शुक्रवार को पुलिस कंट्रोल रूम में एसपी दीपक कुमार शुक्ला ने बताया कि में पुलिस ने पकड़े गए चालक और उसके सेठ से कुल 36 लाख 50 हजार रुपए नकदी सहित घटना में प्रयुक्त 4.5 लाख रुपए की कार और चार हजार रुपए मूल्य के दो मोबाइल जब्त किए। दोनों आरोपी बड़वानी के समीप धार जिले के ग्रामों के निवासी है। शुक्रवार सुबह शहर कोतवाली में भगवान पिता शंकर बघेल (38) निवासी ग्राम बडवान्या (धार) ने रिपोर्ट लिखाई कि गुरुवार को सेंधवा से लौटते समय शाम 6 बजे धाबाबावड़ी घाट पर बाइक सवारों ने उसकी कार के आगे बाइक अड़ाकर रोका और मिर्च पावडर उड़ाकर उसकी कार में रखे 36.50 लाख रुपए सहित दो मोबाइल फोन ले भागे। क्षेत्र के स्टेट हाइवे से लाखों रुपए की लूट के बाद पुलिस अलर्ट हो गई। पुलिस ने धारा 392 भादंवि का मामला दर्ज कर लिया।
सख्ती से पूछताछ की तो कबूली फर्जी लूट की कहानी
पुलिस ने फरियादी से पूछताछ की। इस दौरान वो तरह-तरह की बातें कर पुलिस को गुमराह करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उसके मुंह से फर्जी लूट की कहानी सामने आई। पुलिस के सामने फरियादी भगवान बघेल ने अपने सेठ मनोज पाटीदार के साथ मिलकर षडयंत्र पूर्वक लूट को अंजाम देना स्वीकार किया। उसने पुलिस को बताया कि वो सेंधवा से 36.50 लाख रुपए लेकर निकला। इसके बाद धाबाबावड़ी आकर उसने अपने सेठ मनोज पाटीदार को बुलाकर रुपए दे दिए और उसमें से अपने हिस्से के पांच लाख रुपए रख लिए। इसके बाद अपने दोनों मोबाइल सड़क किनारे छिपा दिए। इसके बाद योजनाबद्ध तरीक से राहगीर को रोका और उससे अपने सेठ और पुलिस को फोन लगाकर लूूट की बात कही।
सीसीटीवी खंगोल और जिले में करवाई नाकाबंदी
एसपी के निर्देशन पर पुलिस टीम ने सबसे पहले सेंधवा से बड़वानी तक लगे सीसीटीवी खंगाले और जिले में नाकाबंदी करवाई। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। इस दौरान पाया गया कि फरियादी भगवान बघेल सेंधवा से निकलकर घटना स्थल पर करीब दो घंटे में पहुंचा। जबकि इस रास्ते की दूरी तय करने में एक घंटा भी नहीं लगता है। वहीं जांच के दौरान पाया कि कार में इंटर लॉक लगा था, उसके बावजूद बाहर से मिर्च पावडर अंदर कैसे फेंका?, चॉबी गाड़ी में लगे होना, चालक के सेठ द्वारा जिससे रुपए बुलवाए थे, उससे बात न करते हुए, राजकोट-गुजरात के व्यापारी, जिसको पैसे भेजने थे, उससे बात करना? जैसे उलझे तथ्य सामने आए। इस पर पुलिस के शक की सुई सीधे तौर पर फरियादी भगवान बघेल और उसके सेठ 42 वर्षीय मनोज पिता शंकरलाल पाटीदार ग्राम खंडवा-पिपलिया पर आकर टिक गई।