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अस्थाई पुनर्वास के लिए बने टीन शेड पर होमगार्ड का कब्जा

locationबड़वानीPublished: Dec 29, 2018 11:29:33 am

नर्मदा बचाओ आंदोलन ने लगाया आरोप बिना अनुमति कर रहे उपयोग, डेढ़ साल पहले 1.81 करोड़ की लागत से बनाया था अस्थाई टीन शेड, होमगार्ड कमांडेंट का कहना कलेक्टर ने मौखिक रूप से दी अनुमति

खबर लेखन : मनीष अरोरा
ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. सरदार सरोवर बांध की डूब में आए विस्थापितों के लिए पिछले साल जुलाई में पाटी नाका क्षेत्र में अस्थाई पुनर्वास स्थल टीन शेड का निर्माण किया था। डूब प्रभावितों ने न तो गांव खाली किए, न ही इस टीन शेड में एक भी विस्थापित रहने के लिए पहुंचा। अब इस टीन शेड का उपयोग होम गार्ड के जवानों की ट्रेनिंग और अस्थाई तौर पर रहने के लिए हो रहा है। नर्मदा बचाओ आंदोलन ने आरोप लगाया हैकि बिना अनुमति के होम गार्ड द्वारा यहां कब्जा कर लिया गया है। विस्थापितों के लिए बनाया गया ये टीन शेड शासन के रुपयों की बरबादी है।वहीं, होमगार्ड कमांडेंट का कहना है कि कलेक्टर के मौखिक आदेश पर इसका उपयोग किया जा रहा है।
पिछले साल सरदार सरोवर बांध भरने के लिए डूब में आ रहे लोगों से जुलाई में प्रशासन ने गांव खाली कराना शुरू किया था। डूब प्रभावितों को पट्टे और प्लाट नहीं मिलने से इनके लिए तीन स्थानों पर अस्थाई रूप से ठहराने के लिए टीन शेड का निर्माण किया गया था। इसमें अंजड़ टीन शेड के लिए 1.61 करोड़, अवल्दा-सौंदुल टीन शेड के लिए 1.81 करोड़ और पाटी नाका टीन शेड के लिए 1.81 करोड़ रुपए की लागत से बने हुए है। अब पाटी नाका वाला टीन शेड होमगार्ड जवानों के काम आ रहा है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के राहुल यादव ने बताया कि होमगार्ड द्वारा एनवीडीए से कोई अनुमति नहीं ली गई है। इसका विस्थापितों के अलावा कोई अन्य उपयोग होना गलत है। इस संबंध में नबआं द्वारा एनवीडीए और कलेक्टर से शिकायत की जाएगी।
बदमाशों का अड्डा बन गया था
होमगार्ड डिस्ट्रिक कमांडेंट केआरबी सिंह ने बताया कि पिछले साल डूब प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ आपदा प्रबंधन के लिए आए एनडीआरएफ को कलेक्टर ने यहीं पर ठहराया था। इसके बाद ये खाली पड़ा हुआ था। यहां बदमाशों का अड्डा बन चुका था और गलत गतिविधियां भी हो रही थी। इसके बाद कलेक्टर ने यहां होमगार्ड जवानों को रहने के लिए कहा था। होमगार्ड के यहां आने के बाद से बदमाशों का यहां आना बंद हो चुका है। पहले यहां तोडफ़ोड़ और सामान चोरी जैसी घटनाएं भी हो रही थी। असामाजिक तत्वों ने 10 हजार लीटर की टंकी भी तोड़ दी थी। हमारी ओर से यहां सुरक्षा भी की जा रही है।
फिजुलखर्च की राशि से हो जाता पुनर्वास
नबआं नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि बड़वानी जिले में अस्थाई टीन शेड के लिए 5.23 करोड़ रुपए फिजुल खर्च किए गए। इन अस्थाई टीन शेड में एक भी परिवार रहने को नहीं गया। ये रुपया अगर विस्थापितों को मिल जाता तो कईयों का पुनर्वास हो जाता। नबआं पिछले 32 साल से लगातार नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसला, सर्वोच्च अदालत के फैसले, पुनर्वास नीति के अनुसार लाभ दिए जाने की मांग कर रहा है। यदि इन फैसलों और नीतियों पर लाभ दिया जाता तो मप्र शासन को करोड़ों खर्च नहीं करना पड़ता। आज भी विस्थापितों का संपूर्ण पुनर्वास होना बाकी है। अब भी मप्र सरकार, एनवीडीए द्वारा नर्मदा ट्रिब्यूनल, सर्वोच्च अदालत, राज्य की पुनर्वास नीतियों का पालन नहीं कर रही है। जिसकी वजह से हजारों पात्र विस्थापित भटकने को मजबूर है।
फैक्ट फाइल…
3 स्थानों पर बनाए गए थे अस्थाई टीन शेड।
5.23 करोड़ रुपए खर्च हुए थे टीन शेड पर।
3 हजार अस्थाई टीन शेड का किया था निर्माण।
1.81 करोड़ रुपए का है पाटी नाका पर बने टीन शेड
31 जुलाई से तीन माह के लिए बने थे टीन शेड।

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