 2013 के तहत सर्वे कर मुआवजा दिया जाये।
25 प्रतिशत से कम जमीन डूब में जा रहे है, ऐसे परिवारों को लाभ दिया जाये।
मछुआरों को आजीविका का साधन उपलब्ध किया जाये, जो महाराष्ट्र राज्य में मछली पकडने के साधन व नाव उपलब्ध किया जाये, जिससे जीवनयापन उंचा कर सके।
विस्थापितों को गुजरात राज्य में विस्थापन किया गया है, राज्य की पुनर्वास नीति के अनुसार आजीविका का साधन, पुनर्वास अनुदान, परिवहन अनुदान, भूखण्ड समतलीकरण इत्यादि अनुदान मिलना बाकी है। ऐसे परिवारों की संख्या 271 होगी।
कार्यकर्ताओं ने दिखाया गुस्सा
घेराव के दौरान महिला कार्यकर्ताओं और विस्थापितों ने शासन प्रशासन के खिलाफ जमकर गुस्सा निकाला। कार्यकर्ताओं खासकर महिलाओं ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी। अधिकारियों ने आश्वासन देकर प्रदर्शनकारियों को शांत कराया। ज्ञापन और आवेदन दिए। करीब ५०० से ज्यादा लोगों ने व्यक्तिगत आवेदन देकर समस्याओं पर अधिकारियों से जवाब मांगें।
कई मुद्दे अधिकारियों के समक्ष रखे
इस सहित करीब २४ मांगें और मुद्दे कार्यकर्ताओं और विस्थापितों ने अधिकारियों के समक्ष रखें हैं। भू अर्जन अधिकारी जानकी देवी ने ज्ञापन और आवेदन लेकर सभी को आश्वासन देकर लौटाया है। इस मौके पर राहुल यादव, कमला यादव, देवेंद्र, जयराज, कनक सिंह दरबार, सकू मछुआरा, धर्मेंद्र, निर्मलाबाई, कैलाश अवास्या, पवन यादव, राजा मंडलोई सहित कई लोग मौजूद थे।
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