सरदार सरोवर बांध के संबंध मात्र भ्रम फैला रहे हैं
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि कुछ लोग सरदार सरोवर बांध के संबंध मात्र भ्रम फैला रहे हैं। इसके उलट असलियत में मोदीजी ने खुद लाभों का भ्रम फैलाया है। 2014 में 2019 मीलियन यूनिट बिजली बनी, 2015 में 2149 मीलियन यूनिट बिजली बनी, 2016 में 3200 मीलियन यूनिट बिजली बनी, तो फिर 2017 से बांध के 17 मीटर्स ऊंचाई के गेट बंद होने के बाद भी बिजली का निर्माण कम क्यों होता गया। उन्होंने कहा कि नई सरकार इस ओर ध्यान नहीं देगी तो नर्मदा घाटी संघर्ष के लिए तैयार है।
रेत खनन से खत्म हो रही है नर्मदा
वहीं रेत खनन पर मेधा पाटकर ने बताया कि रेत खनन से यमुना नदी खत्म सी हो गई है। वहीं हाल वर्तमान में नर्मदा नदी का हो रहा है। सरदार सरोवर बांध के जलग्रहण क्षेत्र में 2015 से ही जबलपुर उच्च न्यायालय और हरित पर्यावरण न्यायाधिकरण ने रोक लगा रखी है। इसके बाद भी रेत खनन चल रहा है। पिछले दिनों छोटा बडदा में रेत खदान धंसने से पांच मजदूरों की मौत हो गई। रेत खनन के कारण पिछले कुछ सालों में सैकडों लोगों की मौतें हो चुकी है। राज्य सरकार ने समझना चाहिए नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है। जो पिछली सरकार ने किया वह इस सरकार ने नहीं करना चाहिए।